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    Home»Breaking News»अब बदला सीआइडी का तेवर, होंगे बड़े खुलासे
    Breaking News

    अब बदला सीआइडी का तेवर, होंगे बड़े खुलासे

    azad sipahiBy azad sipahiMay 10, 2020Updated:May 10, 2020No Comments5 Mins Read
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    दाखिल दफ्तर मामलों की जांच शुरू
    हेमंत चाहते हैं सीआइडी बेहतर अनुसंधान करे
    पैसा वसूली से संबंधित जांच पर रोक
    अजय शर्मा
    रांची। झारखंड में अब सीआइडी का तेवर बदलने लगा है। अगले कुछ दिनों में यह बदलाव नजर आने लगेगा। सीआइडी के अधिकारी उन सारे आरोपों को साफ करने में जुटे हैं, जिनके लिए इसे जाना जाता था। अपराध अनुसंधान विभाग वह शाखा है, जिसमें बड़े अपराधी या सफेदपोश जब किसी मामले में फंसते हैं, तो यह विभाग अनुसंधान में जिला पुलिस का सहयोग करता है या फिर खुद अनुसंधान करता है। झारखंड में सीआइडी का मतलब यह था कि अगर कोई मामला सीआइडी जांच या अनुसंधान में भेजा गया, तो पुलिस कार्रवाई से आरोपी बच जाता था।

    सीआइडी का पूरा लाभ दबंगों ने उठाया। इसमें जमीन कारोबारी, बिल्डर, अफसर, सफेदपोश और पहुंचवाले व्यक्ति लाभान्वित हुए। झारखंड के लोग सीआइडी जांच के नाम से कहने लगते थे कि मामला दाखिल-दफ्तर हो गया। इस छवि को सीआइडी के एडीजी अनिल पाल्टा और उनकी टीम बदलने में जुटी है।
    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद चाहते हैं कि सीआइडी अपना मूल काम करे। एडीजीपी ने कार्यभार संभालते ही सारे गोरखधंधे बंद करवा दिये। फालतू जांचों पर रोक लगा दी। पैसा वसूली के लिए की जानेवाली जांच भी बंद करा दी गयी। फोन टेपिंग पर फुल स्टॉप लग गया। अब सीआइडी पूरा फोकस मामलों के अनुसंधान पर लगा रही है। प्रयास यह किया जा रहा है कि आर्थिक अपराध की जांच इडी की तर्ज पर और क्राइम के मामलों की जांच या तो एनआइए या फिर सीबीआइ की तर्ज पर हो। अनुसंधान के लिए अब जो आदेश जारी हो रहे हैं, उसमें एक अनुसंधानक, सहायक अनुसंधानक के साथ पूरी टीम लगायी जा रही है। नाम के अनुसंधान को बंद कर दिया गया है। सीआइडी में आवेदन पर भी जांच होती थी, इस पर रोक लगा दी गयी है।

    झारखंड में पैक्स के जरिये हुए करोड़ों के धान घोटाले की जांच शुरू
    झारखंड में पैक्स के जरिये धान खरीद और किसानों को पैसा भुगतान करने के मामले में करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है। किसानों के पैसे को पैक्स से जुड़े अधिकारियों ने हड़प लिया था। करीब 73 करोड़ की गड़बड़ी की गयी थी। इसमें कुछ राइस मिल मालिक भी शामिल थे। किसानों का हक कुछ चुनिंदा लोगों ने मार लिया था। साल भर पहले हाइकोर्ट ने इस मामले की जांच के आदेश दिये थे। पूरे राज्य में 24 अलग-अलग एफआइआर दर्ज करायी गयी थी। सीआइडी ने हर मामले के लिए अलग-अलग टीम गठित कर दी है। इसी में हजारीबाग के तीन मामले भी शामिल हैं, जो करीब चार करोड़ के घोटाले से संबंधित हैं। करीब-करीब सभी जिलों में धान घोटाले से संबंधित मामला दर्ज हुआ था। हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी जांच में सीआइडी इस मामले में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी थी।

    दो दारोगा पर केस चलाने की मिली अनुमति
    रांची के दशमफॉल थाना हाजत में बुंडू के रहनेवाले रूपेश स्वांसी की हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में तत्कालीन डीएसपी पवन कुमार, उनका अंगरक्षक, दशमफॉल और राहे के थाना प्रभारी के खिलाफ आरोप लगे। काफी हंगामे के बाद मामला दर्ज हुआ था। डीएसपी के विरुद्ध फिलहाल कार्रवाई करने पर कोर्ट ने रोक लगायी है। दशमफॉल और बुंडू के तत्कालीन थाना प्रभारियों के विरुद्ध मुकदमा चलाने की अनुमति सरकार से मांगी गयी थी। सात जुलाई 2016 को रूपेश स्वांसी की मौत हुई थी। इस मामले में तत्कालीन राहे ओपी प्रभारी अशोक कुमार प्रसाद और दशमफॉल थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी पंकज कुमार तिवारी के विरुद्ध मुकदमा चलेगा। इसके अनुसंधान के लिए भी एक टीम बना दी गयी है। रूपेश स्वांसी को हथियार तस्कर बता पुलिस ने पकड़ा था।

    सुनील वर्णवाल बचाना चाहते थे आरोपियों को
    कांग्रेसी नेता केएन त्रिपाठी के लेटरपैड के गलत इस्तेमाल करने के मामले में अमित तिवारी, आलोक तिवारी और एक अन्य आरोपी हैं। कोतवाली थाना में मामला दर्ज है। इस मामले का अनुसंधान सीआइडी कर रही है। इस मामले में जब पुलिस आगे बढ़ी थी, तब चर्चित आइएएस अधिकारी सुनील वर्णवाल और डीआइजी कूद पड़ थे। इन दोनों के हस्तक्षेप के बाद आरोपियों को छूट दी गयी थी। अब इस मामले में सीआइडी ने एक टीम गठित की है, जो इस मामले की जांच करेगी। बता दें कि कांग्रेसी नेता के करीबियों ने उनके लेटरपैड का गलत इस्तेमाल करके कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को पत्र भेज दिया था, जिसमें लिखा था कि वे भारतीय जनता पार्टी मेें जा रहे हैं। दूसरा पत्र पलामू के सीजेएम को लिख कर कई गंभीर आरोप लगाये थे।

    घेरे में आये धनबाद के तत्कालीन एसएसपी
    धनबाद पुलिस ने रिश्वत की मोटी रकम खाकर इसीएल कर्मी चिरंजीत घोष को गांजा तस्करी के आरोप में जेल भेजा था। हालांकि जब तत्कालीन एसएसपी किशोर कौशल से लेकर निरसा थानेदार तक पर सवाल उठने लगे, तो पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि घोष के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है। इस मामले को सीआइडी मुख्यालय रांची ने गंभीरता से लेते हुए बोकारो के डीआइजी को जांच का निर्देश दिया है। तत्कालीन एसएसपी किशोर कौशल समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ जांच को कहा गया है। पुलिस मुख्यालय को मिली शिकायत के आधार पर सीआइडी एडीजी अनिल पाल्टा ने जांच का आदेश दिया है। इस मामले को आजाद सिपाही ने पिछले साल दो अक्टूबर को प्रमुखता से उठाया था।

    कोयला तस्कर सोनू अग्रवाल के विरुद्ध सीआइडी जांच शुरू
    चर्चित कोयला तस्कर सोनू अग्रवाल के विरुद्ध सीआइडी जांच शुरू कर दी गयी है। अग्रवाल पर आरोप है कि वह झारखंड के दो जिलों से मिले अंगरक्षकों को लेकर बंगाल में जमीन कब्जा करने चला गया था। कुछ लोगों ने इस मामले की शिकायत सरकार से की। इसकी जांच करने का आदेश सीआइडी को हुआ था। सीआइडी इस मामले में भी एक कदम नहीं चल पायी। अब एडीजीपी ने इसकी जांच के लिए भी अधिकारियों की एक टीम गठित कर दी है। इस मामले में कुछ अफसरों की गर्दन नप सकती है।

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