राज्य से कोरोनावायरस को दूर करने के लिए  Karnataka Government कोई कसर नहीं छोड़ता चाहती. सरकार ने हाई रिस्क वाले घरों का पता लगाने के लिए डोर-टू-डोर सर्वे कराया है. Covid-19 के चलते पूरे कर्नाटक के अनुमानित 44 प्रतिशत घरों को रिस्क कैटेगरी के तौर पर क्लासिफाइड किया गया है. ये वो घर हैं जहां पर सीनियर सिटिजिन्स, प्रेग्रेंट या फिर स्तनपान कराने वाली महिलाएं रहती हैं.

यह कर्नाटक सरकार द्वारा नागरिकों के हेल्थ रजिस्टर को संकलित करने के लिए किए जा रहे सर्वे का परिणाम है. यह सर्वे सरकार के कोविड कंटेनमेंट प्लान का हिस्सा है. सर्वे में उन घरों को क्लासिफाइड किया गया है, जिनमें 60 साल से ज्यादा के लोगों को हेल्थ प्रॉब्लम है.

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में अनुमानित 1.68 करोड़ परिवार हैं और सर्वे में 5 मई के बाद से 72 प्रतिशत परिवारों को शामिल किया गया है. सर्वे के दौरान यह सामने आया है कि राज्य में 51.53 लाख घर ऐसे हैं, जहां पर सीनियर सिटिजन रहते हैं. वहीं 4.38 लाख घर ऐसे हैं जहां पर प्रेग्नेंट या स्तनपान कराने वाली महिलाएं रहती हैं. जिन घरों में बुजुर्ग हैं उनमें से तीन प्रतिशत घर ऐसे हैं जहां पर सीनियर सिटिजन्स को हाई बीपी, डायबीटिज और कार्डियक प्रॉब्लम हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के कोविड-19 वॉर रूम के इन-चार्ज आईएएस ऑफिसर मुनीश मुदगिल का कहना है कि कर्नाटक की पूरी आबादी का डोर-टू-डोर सर्वे लगभग 60,000 अधिकारियों, शिक्षकों, सरकारी कर्मचारियों और बूथ स्तर के अधिकारियों के माध्यम से किया गया था. सर्वे से प्राप्त डेटा को राज्य के हेल्थ वॉच मोबाइल ऐप और वेब एप्लिकेशन में दर्ज किया जा रहा है. अधिकारी ने कहा कि इस सर्वे से स्थानीय स्वास्थ्य कर्मचारियों को ट्रैकिंग और कमजोर घरों की जांच में मदद मिलेगी.

मुदगिल ने कहा कि लोगों से बेसिक सवाल पूछे गए थे. जैसे कि- क्या घर में कोई गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिला है? 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों की संख्या? 60 से ऊपर वाले व्यक्तियों में बीपी या मधुमेह या हार्ट की समस्या है? सांस फूलने, बुखार या खांसी और सर्दी के साथ व्यक्तियों की संख्या? किसी भी सवाल के लिए हां कहे जाना उन लोगो के घरों को असुरक्षित बनाता है.

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