आजाद सिपाही संवाददाता
अयोध्या। अक्षय तृतीया में अयोध्या में राम मंदिर का 156 देशों के जल से अभिषेक किया गया। इसमें अमेरिका के 14 मंदिरों और 12 नदियों का जल भी शामिल है। 13 देशों के राजदूत, 40 देशों के अप्रवासी भारतीय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अयोध्या पहुंचे। इसमें तजाकिस्तान के ताज मोहम्मद भी हैं। उन्होंने बाबर की जन्मभूमि की नदी कश्क-ए-दरिया समेत कई मुस्लिम देशों की नदियों का जल भेजा है। मणिराम छावनी के सभागार में कार्यक्रम सुबह 10 बजे से शुरू हुआ। सबसे पहले हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। वहीं, आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश ने नया नारा ‘भारत जय जगत’ दिया।
31 महीने में जुटाया जल:
दिल्ली के पूर्व भाजपा विधायक विजय जौली श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के साथ मिल कर यह कार्यक्रम कर रहे हैं। जौली ने बताया कि जलाभिषेक के लिए 156 देशों का जल कलश अयोध्या लाया गया। इसमें उज्बेकिस्तान के ताशकंद की चिरचिक नदी, तजाकिस्तान की वख्श नदी, यूक्रेन की डेनिस्टर, रूस की वोल्गा, मॉरिशस का गंगा तालाब और हिंद महासागर का जल भी है। उन्होंने कहा कि जलाभिषेक कार्यक्रम के लिए इतने देशों का जल जुटाने के लिए 31 महीने का समय लगा। स्टॉकहोम से आशीष ब्रह्मभट्ट ने कोरोना काल के बाद सबसे पहली विस्तारा की फ्लाइट से जल भेजा। हमने यूक्रेन और रूस के साथ चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी जल मंगाया है। उन्होंने कहा कि जलाभिषेक कार्यक्रम श्रीराम की अथक भक्ति का परिणाम है। श्रीराम विश्वव्यापी हैं। उनके मंदिर को पूरे विश्व का समर्थन है। हमारा प्रयास पूरे विश्व को आतंक और युद्ध से मुक्त कर श्रीराम की भक्ति और प्रेम से जीतने का संदेश देना है। इसमें हिंदू, मुस्लिम, जैन, पारसी और बुद्ध आदि विश्व के कई धर्मों के लोगों का सहयोग है।
40 देशों के करीब 200 लोग जुटे:
जौली ने कहा कि इस आयोजन में शामिल होने के लिए फिजी से राजेंद्र प्रसाद, आस्ट्रेलिया से परशुराम, मकाऊ से अरुणा झा, नेपाल के सांसद विनोद चौधरी, मॉरीशस से बालाजी, रोमानिया से विजय मेहता, सिंगापुर के पुरुषोत्तम कुमार सहित युगांडा, रोमानिया, मंगोलिया, भूटान, श्रीलंका, नार्वें समेत 40 देशों के करीब 200 लोगों का समूह आया है। पूरा कार्यक्रम श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का निर्देशन और पूज्य संतों का मार्गदर्शन में हुआ।
इन 13 देशों के राजदूत रहे शामिल:
कार्यक्रम में अल्बानिया के राजदूत देवेंद्र पाल सिंह, फिजी के राजदूत कमलेश शशि प्रकाश, रोमानिया विजय मेहता, मंगोलिया ज्ञान बोर्ड, भूटान के किमजोंग दारजिक, सूरीनाम अरुण कुमार, मोंटीनीग्रो डॉ जैनेश दरबारी, तूआलू के डॉ दीपक जैन, कामरास के एस गंजू, ग्रीस एलेकजेंडर वाड्रेश, कोपॉवर्ड के संजय कुमार दीवान के अलावा हम्फी और कंबोडिया के राजदूत शामिल थे। सभी राजदूत उन देशों के हैं, जो भारत में कार्यरत हैं।