रांची। झारखण्ड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने कोरोेना महामारी को लेकर जरूरतमंदों, गरीबों, प्रवासी मजदूरों, विद्यार्थियों के सेवार्थ बनाई गई समितियों की रिपोर्ट मंगवाई है, ताकि संगठन द्वारा किये गये कार्यों की समीक्षा कर आने वाले एक महीने के लाॅक डाउन के मददेनजर आमजनों को राहत देने का काम किया जा सके और उसे अधिक गति दी जा सके।
प्रदेश कांग्रेस राहत निगरानी समिति कंट्रोल रूम में आयोेजित दैनिक बैठक में कहा गया है कि सभी स्थितियों का मूल्यांकन करने के बाद ही सरकार लाॅक डाउन को लेकर फैसला करेगी।
केन्द्र सरकार ने अपना पल्ला झाड़ते हुए सभी निर्णय राज्य सरकारों पर थोपनेे का काम किया है। केन्द्र सरकार हर माोर्चे पर विफल होने के बाद राज्यों को निर्णय लेने का अधिकार दिया है जबकि शुरूआत में राज्यों से कोई संवाद स्थापित नहीं किया गया है।
समिति के सदस्य सह प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे एवं  राजेश गुप्ता  नेे सरकार से पब्लिक ट्रांसपोर्ट प्रारम्भ करने की मांग की है ताकि आमजनों को आने-जाने में सुविधा हो सके।
कंट्रोल रूम में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में देश की मूल समस्याओं, लॉक डाउन के बाद आर्थिक गतिविधियों को गति देने, बेरोजगार हो चुके लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने, अब भी देशभर के विभिन्न हिस्सों से घर लौट रहे प्रवासी श्रमिकों की परेशानियों तथा गरीब और जरूरतमंद परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी।
प्रवक्ताओं ने कहा कि वैश्विक कोरोना महामारी के बाद लॉक डाउन-4.0 के अंतिम दिन देश की आम जनता को यह उम्मीद थी कि देश के भाग्य-विधाता की ओर से उनके घावों पर मरहम लगाने को लेकर कुछ ठोस घोषणाएं की जाएगी, मध्यमवर्गीय और निम्नवर्गीय परिवारों के हितों की रक्षा को लेकर प्रधानमंत्री कुछ ठोस कदम उठाने की बात करेंगे। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के कई देशों ने वैश्विक संकट के दौरान अपने नागरिकों को प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराया, लेकिन देश की जनता अब तक यह नहीं समझ रही है कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में उन्हें किस तरह से फायदा मिलेगा।
देशवासी यह सुनना चाहते थे कि लॉक डाउन 4.0 के अंतिम दिन केंद्र सरकार से बड़ी राहत मिलेगी, लेकिन हर बार की तरह अंधभक्तों को छोड़ कर देश की जनता को मन की बात कार्यक्रम से निराशा ही हाथ लगी है।प्रवक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार को संकट की इस घड़ी में केंद्र प्रायोजित सभी योजनाओं का पूरा खर्च वहन करना चाहिए और इन योजनाओं के लिए राज्यांश की बाध्यता को समाप्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्ण तालाबंदी के कारण राज्य सरकार के राजस्व में काफी गिरावट दर्ज की गयी और ऐसे में केंद्र प्रायोजित कई योजनाओं पर काम रूक सकता है या योजनाएं बंद हो सकती है। उन्होंने केंद्र सरकार से जीएसटी का बकाया हिस्सा और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के बकाया भुगतान भी दिलाने का आग्रह किया।
इसके अलावा लॉक डाउन में इनकम टैक्स दायरे में नहीं आने वाले हर परिवार को 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता, मनरेगा की राशि में बढ़ोत्तरी और सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को आर्थिक सहायता दिलाने की मांग की।

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