कोरोना संक्रमण रोकने के लिए अब डॉक्टर, व्यापार संघ और जनता की ओर से तालाबंदी की मांग उठ रही है लेकिन सरकार की तरफ से कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है, इसलिए अब गुजरात धीरे-धीरे स्वैच्छिक तालाबंदी की ओर बढ़ रहा है। वर्तमान में गुजरात के 10 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर अधिकांश व्यवसाय बंद कर दिए गए हैं।
जनता ने कोरोना की श्रृंखला तोड़ने के लिए सरकार से बार-बार तालाबंदी की मांग की है लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। गुजरात के 4 बड़े शहरों के साथ गांवों में भी स्वैच्छिक तालाबंदी की जा रही है। अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा, सूरत सहित अधिकांश क्षेत्र दोपहर के बाद आधे दिन के लिए स्वैच्छिक तालाबंदी करते हैं। पाटन, वलसाड, आणंद, अरवल्ली जैसे जिलों में एक सप्ताह के लिए स्वैच्छिक तालाबंदी शुरू हो गई है। इन जिलों को देखकर अन्य जिलों के व्यापारी भी अपने क्षेत्रों में स्वैच्छिक तालाबंदी की तैयारी कर रहे हैं।
प्रारंभ में व्यापारियों ने केवल शनिवार को सम्पूर्ण और रविवार को आधे दिन के लिए स्वैच्छिक तालाबंदी शुरू की थी लेकिन अब धीरे-धीरे अधिकांश क्षेत्र लगातार 7 से 10 दिनों के लिए स्वैच्छिक तालाबंदी कर रहे हैं। मेहसाणा ट्रेडर्स एसोसिएशन ने स्थानीय प्रशासन के साथ बैठक करके अगले 10 दिनों के लिए दूध, दवा और सब्जियों को छोड़कर सभी बाजारों को बंद करने का फैसला किया है। इसी तरह पाटन के साथ-साथ वलसाड में भी 7 दिन की स्वैच्छिक तालाबंदी की घोषणा की गई है। अरल्ली में मोडासा और बायड में आज से 7 दिनों के लिए स्वैच्छिक तालाबंदी होगी। उल्लंघन करने वालों पर 2,000 रुपये से 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। अहमदाबाद में भी दोपहर 2 बजे के बाद राणीप, न्यू राणीप, वस्त्रापुर, कुबेरनगर, सरदारनगर जैसे क्षेत्रों में स्वैच्छिक तालाबंदी की घोषणा की गई है।
तालाबंदी के संबंध में अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. किरीट गढ़वी ने कहा कि कोरोना संक्रमण के बावजूद लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं। संक्रमण की श्रृंखला तोड़ने के लिए 3 से 4 दिन की तालाबंदी के बजाय 15 दिन की तालाबंदी जरूरी है। एएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मोना देसाई कहा कि मौजूदा मौसम कोरोना संक्रमण में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। यदि लोग कोरोना के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो सरकार के पास संक्रमण की श्रृंखला तोड़ने के लिए कर्फ्यू या तालाबंदी लगाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।
अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन ने जीसीसीआई को पत्र लिखकर कुछ सुझाव भी दिए हैं। जीसीसीआई को लिखे पत्र में कहा गया है कि केवल उन्हीं उद्योगों में आधी क्षमता के साथ काम जारी रखा जाना चाहिए जिनकी सबसे अधिक जरूरत है। बाकी को कम से कम दो सप्ताह तक बंद किया जाना चाहिए। साथ ही सभी कारीगरों का टीकाकरण कराया जाए।