• केंद्र इंटर स्टेट मूवमेंट पर लगी रोक समाप्त करे, पीएम को लिखा पत्र
  • हम बाहर फंसे छात्र और मजदूरों को हर हाल में लायेंगे
  • केंद्र लॉकडाउन में जो दो दिन पहले रियायत दी, वे झारखंड में लागू नहीं
  • हिंदपीढ़ी सीआरपीएफ के हवाले, संदिग्धों की पहचान कर तेजी से जांच के आदेश
    आजाद सिपाही संवाददाता
    रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंडवासियों, बाहर फंसे छात्रों और मजदूरों की समस्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रखना चाहते थे। उन्हें मौका नहीं मिला, लेकिन उन्होंने पत्र लिखकर अपनी भावना से केंद्र को अवगत करा दिया है। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि हम नियम कानून को मानते हैं, तो हमारे बच्चे और मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे पड़े हैं। जो इसे नहीं मानते, उन पर केंद्र मौन है। आखिर केंद्र सरकार यह खेल क्यों खेल रही है। इतना ही नहीं, उन्होंने दो दिन पहले केंद्र के एक निर्णय को झारखंड में लागू नहीं करने का फैसला लिया है। पीएम ने सोमवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात भी की, लेकिन जिन सीएम से बात होनी थी, उस सूची में झारखंड का नाम नहीं था। सीएम हेमंत ने इस मामले में कहा कि केंद्र के गाइडलाइन के अनुपालन की सजा मिली है। पीएम ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सभी सीएम को बताया कि जो निर्णय हुए हैं, उनका अनुपालन करना चाहिए। रविवार को जब सीएम को पता चला कि बोलनेवाले मुख्यमंत्रियों की सूची में उनका नाम नहीं है, तो उन्होंने पत्र लिखकर समय भी मांगा था। सीएम का कहना है कि समयाभाव के कारण ऐसा हुआ होगा। पीएम को लिखे पत्र में झारखंडवासियों के दर्द को सीएम ने बयां किया है। उन्होंने कहा है कि झारखंड भारत सरकार के दिशा निर्देशों का अनुपालन करता है और इसी की सजा उन्हें मिल रही है। हेमंत ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार द्वारा लगाये इंटर स्टेट मूवमेंट पर रोक के कारण झारखंड बाहर फंसे मजदूरों और छात्रों को वापस नहीं ला पा रहा है। जबकि कुछ राज्य दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने यह भी सवाल किया कि यदि केंद्र सरकार मानती है कि प्रवासी मजदूर और छात्रों को अपने राज्य जाने देना चाहिए, तो केंद्र सरकार को निर्गत आदेश को शिथिल करते हुए इस संबंध में पत्र जारी करना चाहिए। सीएम का कहना है कि अपने बल पर देश के विभिन्न राज्यों से प्रवासी मजदूरों और छात्रों को झारखंड वापस लाने की स्थिति में हम नहीं हैं। पहले केंद्र अपने आदेश को बदले, ताकि सरकार वैचारिक तरीके से काम कर सके। दूसरी बात यह है कि बाहर रह रहे लगभग पांच लाख से अधिक मजदूरों को किस प्रकार झारखंड वापस लाया जा सकता है। पांच हजार से अधिक छात्र कोटा तथा देश के अन्य शहरों में फंसे हुए हैं। इन्हें वापस लाने का प्रबंध भी किया जाये। सीएम ने लिखा है कि झारखंड सरकार का निर्णय है कि केंद्र सरकार के निर्देशों का पूर्ण रूप से पालन करेंगे। इंटर स्टेट मूवमेंट पर लगाये गये रोक समाप्त करने संबंधी आदेश जारी होने तक इंतजार करेंगे। हम अन्य विकल्पों का सहारा लेंगे। हर हाल में उन्हें लायेंगे।
    कोरोना संक्रमण के बढ़ने से घबराने की जरूरत नहीं
    सीएम ने कहा कि राज्य में कोरोना पाजिटिव लोगों की संख्य बढ़ी है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। यह संतोष की बात है कि सरकार तेजी से कोरोना पाजिटिव लोगों को खोजने और पहचान करने में सफल रही है। सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द संक्रमित लोगों की पहचान की जाये और उन्हें समुदाय से अलग किया जाये। उनका इलाज भी सुनिश्चित कराया जाये।
    केंद्र ने लॉकडाउन में जो रियायत दी, वे झारखंड में लागू नहीं
    हेमंत ने साफ कहा कि कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए सरकार ने दो बड़े निर्णय लिये हैं। पहला यह कि दो दिन भारत सरकार ने लॉकडाउन में रियायत देते हुए कुछ श्रेणी में दुकानों को खोलने का निर्देश दिया था। हम उस निर्देश को झारखंड में लागू नहीं करेंगे। तीन मई तक अभी जारी स्थिति बनी रहेगी। अभी जो दुकानें खुल रही हैं, वे पूर्व की भांति खुलती रहेंगी।
    हिंदपीढ़ी सीआरपीएफ के हवाले
    सीएम ने दूसरा बड़ा फैसला यह लिया है कि रांची के हॉटस्पॉट हिंदपीढ़ी में सीआरपीएफ की तैनाती की जायेगी। यह जरूरी है कि संक्रमण वाले क्षेत्र में लोगों की आवाजाही पर पूर्ण पाबंदी हो। सीआरपीएफ का उपयोग रांची की सीमाओं को सील करने में भी किया जायेगा। विशेष पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित करने का आदेश डीजीपी और मुख्य सचिव को दे दिया गया है।
    संक्रमण रोकने के लिए कदम उठायें अफसर
    मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह आदेश दिया है कि राज्य के जिन क्षेत्रों में अभी संक्रमण नहीं पाया गया है, वहां संक्रमण फैलने से रोकने के लिए उचित कदम उठायें। संदिग्धों पर कड़ी नजर रखी जाये। साथ ही टेस्टिंग का कार्य भी तेजी से किया जाये।
    तीन मई के बाद लॉकडाउन पर फैसला
    तीन मई को लॉकडाउन की अवधि समाप्त हो रही है। इसे बढ़ाने को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जो निर्णय लिया जायेगा, उसकी समीक्षा के बाद झारखंड की स्थिति के आलोक में आगे की कार्रवाई होगी।
    ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर
    ग्रामीण क्षेत्रों रोजगार मुहैया कराने के लिए एक कार्य योजना तैयार की गयी है। इसके साथ ही ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में आवश्यक कार्रवाई की जानी है। यह जरूरी है कि गरीब की आय सुनिश्चित की जाये, ताकि वे अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें। पीएम ने सोमवार को पोस्ट लॉकडाउन के हालातों के संबंध में क्या आवश्यक सुधार किया जाये की चर्चा पर बल दिया। उनका आशय संभवत: उन आर्थिक सुधारों को लेकर है, जिससे देश में आर्थिक गतिविधियों को बल मिल सके। हेमंत सोरेन ने कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक होगा कि ये सुधार देश के गरीबों और किसानों के हित में हो। गरीबों-किसानों एवं मजदूरों की आमदनी बढ़ानेवाले प्रत्येक आर्थिक सुधार का झारखंड की सरकार समर्थन करेगी।
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