पेइचिंग: चीन ने दक्षिण चीन सागर के एक विवादित चट्टान पर रॉकेट लॉन्चर्स तैनात कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि इसका मकसद वियतनाम के सैन्य गोताखोरों को इस जगह से दूर रखना है। चीन के एक सरकारी अखबार ने इसकी जानकारी दी है। दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रुख का भारत भी विरोध करता रहा है। जानकारों का कहना है कि चीन का यह ताजा कदम पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।
इससे पहले पेइचिंग ने कहा था कि दक्षिणी चीन सागर के द्वीपों पर सैन्य निर्माण कराने का उसका मकसद सीमित है और इसका इस्तेमाल वह जरूरी सुरक्षा के लिए करेगा। साथ ही चीन ने यह भी कहा था कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में जो भी करना चाहे, वह करने के लिए स्वतंत्र है। उधर, अमेरिका ने चीन द्वारा इस विवादित क्षेत्र में कराए जा रहे सैन्य निर्माण कार्य की निंदा करते हुए कहा था कि चीन अपनी समुद्री चौकियों का सैन्यीकरण कर रहा है। अमेरिका ने फिर से दोहराया कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों के मुताबिक अन्य देशों को इस क्षेत्र से गुजरने का अधिकार है। वॉशिंगटन की ओर से यह भी कहा गया कि बाकी देशों को दक्षिणी चीन सागर में समय-समय पर हवाई व नौसैनिक पैट्रोलिंग करने का भी पूरा अधिकार है। अमेरिका के इस बयान पर चीन ने काफी नाराजगी भी जताई थी।
चीन सरकार के नियंत्रण वाले अखबार ‘डिफेंस टाइम्स’ ने मंगलवार को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि स्प्रैटलि द्वीपसमूह में स्थित फियरी क्रॉस चट्टान पर रॉकेट लॉन्चर डिफेंस सिस्टम तैनात किया गया है। ये रॉकेट लॉन्चर्स दुश्मन देश के गोताखोरों की पहचान कर सकते हैं और उन पर हमला भी कर सकते हैं। फियरी क्रॉस रीफ पर चीन का अधिकार है, लेकिन उसके इस अधिकार को फिलीपीन्स, वियतनाम और ताइवान चुनौती देते हैं। ये सभी देश इस चट्टान पर अपना दावा करते हैं। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में यह साफ नहीं किया है कि चीन ने यह डिफेंस सिस्टम कब लॉन्च किया, लेकिन इतना जरूर बताया गया है कि यह मई 2014 में शुरू की गई रक्षात्मक गतिविधियों का ही हिस्सा है।
मालूम हो कि मई 2014 में वियतनाम के गोताखोरों ने पारासेल द्वीपसमूह पर बड़ी मात्रा में मछली पकडऩे के जाल लगाए थे। इसके बाद चीन ने बड़े स्तर पर फियरी क्रॉस रीफ और इसके आसपास के इलाकों में भूमि सुधार गतिविधियां शुरू कीं। चीन ने यहां एक हवाई अड्डा भी बनाया। पिछले कुछ सालों के अंदर दक्षिण चीन सागर में चीन ने बड़े स्तर पर निर्माण कार्य कराया है।अंतरराष्ट्रीय उद्योग और कारोबार के लिहाज से दक्षिणी चीन सागर बहुत अहमियत रखता है। यहां प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल का भी बहुत बड़ा भंडार है। चीन इस पूरे इलाके को अपना बताता है, वहीं वियतनाम, मलयेशिया, ब्रूनई, फिलीपीन्स और ताइवान भी इसके कई हिस्सों पर अपना दावा करते हैं।