दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कुलभूषण जाधव की रिहाई सुनिश्चित कराने के लिए केंद्र सरकार को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट जाने का आदेश देने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि सरकार पाकिस्तान की जेल में बंद जाधव की रिहाई के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। जाधव को पाक सैन्य कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ ने जाधव मामले से जुड़ी जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। पीठ ने कहा है कि अपने नागरिकों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को बचाने के लिए सरकार सबसे बेहतर मंच है। पीठ ने कहा है कि सरकार की ओर से जाधव की रिहाई के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही है, ऐसे में अदालत को दखल देने की जरूरत नहीं है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि 46 वर्षीय पूर्व नौसेना अधिकारी जाधव की रिहाई को लेकर भारत सरकार अपनी विशेषता और अनुभव के साथ कदम उठाए। यह गंभीर मसला है, ऐसे में खुली अदालत में इस पर बहस नहीं हो सकती। पीठ ने यह भी कहा कि खुली अदालत में बहस होने से जाधव की रिहाई प्रभावित हो सकती है।
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन की दलील को स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया है। जैन ने पीठ को बताया कि भारत सरकार पाक जेल में बंद जाधव की रिहाई के लिए सभी प्रयास कर रही है। सामाजिक कार्यकर्ता राहुल शर्मा की ओर से अधिवक्ता गौरव बंसल ने हाईकोर्ट याचिका दाखिल कर विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को जाधव तक राजनयिक पहुंच प्राप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जाने का आदेश देने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी सेना जाधव को निष्पक्ष सुनवाई का अवसर उपलब्ध करवाने में पूरी विफल रही है। पाकिस्तान ने जाधव का पक्ष सुने बगैर उन्हें मौत की सजा सुना दी है।