आजाद सिपाही संवाददाता रांची। झारखंड के लाखों प्रवासी मजदूर वापसी की जद्दोजहद में परदेस में पिस रहे हैं। विभिन्न राज्यों में फंसे ये मजदूर घर वापसी को लेकर बेचैन हैं। भूख-प्यास और अपनों के बीच पहुंचने की व्याकुलता में वहां के लोगों और पुलिस से पिटने को विवश हैं। घर लौटने के लिए ये मजदूर कुछ भी करने को तैयार हैं। इधर, पक्ष-विपक्ष के राजनीतिज्ञ इसे लेकर बयानबाजी में मशगूल हैं। शुक्रवार को बेंगलुरु और सूरत में ऐसी ही दो घटनाएं घटीं, जिनमें यहां प्रवासी मजदूरों को अपमान और शारीरिक चोट का दंश झेलना पड़ा। बेंगलुरु में जैसे ही मजदूरों को पता चला कि सरकार ने उन्हें वापस लौटने की मंजूरी दे दी है और यहां से एक ट्रेन झारखंड के लिए खुलनेवाली है, बस हजारो मजदूर बेंगलुरु सेंट्रल रेलवे स्टेशन पहुंच गये। इससे स्टेशन पर हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गयी। मुंबई वाली स्थिति ने दुहरायी जाये, इसे देखते हुए पुलिस के साथ बेंगलुरु के कमिश्नर स्वयं वहां पहुंच गये। पहले तो उन्होंने मजदूरों को समझाया कि ऐसा नहीं है। जिन्हें लौटना है, सरकार उनका रजिस्ट्रेशन करा रही है।
इसके आधार पर उन्हें फोन द्वारा सूचित कर स्टेशन बुलाया जायेगा। एक साथ इतने लोगों को नहीं भेजा जा सकता। कुछ मजदूर तो उनकी बातों को समझ गये, कुछ नहीं। इसे लेकर हंगामा होता रहा। कई बार पुलिस को सख्ती भी करनी पड़ी और मजदूरों को लाठियां भी खानी पड़ी। उधर, सूरत में कई झारखंडी मजदूरों की शुक्रवार दोपहर पिटाई कर दी। दरअसल कुछ स्थानीय नेताओं ने मजजूरों की वापसी के नाम पर उनसे पैसे ले लिये थे। प्रत्येक मजदूर से लगभग एक से डेढ़ हजार रुपये लिये गये थे। परंतु वापसी की कोई व्यवस्था नहीं होती देख झारखंड के मजदूर उस नेता के घर पैसा वापस मांगने पहुंच गये। इस पर उस नेता के समर्थकों ने कुछ स्थानीय लोगों के साथ मिलकर मजदूरों की पिटाई कर दी। बेबस मजदूर घर वापस लौटने की जद्दोजहद में बाहर परदेस में पिटते रहे। बाद में पुलिस ने वहां पहुंच कर मजदूरों को बचाया। मजदूर झारखंड सरकार से लगातार याचना कर रहे हैं कि उनके वापस लौटने की व्यवस्था की जाये।