चीन के वुहान शहर से निकल कर पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहे कोरोना वायरस की असलियत धीरे-धीरे सामने आ रही है। यह तो साबित हो चुका है कि इस वैश्विक महामारी की शुरूआत वुहान से ही हुई, लेकिन भारत में यह बीमारी कहां से और कैसे आयी, इस बारे में अब एक-एक कर राज सामने आने लगे हैं। सोमवार को दिल्ली के निजामुद्दीन में 12 सौ से अधिक कोरोना संदिग्धों के मिलने से यह आशंका बलवती हो गयी है कि हमारे देश में यह बीमारी इसी तरह के धार्मिक आयोजनों से फैली। दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन में तबलीगी जमात का सालाना जलसा आयोजित होता रहा है। इसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी लोग आये थे। इस जलसे में शामिल होनेवाले कई लोग कोरोना संक्रमित पाये गये हैं और करीब 20 लोगों की तो मौत हो चुकी है। इससे इस संदेह को बल मिलता है कि भारत में कोरोना संक्रमण फैलने की जड़ निजामुद्दीन मरकज में शामिल हुए विदेशी हैं। दिल्ली और उत्तरप्रदेश में इस मामले के सामने आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। इधर तबलीगी जमात में शामिल एक मलेशियाई महिला, जो रांची में मसजिद में रूकी हुई थी, में कोरोना वायरस पाये जाने से झारखंड भी सहम गया है। पहले तमाड़, फिर धनबाद और अब रांची की मस्जिदों से तबलीगी जमात के विदेशियों को पकड़ा गया के बाद प्रशासन भी सख्त हुआ है। रांची की घटना के बाद से अब पूरे झारखंड पर खतरा मंडराने लगा है। तबलीगी जमात और भारत में कोरोना संक्रमण फैलने के संबंधों की पड़ताल करती आजाद सिपाही ब्यूरो की रिपोर्ट।
तबलीगी जमात के आयोजकों ने घोर अपराध किया है: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन
सोमवार 30 मार्च को देश भर में उस समय हड़कंप मच गया, जब यह खबर आयी कि दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में आयोजित तबलीगी जमात के सालाना जलसे में शामिल होने आये लोगों में करीब दो हजार लोग बीमार हैं। उधर तेलंगाना से खबर आयी कि वहां कोरोना के संक्रमण से छह और लोगों की मौत हुई है और ये सभी उसी जलसे में शामिल हुए थे। यह जलसा 21 से 23 मार्च तक निजामुद्दीन में आयोजित किया गया था। इसमें शामिल होने के लिए देश और दुनिया भर से करीब दो हजार लोग निजामुद्दीन पहुंचे थे। इन दोनों खबरों ने जहां कोरोना से जंग लड़ रहे पूरे देश के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दीं, वहीं इस जलसे में शामिल होने के बाद अपने-अपने घर लौटे लोगों को भारी दहशत में डाल दिया है। बताया जा रहा है कि इस जलसे में यूपी, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, बंगाल और झारखंड समेत दूसरे राज्यों के लोग शामिल हुए थे। इनके अलावा इंडोनेशिया, मलेशिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान, चीन, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान के लोग भी इसमें शामिल हुए थे। ये सभी विदेशी दो से 20 मार्च के बीच भारत आये थे। इसके बाद उड़ानों पर प्रतिबंध के कारण यहीं रह गये।
भारत में तबलीगी जमात को कोरोना का संक्रमण फैलाने का जिम्मेदार माना जा रहा है। इसके पीछे कई ठोस तर्क हैं। सबसे प्रमुख और ठोस तर्क यह है कि देश में तमाम धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध के बावजूद देश की राजधानी में इस तरह लोगों को क्यों और कैसे जमा किया गया। इतना ही नहीं, बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों के इसमें शामिल होने की जानकारी प्रशासन को क्यों नहीं दी गयी। अब, जब इसमें शामिल लोग बीमार पड़ने लगे और मौत के मुंह में समाने लगे, तब भी लोगों को छिपा कर रखा गया।
दिल्ली से पहले 12 मार्च को लाहौर शहर में दुनिया के 80 देशों के ढाई लाख लोग तबलीगी जमात के आयोजन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। आयोजन स्थल पर इतनी ज्यादा भीड़ जुटी कि लोगों को खुले में जमीन पर सोना पड़ा। इस बैठक में 10 हजार मौलाना भी हिस्सा लेने पहुंचे थे। इसका नतीजा यह हुआ कि तबलीगी जमात की यह बैठक पाकिस्तान में कोरोना वायरस के प्रसार का बहुत बड़ा जरिया बन गयी। पाकिस्तान में तबलीगी जमात के 27 सदस्यों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। बताया जा रहा है कि यह संख्या और ज्यादा बढ़ सकती है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कोरोना के बहुत तेजी से बढ़ते मामलों के पीछे भी यही इज्तिमा जिम्मेदार है। भारत में तबलीगी जमात की 18 मार्च को बैठक हुई थी। इस बैठक में हिस्सा लेनेवाले 10 लोगों की कोरोना वायरस से मौत हो गयी है। यह पूरा इलाका ही अब कोरोना का केंद्र बन गया है। ताजा जांच रिपोर्ट में निजामुद्दीन की मरकज बिल्डिंग में मौजूद लोगों में से अब तक 24 को कोरोना संक्रमित पाया गया है। सबसे गंभीर बात यह है कि यह खतरा दिल्ली तक सीमित नहीं है। तेलंगाना,तमिलनाडु से लेकर उत्तराखंड तक कोरोना का यह खतरा फैल चुका है, क्योंकि ये सभी लोग देश के अलग-अलग हिस्सों से आये और गये हैं। इससे पूरे देश में कोरोना के फैलने का खतरा बढ़ गया है। इतना ही नहीं, बहुत से लोग कोरोना प्रभावित देशों से भी आये थे।
आंध्रप्रदेश से मिली खबर के अनुसार यहां से भी तबलीगी जमात में काफी संख्या में लोग शामिल हुए थे। वहां से लौटने के बाद वहां अफरा&तफरी का माहौल है। गुंटूर के विधायक मुस्तफा शेख के भाई भी आयोजन में शामिल हुए थे। उन्हें भी कोरोना हुआ है। विधायक समेत उनके परिवार 14 लोगों को क्वारेंटाइन में रखा गया है।
दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित जलसे में शामिल हुए लोगों में से छह की मौत कोरोना से होने की सूचना है। इनमें से दो की मौत हैदराबाद के गांधी अस्पताल, दो की मौत निजी अस्पताल, एक की मौत निजामाबाद और जबकि एक की मौत गडवाल में हुई है।
यूपी-बिहार में हड़कंप
तबलीगी जमात के लोगों के बीमार पड़ने की खबर के बाद पश्चिमी यूपी के 18 जिलों में हड़कंप मचा हुआ है। इनमें गाजियाबाद, मेरठ, सहारनपुर, मुजफ्फरपुर, शामली, हापुड़, बिजनौर, बागपत, वाराणसी, भदोही, मथुरा, आगरा, सीतापुर, बाराबंकी, प्रयागराज, बहराइच, गोंडा और बलरामपुर शामिल हैं। इनमे से कुछ जिले दिल्ली से सटे हुए हैं और यहां के लोग बड़ी संख्या में मरकज में शामिल हुए थे। इस संबंध में यूपी के डीजीपी ने 18 जिलों के एसपी को पत्र भेज कर इस कार्यक्रम में पहुंचनेवाले लोगों को तलाशने का निर्देश दिया है। यूपी के डीजीपी ने कहा है कि अगले एक सप्ताह में इन जिलों में कोरोना संक्रमण का विस्फोट हो सकता है। इधर बिहार के कई जिलों में भी दहशत फैल गयी है।
क्या कर रही है सरकार: केंद्र और राज्य सरकारें अब तबलीगी जमात के मरकज में शामिल हुए तमाम लोगों की पहचान में जुटी हैं। इन सभी के घरों को क्वारेंटाइन किया जा रहा है। इसके अलावा इन लोगों के संपर्क में आये लोगों का भी पता लगाया जा रहा है, ताकि उन्हें भी क्वारेंटाइन किया जा सके। इसमें कितना वक्त लगेगा, यह तो अभी नहीं बताया जा सकता, लेकिन इस एक जमात ने पूरे भारत को गंभीर खतरे में डाल दिया है।
झारखंड पर खतरा गहराया
कल तक कोरोना संक्रमण से अछूता रहा झारखंड भी तबलीगी जमात में शामिल एक महिला के करोना पाजिटिव होने के कारण हिल गया है। रांची से 46 लोग भी उस जलसे में शामिल होने गये थे और दूसरा यह कि यहां की मस्जिदों में विदेशियों के छिपे होने की जानकारी छिपा कर रखी गयी थी। पहले तमाड़ के रड़गांव में, फिर धनबाद के गोविंदपुर में और अब राजधानी रांची की एक मस्जिद में छिपे विदेशियों के पकड़े जाने के बाद कोरोना संक्रमण का खतरा बहुत बढ़ गया है। पता चला है कि इन मसजिदों में जो विदेशी रूके हुए थे, वे सभी के सभी निजामुद्दीन मरकज के आयोजन में शामिल हुए थे। तबलीगी जमात ने अंडमान को भी झकझोर कर रख दिया है। यहां के लोग भी निजामुद्दीन मरकज में शामिल हुए थे। उनमें से नौ लोगों को कोरोना पाजिटिव पाया गया है। वहां से आने के बाद बतीयत खराब हुई और जांच में पता चला कि उनमें नौ लोग कोरोना पाजिटिव हैं और जो दसवां मरीज मिला, वह इन्हीं में से एक की पत्नी है। इस घटना के बाद अंडमान भी पूरी तरह हिल गया है।
क्या है तबलीगी जमात और मरकज
मरकज, तबलीगी जमात, ये तीनों शब्द अलग-अलग हैं। तबलीगी का मतलब होता है, अल्लाह के संदेशों का प्रचार करनेवाला। जमात मतलब, समूह और मरकज का अर्थ होता है मीटिंग के लिए जगह। यानी कि अल्लाह की कही बातों का प्रचार करनेवाला समूह। तबलीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं और इसी का प्रचार-प्रसार करते हैं। इसका मुख्यालय दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित है। एक दावे के मुताबिक इस जमात के दुनिया भर में 15 करोड़ सदस्य हैं। 20वीं सदी में तबलीगी जमात को इस्लाम का एक बड़ा और अहम आंदोलन माना गया था। कहा जाता है कि तबलीगी जमात की शुरूआत मुसलमानों को अपना धर्म बनाये रखने और इस्लाम का प्रचार-प्रसार तथा जानकारी देने के लिए की गयी। भारत में 1927 में मौलाना मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने तबलीगी जमात आंदोलन हरियाणा के नूंह जिले के गांव से शुरू किया था। तबलीगी जमात का काम आज दुनियाभर के लगभग 213 देशों तक फैल चुका है।
तबलीगी जमात के मरकज से ही अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें निकलती हैं। इनमें कम से कम तीन दिन, पांच दिन, दस दिन, 40 दिन और चार महीने तक की जमातें निकाली जाती हैं। एक जमात में आठ से दस लोग शामिल होते हैं। इनमें दो लोग सेवा के लिए होते हैं, जो खाना बनाते हैं। जमात में शामिल लोग सुबह-शाम शहर में निकलते हैं और लोगों से नजदीकी मस्जिद में पहुंचने के लिए कहते हैं। सुबह 10 बजे ये हदीस पढ़ते हैं और नमाज पढ़ने और रोजा रखने पर इनका ज्यादा जोर होता है। इस तरह से ये अलग इलाकों में इस्लाम का प्रचार करते हैं और अपने धर्म के बारे में लोगों को बताते हैं। हरियाणा के नूंह से 1927 में शुरू हुए इस तबलीगी जमात की पहली मरकज 14 साल बाद हुई। 1941 में 25 हजार लोगों के साथ पहली मीटिंग आयोजित हुई और फिर यहीं से ये पूरी दुनिया में फैल गया। विश्व के अलग-अलग देशों में हर साल इसका वार्षिक कार्यक्रम आयोजित होता है, जिसे इज्तेमा कहते हैं।