Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Saturday, June 7
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»स्पेशल रिपोर्ट»आखिर हिंदुस्तान को क्यों तबाह करना चाहते हैं ये चंद लोग
    स्पेशल रिपोर्ट

    आखिर हिंदुस्तान को क्यों तबाह करना चाहते हैं ये चंद लोग

    azad sipahiBy azad sipahiApril 3, 2020No Comments9 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    तुगलकाबाद में डॉक्टरों पर थूका, इंदौर में स्वास्थ्य टीम को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, मुजफ्फरपुर में पुलिस बल पर हमला और हिंदीपीढ़ी में स्वास्थ्य टीम को जांच करने से रोका, रजिस्टर फाड़ा

    पूरा देश इस समय एक होकर वैश्विक महामारी से जंग लड़ रहा है। देश के सर्वोच्च स्तर से लेकर गांवों की गलियों तक में आम लोग इस जानलेवा बीमारी से बचने के लिए खुद को घरों में बंद किये हुए हैं। इस जंग के सेनानी लगातार लोगों की सेवा कर रहे हैं, उन्हें मदद पहुंचा रहे हैं। ऐसे में यदि इन सेनानियों पर संगठित रूप से हमला किया जाये, उनके काम में बाधा पहुंचायी जाये और उनके साथ बदसलूकी की जाये, तो इसे क्या कहा जायेगा। निश्चित तौर पर ऐसी गतिविधियां न केवल देश और समाज के खिलाफ, बल्कि इंसानियत के खिलाफ हैं और इसे देश को तबाह करने की साजिश ही कहा जा सकता है। दिल्ली से लेकर इंदौर और रांची तक, बेंगलुरू से हैदराबाद तक और बिहार के गोपालगंज, मुंगेर से लेकर मधुबनी तक पुलिसकर्मियों, डॉक्टरों और अन्य कर्मियों को पीटा जा रहा है, उन पर पथराव किये जा रहे हैं और उनके काम में बाधा पहुंचायी जा रही है। यह निंदनीय और अक्षम्य है। इन गतिविधियों से साबित होता है कि यह सब एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश को तबाह करना है। ऐसे कुत्सित प्रयासों पर देश के मशहूर शायर और इंदौर की गलियों में जिंदगी बसर करनेवाले राहत इंदौरी ने अपने शहर की घटना पर जो कहा, उससे जाहिर हो जाता है कि यह हमलावर सोच ही सबसे बड़ा वायरस है। राहत कहते हैं- कल रात 12 बजे तक मैं दोस्तों से फोन पर पूछता रहा कि वह घर किसका है, जहां डॉक्टरों पर थूका गया है, ताकि मैं उनके पैर पकड़ कर माथा रगड़कर उनसे कहूं कि खुद पर, अपनी बिरादरी, अपने मुल्क और इंसानियत पर रहम खाएं। यह सियासी झगड़ा नहीं, बल्कि आसमानी कहर है, जिसका मुकाबला हम मिलकर नहीं करेंगे तो हार जाएंगे। मोदी ने भी कहा कि सभी मत-पंथ और सोच के लोग मिलकर कोरोना से लड़ें। सभी धर्मगुरु अपने अनुयाइयों को समझाएं कि वे इस लड़ाई में भागीदार बनें। इस साजिश को बेनकाब करती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।

    घटना:1- धर्म की तालीम लेनेवालों ने डॉक्टरों पर थूका
    निजामुद्दीन स्थित मरकज की इमारत से बुधवार सुबह तक 2361 से ज्यादा जमातियों को बाहर निकाला गया था। 167 लोगों को क्वारेंटाइन सेंटर ले जाया गया। जमातियों ने पूरी इमारत में जगह-जगह थूका। पुलिस और डॉक्टर्स को भी इन्होंने भला-बुरा कहा और उन पर भी थूका। स्टाफ को गालियां दीं। एक व्यक्ति ने तो खुदकुशी की भी कोशिश की। वहीं क्वारेंटाइन सेंटर तुगलकाबाद में आज फिर डॉक्टरों के ऊपर थूका। उन्हें गालियां दीं। यही नहीं, क्वारेंटाइन सेंटर में ही मजमा लगा कर एक साथ बंदगी की।

    घटना:2- इंदौर में स्वास्थ्यकर्मियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा
    इंदौर के टाटपट्टी बाखल में बुधवार को कोरोना संक्रमितों की जांच करने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम पर यहां के एक खास वर्ग के लोगों ने पथराव कर दिया। सिलावटपुरा में एक कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत प्रशासन के कान खड़के थे। उस घर के तीन और लोगों के संक्रमित होने की सूचना पर टीम वहां पहुंची थी। अचानक मुहल्ले के लोगों ने टीम पर हमला कर दिया। भाग कर किसी तरह टीम ने जान बचायी।

    घटना:3 – मुजफ्फरपुर में पुलिसवालों पर भीड़ का हमला
    बिहार के मुजफ्फरपुर में 11 साल की बच्ची की संदिग्ध मौत के बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम लोगों की जांच करने गयी थी। लेकिन, भीड़ ने टीम पर ही हमला कर दिया। दो पुलिस जवानों को पीट-पीट कर घायल कर दिया। घटना बुधवार की है। जब स्वास्थ्य विभाग ने जागरूक करने की कोशिश की तो कहने लगे मौत कोरोना की वजह से नहीं हुई। एहतियात बरतने को कहा तो पथराव कर दिया।
    अगर पुलिसकर्मी वहां से नहीं भागते, तो उनकी हत्या निश्चित थी।

    घटना:4 – सहारनपुर मसजिद के बाहर जमा लोगों को समझाने पर हमला
    सहारनपुर के जमालपुर गांव में मंगलवार शाम मसजिद के बाहर इकट्ठा लोगों को पुलिस ने हटने के लिए कहा। सोशल डिस्टेंसिंग की बात कही तो भीड़ मारपीट करने लगी। दो पुलिस जवानों को चोटें आयीं। कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया था, उन्हें भी भीड़ ने छुड़ा लिया। किसी तरह भाग कर पुलिसकर्मियों ने अपनी जान बचायी। पुलिस ने इस मामले में 26 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

    घटना:5 – रायपुर में सैनिटाइजेशन कर रहे कर्मियों को पीटा
    मध्यप्रदेश के रायपुर स्थित नगर निगम के कर्मचारियों ने कोरोना वायरस के संंक्रमण को रोकने के ध्येय से सैनिटाइजेशन कार्यक्रम चलाया है। इसी क्रम में वे टीम के साथ निकले थे। लॉकडाउन के दौरान सैनिटाइजेशन का काम कर ही रहे थे कि अचानक पीछे से भीड़ आयी और गाली-गलौज करते हुए उन पर हमला कर दिया। कर्मचारियों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया।

    घटना: 6- बेंगलुरु में आशा कार्यकर्ता पर हमला
    बेंगलुरु में कोरोनावायरस से जुड़ा आंकड़ा कलेक्ट करने गयी एक आशा कार्यकर्ता पर भीड़ ने हमला बोल दिया। कार्यकर्ता कृष्णावेनी का आरोप है कि एक मसजिद से लोगों को भड़काया गया और इसके बाद उन पर हमला किया गया। गनीमत रही कि आशा कार्यकर्ता वहां से भाग निकली। इस घटना के बाद आशा कार्यकर्ताओं ने कुछ क्षेत्र विशेष में जाने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि वे अपनी जान जोखिम में डाल कर काम नहीं करेंगी।

    घटना:7 – रांची के हिंदपीढ़ी में स्क्रीनिंग करने पहुंची टीम को भीड़ ने भगाया
    रांची के हिंदपीढ़ी इलाके में मलेशिया की एक महिला कोरोना पॉजिटिव पायी गयी है। यहां महिला हिंदपीढ़ी में पांच घरों में आया जाया करती थी। घटना के बाद जिला प्रशासन ने उस क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया है। आसपास के घरों में रहनेवालों के स्वास्थ्य की जांच के लिए जिला प्रशासन ने स्वास्थ्य कर्मियों की एक टीम बनायी। टीम गुरुवार को लोगों की जांच करने पहुंची तो स्थानीय लोगों ने इनका विरोध किया। ये लोग प्रशासन पर हिंदपीढ़ी क्षेत्र को बदनाम करने का आरोप लगा रहे थे। भीड़ ने टीम को वहां से भगा दिया। रजिस्टर को फाड़ दिया।

    घटना:8 – जयपुर में पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंके
    रामगंज इलाके में गश्त कर रहे पुलिसकर्मियों पर पिछले दिनों कुछ लोगों ने पत्थर फेंके। हमले में दो पुलिसकर्मी घायल हुए।
    उक्त इलाके में भीड़ को अपने घरों से बाहर नहीं निकलने देने के लिए पुलिसकर्मी गश्त लगा रहे थे। वे बाहर निकलनेवाले लोगों को समझा भी रहे थे। अचानक एक तबके ने उन पर हमला कर दिया। उन्होंने भाग कर जान बचायी। गुरुवार को इस मामले में केस दर्ज कर लिया गया।

    बात 30 मार्च की है। दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी जमात के मरकज से करीब ढाई सौ लोगों को निकाल कर लो फ्लोर बसों से विभिन्न क्वारेंटाइन सेंटरों में ले जाया जा रहा था, जहां उनकी जांच होनी थी। बस से जाते वक्त ये लोग पूरे रास्ते पुलिसकर्मियों पर थूकते रहे। इतना ही नहीं, क्वारेंटाइन सेंटरों में भी इन्होंने चिकित्साकर्मियों और डॉक्टरों के साथ हाथापाई की, उन पर थूक दिया और जम कर उत्पात मचाया। इसकी शिकायत इन सेंटरों के प्रभारियों ने की। अगले दिन दिल्ली से डेढ़ हजार किलोमीटर दूर बिहार के मधुबनी जिले के एक गांव में जब पुलिस टीम वहां राजद के एक स्थानीय नेता द्वारा आयोजित जलसे को रोकने के लिए पहुंची, तो उस पर पथराव किया गया, जिसमें चार पुलिसकर्मी घायल हो गये। जवानों को जान बचा कर वहां से भागना पड़ा। इसी दिन बिहार के गोपालगंज जिले के एक गांव में तबलीगी जमात के जलसे में शामिल होनेवालों का पता लगाने के लिए जब पुलिस की टीम पहुंची, तो ग्रामीणों ने उसे घेर लिया और पथराव शुरू कर दिया। पुलिस टीम को बैरंग लौटना पड़ा।
    ये खबरें देश-दुनिया ने देखी-पढ़ी होंगी। इनके विजुअल, फोटो और वीडियो भी देखे होंगे। और अपने-अपने हिसाब से इनके कारणों पर भी विचार किया होगा। लेकिन संकट के इस दौर में इस तरह की गतिविधियां किस ओर इशारा करती हैं। क्या यह सामान्य प्रतिरोध और विरोध है। इसका जवाब निश्चित तौर पर नहीं में है। अब यह प्रमाणित हो चुका है कि निजामुद्दीन में तबलीगी जमात द्वारा आयोजित जलसा देश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलाने का जिम्मेदार है और इस जलसे में शामिल अब तक चार सौ से अधिक लोग इस बीमारी से संक्रमित हो गये हैं। जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ रहा है, उनकी संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में यदि संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इन लोगों की जांच की जा रही है, तो इसमें बुराई ही क्या है। आखिर तबलीगी जमात से जुड़े लोगों को इस तरह का विरोध करने की हिम्मत कहां से मिल रही है। अब फैसला करने का समय आ गया है। जैसा कि सभी जानते हैं कि कोई भी बीमारी या महामारी जाति, धर्म या संप्रदाय देख कर नहीं आती। कोरोना का वायरस भी किसी को नहीं पहचानता। यह किसी को भी अपनी गिरफ्त में ले सकता है और कभी भी ले सकता है। यह वायरस मानव सभ्यता के लिए खतरा बन चुका है और दुनिया के 90 प्रतिशत देश इसकी मार से कराह रहे हैं। ऐसे में यदि भारत में इसके प्रसार से बचने के लिए उपाय किये जा रहे हैं, तो इसका विरोध क्यों हो रहा है, यह समझ से परे है।
    इस विरोध को देख कर साबित होता है कि तबलीगी जमात एक सोची-समझी साजिश के तहत ऐसी गतिविधियों को हवा दे रहा है। जमात के नेता नहीं चाहते कि जलसे के आयोजन के असली उद्देश्य देश के सामने आ सकें। उसकी दूसरी मंशा यह है कि लोगों का ध्यान विरोध की ओर चला जाये और उसके पीछे जमात की कारस्तानी छिप जाये। लेकिन इससे भी बड़ी और खतरनाक मंशा देश-समाज को तबाह करने की है।
    यदि ऐसा नहीं है, तो जलसे के आयोजक सामने क्यों नहीं आ रहे। आखिर वे पुलिस से भागे-भागे क्यों फिर रहे हैं। जब पूरा देश लॉकडाउन में है और लोगों को कोरोना का चेन तोड़ने के लिए घरों में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है, जमात के लोग सड़कों पर उतर कर उत्पात क्यों मचा रहे हैं। क्वारेंटाइन सेंटरों में अशांति क्यों फैला रहे हैं। ये ऐसे सवाल हैं, जिनका उत्तर आज नहीं तो कल जमात के लोगों को देना ही होगा। यह किसी कौम या समूह का संकट नहीं है और इस दौर में भी यदि कोई वर्ग या समाज उत्पात मचाता है, तो न केवल देश और समाज तबाह होगा, बल्कि इंसानियत तबाह हो जायेगी। ऐसे में समाज के सभी वर्गों के प्रमुख लोगों को आगे आकर इन उत्पातियों को समझाना होगा। अब तक तो ऐसा होता नहीं दिख रहा है और यदि यह सिलसिला आगे भी जारी रहा, तो यकीन मानिये, न हम बचेंगे और न आप और न ही हमारा धर्म-संप्रदाय। सब कुछ तबाह हो जायेगा। इसलिए अब समय आ गया है कि ऐसे तत्वों के साथ सख्ती से पेश आया जाये और इन्हें अलग-थलग किया जाये।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleझारखंड में कोरोना का दूसरा मरीज मिला
    Next Article कोरोना: स्क्रीनिंग का विरोध, सड़क पर उतरे लोग
    azad sipahi

      Related Posts

      ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अब ऑपरेशन घुसपैठिया भगाओ

      June 4, 2025

      झारखंड की स्कूली शिक्षा व्यवस्था पर रिजल्ट ने उठाये सवाल

      June 3, 2025

      अमित शाह की नीति ने तोड़ दी है नक्सलवाद की कमर

      June 1, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • प्रधानमंत्री ने चिनाब रेलवे पुल का किया उद्घाटन, वंदेभारत ट्रेन को दिखाई हरी झंडी
      • मुख्यमंत्री ने गुपचुप कर दिया फ्लाईओवर का उद्घाटन, ठगा महसूस कर रहा आदिवासी समाज : बाबूलाल
      • अलकतरा फैक्ट्री में विस्फोट से गैस रिसाव से कई लोग बीमार, सड़क जाम
      • लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर की गयी मंईयां सम्मान योजना की राशि
      • लैंड स्कैम : अमित अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी बेल
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version