बेगूसराय। वन रैंक वन पेंशन-2 में विसंगति का आरोप लगाते हुए बिहार राज्य भूतपूर्व सैनिक संघ के बैनर तले सोमवार को पूर्व सैनिकों ने बेगूसराय में विरोध प्रदर्शन किया। कैंटीन चौक पर प्रदर्शन कर रहे भूतपूर्व सैनिक पांच सूत्री मांग कर रहे थे। प्रदर्शन के बाद मांग से संबंधित राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन डीएम को सौंपा गया है।
कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे भूतपूर्व सैनिक संघ के जिलाध्यक्ष कैप्टन रामकृष्ण पाठक एवं सचिव सूबेदार राजाराम पोद्दार ने कहा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को अपनी व्यथा सुनाने सड़क पर उतरे हैं। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने वन रैंक वन पेंशन दिया। इससे खुश होकर देश के पूर्व सैनिकों ने हर घर जाकर भाजपा को वोट देने के लिए अपनों को प्रेरित किया। 2019 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी।
उन्होंने कहा कि सेना के रिटायर अधिकारी की कुटिल नीति ने वन रैंक वन पेंशन-2 में आर्मी, एयरफोर्स, नेवी के रिटायर जवान जेसीओ का पेट काटने का काम किया है। शहीद की वीरांगनाएं जंतर मंतर दिल्ली में आकर खून की आसू रोते हैं। इसमें जवान जेसीओ के साथ हुए नाइंसाफी को लेकर देश के जवान जेसीओ का संगठन 20 फरवरी से लगातार दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं।
हमलोग उसका समर्थन करते हुए सरकार से वन रैंक वन पेंशन-2 में हुए विसंगतियों को संशोधित करने की मांग कर रहे हैं। जुलाई 2014 के बाद वाले पीएमआर (वीआरएस) को वन रैंक वन पेंशन से बाहर कर दिया गया। जबकि भर्ती के शर्त के मुताबिक 15 2 साल के सेवा बाद वीआरएस लिया सैनिक पीएमआर नहीं होता है। वीरांगनाओं, शहीद जवान जेसीओ के पत्नी के फेमिली पेंशन और अधिकारी के फेमिली पेंशन में बहुत बड़ा भेदभाव है।
अधिकारी के मुकाबले डिसेबल पेंशन में जवान जेसीओ को कोई खास फायदा नहीं, डिसेबल भत्ता सभी रैंक का एक समान हो, जब वेतन सबका अलग तो डिसेबल भत्ता एक समान क्यों नहीं। जवान जेसीओ के सर्विस पेंशन में अधिकारी के मुकाबले कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। इक्वल एमएसपी एवं अन्य भत्ता बराबर कर जवान जेसीओ के खोए सम्मान को सरकार वापस करे।
देश के सभी पूर्व सैनिकों का उपरोक्त पांच सूत्रीय मांग न्यायसंगत है। इस वन रैंक वन पेंशन-2 में 85 प्रतिशत बजट अधिकारी खा गए, जिन पर वन रैंक वन पेंशन लागू नहीं है। बाकी बचे 15 प्रतिशत में कुछ जवान जेसीओ को देकर मुंह बंद किया गया है। इसलिए वन रैंक वन पेंशन-2 में तत्काल प्रभाव से संशोधन कर उपरोक्त कमियों का त्वरित निवारण किया जाए। देश के पूर्व सैनिकों की व्यथा अगर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री नहीं सुनेंगे तो हमलोग कहां जाएंगे।