आजाद सिपाही संवाददाता
धनबाद। इधर मीडिया में हाल में चर्चा में आये धनबाद के व्यवसायी दीपक सांवरिया ने बोकारो के डीआइजी प्रभात कुमार को मेल से एक शिकायत पत्र भेजा है। इसमें दीपक सांवरिया ने कहा है कि 6 अक्तूबर 2017 को उन्होंने सीबीआइ को यह शिकायत पत्र भेजा था।
इसमें मनोज गुप्ता का फोन नंबर भी था। उसे झारखंड के किसी अन्य उच्चाधिकारी को नहीं भेजा गया था, क्योंकि एडीजी अनुराग गुप्ता उस समय पद पर थे। शिकायत पत्र में सांवरिया ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के दुबरा में उनका एक प्लांट है, जिसका नाम कन्हैया पावर प्राइवेट लिमिटेड है। उस समय बंगाल के एसपी जय विश्वास ने पाड़ा थाना के माध्यम से मेरे प्लांट में सूचना भिजवायी कि वहां संचालन बंद कर दिया जाये और पुरुलिया एसपी से मिलने को कहा। जब मेरा प्रतिनिधि पुरुलिया एसपी से मिला, तो उन्होंने मनोज गुप्ता का फोन नंबर दिया।
जब मेरे प्रतिनिधि ने मनोज गुप्ता को फोन किया, तो उन्होंने सुनील वर्मा (अशोक वर्मा) का नंबर दिया। तब हमें यह जानकारी मिली कि उन लोगों ने तीन और प्लांट मालिकों को प्लांट बंद करने के लिए कहा है। जब हम लोगों ने उनसे बात की, तो सुनील वर्मा उर्फ अशोक वर्मा ने हम चारों को जिसमें सुधीर चोटाला, सुमित सांवरिया, अमित सांवरिया और मेरे प्रतिनिधि आयुष चौधरी शामिल थे, से बात की और हमें व्यक्तिगत रूप से धनबाद क्लब आने को कहा। वहां सुधीर चोटाला और मेरे प्रतिनिधि आयुष चौधरी से 35-35 लाख और बाकी दो लोगों से 25-25 लाख रुपये की मांग की गयी। मेरे प्रतिनिधि ने धनबाद क्लब में हुई इस बैठक और पूरी बातचीत को रिकार्ड कर लिया।
यह बातचीत मैं मेल में नहीं भेज पा रहा हूं, क्योंकि इसका आकार बहुत बड़ा है। मैं इसे पेन ड्राइव के जरिये कभी भी शेयर कर सकता हूं। जहां तक मेरी जानकारी है, मुझे छोड़ कर बाकी तीन लोगों ने पैसा दे दिया और मुझे मनोज गुप्ता ने सूचित किया कि मुझे प्लांट चलाने के लिए हर कीमत पर रकम देनी ही होगी। मनोज गुप्ता, एडीजी अनुराग गुप्ता से जुड़ा है। मैंने तत्कालीन एसएसपी मनोज रतन चोथे को मैसेज के माध्यम से यह जानकारी देने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया। मैंने बंगाल पुलिस के पास भी एक शिकायत दर्ज करायी, लेकिन उन्होंने कहा कि वे एसएसपी के सहयोग के बिना इसमें कुछ नहीं कर सकते और किसी को गिरफ्तार भी नहीं कर सकते। इससे पहले 2010 में मुझे दो ट्रकों के मामले में एसपी ने बुलाया था। वह काफी सख्त थीं। वहां कोई पैरवी नहीं चल सकती थी। उस समय योगेंद्र अग्रवाल (मोहन बाबू ) ने मुझसे कहा था कि इस केस को पुलिस से हटा कर सीआइडी को सौंपने के लिए पचास लाख रुपये देने होंगे। चूंकि मेरा मामला सही था, मैंने कुछ नहीं किया और अदालत से केस खारिज हो गया।
वहीं धनबाद में दीपक सांवरिया ने आजाद सिपाही के संवाददता से बातचीत में सीएम हेमंत सोरेन से यह मांग की है कि उनके प्रकरण की जांच करायी जाये, वह गवाही देने को तैयार हैं।