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    Home»देश»जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने पहलगाम हमले पर दुख जताया, आतंकवाद से लड़ने का संकल्प
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    जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने पहलगाम हमले पर दुख जताया, आतंकवाद से लड़ने का संकल्प

    shivam kumarBy shivam kumarApril 28, 2025No Comments3 Mins Read
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    – मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया
    जम्मू। पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले के बाद सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। पेश किये गए प्रस्ताव में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने और प्रगति में बाधा डालने के नापाक इरादों को हराने के लिए दृढ़ता से लड़ने का संकल्प लिया गया।

    जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने प्रस्ताव पेश किया, जिसकी शुरुआत सदस्यों ने पिछले सप्ताह इस आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखकर की। प्रस्ताव में काह गया कि जम्मू-कश्मीर की विधानसभा अपने सभी नागरिकों के लिए शांति, विकास और समावेशी समृद्धि का माहौल बनाने, जम्मू-कश्मीर के सांप्रदायिक सद्भाव और प्रगति को बाधित करने की कोशिश करने वालों के नापाक इरादों को दृढ़ता से हराने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।

    विशेष सत्र के दौरान उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यह सदन 22 अप्रैल को पहलगाम में निर्दाेष नागरिकों पर किए गए बर्बर और अमानवीय हमले पर गहरा दुख और पीड़ा व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि यह सदन इस जघन्य, कायरतापूर्ण कृत्य की स्पष्ट रूप से निंदा करता है, जिसमें निर्दाेष लोगों की जान चली गई। प्रस्ताव का हवाला देते हुए चौधरी ने कहा कि आतंक के ऐसे कृत्य कश्मीरियत के लोकाचार, हमारे संविधान में निहित मूल्यों और एकता, शांति और सद्भाव की भावना पर सीधा हमला हैं, जो लंबे समय से जम्मू-कश्मीर और हमारे राष्ट्र की विशेषता रही है। दस्तावेज में कहा गया है कि यह सदन पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ पूरी एकजुटता से खड़ा है। हम उन लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं, जिन्हें अपूरणीय क्षति हुई है।

    प्रस्ताव में टट्टू सवारी संचालक सैयद आदिल हुसैन शाह के सर्वाेच्च बलिदान का उल्लेख किया गया, जिन्होंने पर्यटकों को आतंकवादी हमले से बचाने की कोशिश करते हुए अपनी जान दे दी। उनका साहस और निस्वार्थता कश्मीर की सच्ची भावना को दर्शाता है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी प्रेरणा के रूप में काम करेगा। इसमें कहा गया है कि यह सदन कश्मीर और जम्मू के लोगों की हमले के बाद एकता, करुणा और लचीलेपन के उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए सराहना करता है।

    प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि यह सदन इस हमले के पीड़ितों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाने के पीछे की भयावह साजिश से अवगत है। यह समाज के सभी वर्गों और विशेष रूप से मीडिया से अपील करता है कि वह गैर-जिम्मेदाराना तरीके से भावनाओं को भड़काकर इस भयावह साजिश का शिकार न बनें। इस विभाजन के प्रयास के सामने एकजुट रहने की आवश्यकता पर जोर दिया जा सकता है। प्रस्ताव में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से वहां रहने वाले या वहां यात्रा करने वाले कश्मीरी छात्रों और नागरिकों की सुरक्षा, सम्मान और भलाई सुनिश्चित करने और उनके उत्पीड़न, भेदभाव या धमकी को रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने की अपील की गई है।

    प्रस्ताव में कहा गया है कि यह सदन देश भर के सभी राजनीतिक दलों, धार्मिक और सामुदायिक नेताओं, युवा संगठनों, नागरिक समाज समूहों और मीडिया घरानों से शांति बनाए रखने, हिंसा और विभाजनकारी बयानबाजी को अस्वीकार करने और शांति, एकता और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए सामूहिक रूप से काम करने का आह्वान करता है। प्रस्ताव पारित होने से पहले सदन में इस पर बहस चल रही है।

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