अंकारा। तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन को देश के भीतर जोरदार राजनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में हुए चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षण में वे तुर्किये के गांधी कहे जाने वाले कमाल किलिकडारोग्लू से पिछड़ गए हैं।

तुर्किये में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर गहमागहमी तेज है। 2003 से 2014 तक तुर्किये के प्रधानमंत्री और फिर 2014 से राष्ट्रपति के रूप में काम संभाल रहे रेसेप तईप एर्दोगन इस बार चुनाव में छह विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार कमाल किलिकदरोग्लु की कड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। कमाल किलिकडारोग्लू को ‘तुर्किये का गांधी’ कहा जाता है। कमाल तुर्किये में लोगों के हक, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की लड़ाई लड़ते हैं। तुर्किये की मीडिया भी उन्हें कमाल गांधी कहता है। वह महात्मा गांधी की तरह का चश्मा पहनते हैं।

हालिया चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षण में एर्दोगन को अपने प्रतिद्वंद्वी कमाल की तुलना में दस प्रतिशत कम मत मिले हैं। उनकी पार्टी को 45 प्रतिशत और कमाल विपक्षी गठबंधन को 55 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान जताया गया है। एर्दोगन की लोकप्रियता में आई कमी के पीछे खराब आर्थिक नीतियों के कारण देश की बदहाली को बड़ा कारण माना जा रहा है। तुर्किये में 57 प्रतिशत के आसपास महंगाई दर के कारण मुद्रास्फीति नियंत्रण से बाहर हो गई है। तुर्किये की करेंसी लीरा लगातार कमजोर हो रही है।

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