नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत को अपना निकाह करने के लिए दस दिनों की अंतरिम जमानत दे दी है। इशरत जहां पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है। एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने इशरत को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी। कोर्ट ने इशरत को साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने और गवाहों को प्रभावित नहीं करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने इशरत को 10 जून से 19 जून तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। इशरत का निकाह 12 जून को होना तय है। सुनवाई के दौरान इशरत के वकील तुषार आनंत और मनु प्रभाकर ने कोर्ट से कहा कि इशरत को झूठे मामले में फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि एफआईआर को देखने से साफ पता चलता है कि इशरत किसी हिंसा में शामिल नहीं थी। एफआईआर में लगे आरोप इशरत की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। दिल्ली हिंसा के मामले में यूएपीए के तहत इशरत जहां के अलावा जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र आसिफ इकबाल तान्हा, गुलफिशा खातून, जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्य सफूरा जरगर, मीरान हैदर, जामिया एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा उर रहमान, आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन, खालिद सैफी, जेएनयू के छात्र नताशा नरवाल और उमर खालिद के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
एफआईआर में कहा गया है कि उमर खालिद और उसके सहयोगियों ने दंगे भड़काने के लिए लोगों को उकसाया। इशरत जहां को पिछले 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। इशरत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 147, 148, 149, 186, 307, 332, 353 और 34 और आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर जगतपुरी थाने के एक सब-इंस्पेक्टर के बयान पर दर्ज की गई थी। पुलिस के मुताबिक इशरत जहां ने भीड़ को उकसाते हुए कहा कि हम चाहे मर जाएं, लेकिन हम यहां से नहीं हटेंगे, चाहे पुलिस कुछ भी कर ले हम आजादी लेकर रहेंगे।
पुलिस के मुताबिक खालिद सैफी ने भीड़ से कहा कि पुलिस पर पथराव करो, भीड़ भाग जाएगी। इसके बाद पथराव शुरू हो गया। पुलिस के मुताबिक 26 फरवरी को जगतपुरी में न केवल पुलिस पर पथराव हुआ बल्कि गोलियां भी चलाई गई थीं।
दिल्ली हिंसा : जेल में बंद पूर्व पार्षद को निकाह करने के लिए मिली 10 दिन की अंतरिम जमानत
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