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    Home»देश»विकास के हथियार से नक्सलियों की तोड़ी कमर
    देश

    विकास के हथियार से नक्सलियों की तोड़ी कमर

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीMay 8, 2017No Comments5 Mins Read
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    नयी दिल्ली: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि झारखंड में नक्सली घटनाएं कम हुई हैं। खास तौर पर राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद हुए विकास कार्यों से उग्रवादियों की कमर टूटी है। सरकार विकास कार्यों पर फोकस कर रही है। सरकार की नीतियां, दुर्गम क्षेत्रों में बढ़ता विकास और पुलिस तथा सीआरपीएफ के सम्मिलित प्रयास से यह संभव हो सका है। मुख्यमंत्री ने उक्त बातें सोमवार को नयी दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बुलायी गयी नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में कहीं। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने की। इसमें झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, डीजीपी डीके पांडेय समेत आला अधिकारी भी शामिल हुए।
    मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की पहल की सराहना करते हुए कहा कि वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बहुत ही समसामयिक निर्णय है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस बैठक में वामपंथ उग्रवाद को समाप्त करने की दिशा में नयी पहल का अनावरण होगा एवं नयी ऊर्जा के साथ इस कार्य में सभी लगेंगे। अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने झारखंड में उग्रवाद में किस प्रकार कमी आयी है, इसकी पूरी रिपोर्ट पेश की।

    नक्सलियों का जनाधार घटा
    उन्होंने कहा कि विगत दो सालों में सार्थक एवं कारगर अभियान के कारण झारखंड में नक्सलियों के जनाधार में काफी कमी आयी है। वर्ष 2001 से 2014 के बीच जहां नक्सली घटनाओं की औसत संख्या प्रतिवर्ष करीब 400 थी, वहीं वर्ष 2015 एवं वर्ष 2016 में यह औसतन 200 से भी कम हुई है।
    वर्ष 2001-14 के बीच नक्सली हमलों/मुठभेड़ में शहीद होनेवाले पुलिसकर्मी की औसत संख्या प्रतिवर्ष 35 एवं मृतक आम नागरिकों की संख्या 115 रही, जो दो वर्षों में घट कर क्रमश: 05 एवं 50 के करीब है। पहले नक्सलियों द्वारा पुलिस हथियार लूटे जाने की औसत संख्या 39 रही, जबकि विगत दो वर्षों में यह संख्या शून्य हो गयी है।

    नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास पर फोकस
    सीएम ने कहा कि घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य में सारंडा और सरयू एक्शन प्लान के अलावा 11 अन्य क्षेत्रों के लिए कार्ययोजना बनायी गयी है। इसके तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार सहित अन्य विकास कार्यों पर विशेष जोर दिया जा रहा है, जिसके अपेक्षित परिणाम भी नजर आ रहे हैं।
    नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बालक- बालिकाओं के ड्रॉप आउट का सर्वेक्षण कर उनका नामांकन किया जा रहा है। नये आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना की जा रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए महिलाओं के सखी मंडल को बैंकों से जोड़ा जा रहा है। उग्रवाद प्रभावित जिलों में बेरोजगार युवकों की सूची बना कर उन्हें हुनरमंद बनाया जा रहा है। युवकों को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से जोड़ कर प्रशिक्षित किया

    आकर्षक समर्पण नीति
    सीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने वामपंथी उग्रवादियों के आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास के लिए नयी नीति बनायी है। जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया गया है। वर्ष 2016 में पुरस्कार नीति में व्यापक परिवर्तन करते हुए उसे काफी आकर्षक बनाया गया। हमारी सरकार ने इनामी नक्सलियों की संख्या 100 से बढ़ा कर 200 कर दी। साथ ही पुरस्कार राशि की अधिकतम सीमा एक करोड़ तक कर दी गयी है। परिणामस्वरूप कई उग्रवादी मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। जहां वर्ष 2001 से 2014 तक 70 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया था, वही दो वर्षों में 81 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है।

    भविष्य की चुनौतियां
    मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भविष्य की चुनौतियों पर कहा कि नक्सल उन्मूलन के लिए झारखंड सरकार को व्यावहारिक दृष्टिकोण से कई कठिनाइयों एवं चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ माओवादियों ने संगठन छोड़ कर अपना अन्य संगठन तैयार कर लिया है, जो हिंसात्मक कार्रवाई एवं लेवी वसूलने में संलिप्त हैं। इन स्पिलिंटर गु्रप में मुख्यत: पीएलएफआइ, जेपीसीसी जैसे संगठन शामिल हैं। इन संगठनों द्वारा विकास कार्य में लगी एजेंसी से लेवी वसूल किये जाने, मशीनों में आगजनी और मजदूरों के साथ मारपीट की घटनाएं होती रहती हैं। सुरक्षा बलों द्वारा ऐसे आपराधिक तत्वों की पहचान करके कई स्थानों पर ठोस एवं कारगर कार्रवाई की गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि माओवादी नक्सली घटना को अंजाम देकर पड़ोसी राज्यों बिहार/ छत्तीसगढ़/ ओड़िशा में प्रवेश कर जाते हैं। झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ एवं ओड़िशा राज्य को मिलकर नक्सल उन्मूलन के लिए लगातार संयुक्त आॅपरेशन चलाये जाने की आवश्यकता है। पड़ोसी राज्यों द्वारा भी सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाना चाहिए।

    संयुक्त प्रयास पर जोर
    सीएम ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अभियान चला कर नक्सलियों की शरणस्थली को खत्म करने का काम करना होगा। इसके लिए मैं सभी मुख्यमंत्रियों से अनुरोध करूंगा कि संयुक्त अभियान दल बनाने की दिशा में गंभीरता से विचार करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं यह आश्वस्त करना चाहूंगा कि झारखंड सरकार पूरी लगन के साथ इस समस्या से निपटने का प्रयास कर रही है। मैं गृहमंत्री से आग्रह करूंगा कि इन विषयों पर निर्णय लिया जाये, जिससे वामपंथ उग्रवाद के विरुद्ध चलायी जा रही मुहिम में और तेजी लायी जा सके।

    पूरी ताकत के साथ नक्सलियों से निपटेंगे: राजनाथ

    नयी दिल्ली : नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि पूरी ताकत और नयी रणनीति के साथ हम नक्सलियों से निपटेंगे। उनके मुताबिक, बीते 20 वर्षों में माओवादी हिंसा के कारण लगभग 12,000 लोगों की जानें गयी हैं। इसलिए वामपंथी कट्टरपंथ से लड़ने का मूलभूत नियम है कि उनके वित्तीय संसाधनों को रोक दिया जाये। गृह मंत्री ने कहा कि नक्सल समस्या का तुरंत हल नहीं निकला जा सकता, इसका कोई शॉर्टकट भी नहीं है, इस समस्या को लघु अवधि-मध्यम अवधि और दीर्घकालिक हलों के जरिये ही सुलझाया जा सकता है। राजनाथ ने कहा कि जमीन पर सुरक्षा बलों में नेतृत्व की कमी नहीं होनी चाहिए। नक्सल आॅपरेशन पर राज्यों को अपना अधिकार सुनिश्चित करना होगा और सीआरपीएफ के साथ सहयोग कर काम करना होगा।

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