भारतीय रिजर्व बैंक ने बिहार के एक सहकारी बैंक पर 5 लाख रुपये जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना नोटबंदी के दौरान केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) पर जारी निर्देशों और चलन से हटाये गये रुपये को बदलने से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने को लेकर लगाया गया है।

सरकार ने नवंबर 2016 में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से हटाने की घोषणा की। आरबीआई ने नोटों को बदलने को लेकर दिशानिर्देश और समयसीमा जारी की थी। केंद्रीय बैंक ने सोमवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि उसने बिहार अवामी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर नोटबंदी के दौरान केवाईसी पर जारी निर्देश और चलन से हटाये गये रुपये को बदलने से जुड़े दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने को लेकर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

आरबीआई ने इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी है। उसने कहा कि सहकारी बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर भी प्रदान किया गया। इसके जवाब में द बिहार अवामी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड ने लिखित जवाब दिया। मामले के तथ्यों और बैंक के जवाब पर विचार करने के बाद, रिजर्व बैंक ने यह पाया कि नियमों का उल्लंघन हुआ है और इसके लिए बैंक पर दंड लगाना आवश्यक है।

सेबी ने एटी-1 बांड मामले में यस बैंक पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कुछ साल पहले भ्रामक जानकारी देकर एटी-1 बांड बेचने के मामले में यस बैंक पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा नियामक ने उस समय यस बैंक की निजी संपदा प्रबंधन टीम के प्रमुख रहे विवेक कंवर पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

आशीष नासा और जसजीत सिंह बंगा पर 50-50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस उल्लंघन के समय ये बैंक की निजी संपदा प्रबंधन टीम का हिस्सा थे। सेबी के आदेश में कहा गया है कि इन लोगों को यह जर्माना 45 दिन में अदा करना होगा।

नियामक ने कहा कि यस बैंक लि. और कुछ अधिकारियों ने ‘भोलेभाले’ ग्राहकों में एटी-1 (एडिशनल टियर-1) बांड को डंप करने के लिए ‘गोलमोल भटकाने’ वाली योजना बनाई। सेबी ने कहा कि एटी-1 बांड की बिक्री के दौरान व्यक्तिगत निवेशकों को इन बांडों की खरीद से जुड़े जोखिमों के बारे में सूचित नहीं किया गया।

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