दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट इलाके के जाफराबाद में फरवरी में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय  के संगठन पिंजरा तोड़ की दो महिला सदस्यों को हाल ही में गिरफ्तार किया था. संगठन की इन सदस्यों का नाम देवांगना और नताशा नरवाल के रूप में हुई.

दोनों को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी कि उनपर लगाई गई आईपीसी की धारा 353 मेंटेनेबल नहीं है और वे केवल NRC और CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं.

क्राइम ब्रांच की स्पेशल इनवेंस्टिगेशन टीम ने उन्हें हत्या, हत्या के प्रयास, दंगे और आपराधिक साजिश के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया था. पुलिस टीम ने कोर्ट से 14 दिनों के लिए उनकी पुलिस हिरासत की मांग की थी. कोर्ट ने 14 दिन की तो नहीं पर उन्हें दो दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया.

पुलिस का दावा है कि 30 वर्षीय देवंगना और 32 वर्षीय नताशा उन लोगों के साथ मिली हुई थीं, जिन्होंने 22 और 23 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीच एंटी-सीएए प्रोटेस्ट ऑर्गेनाइज किया था और रोड ब्लॉक कर दिया था. इस प्रोटेस्ट के बाद 23 फरवरी को बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और उनके समर्थकों ने सीएए के समर्थन में रैली की. इसके एक दिन बार पूरे नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में दंगे भड़क गए थे.

इन महिलाओं को स्पेशल सेल, जाफराबाद पुलिस स्टेशन और क्राइम ब्रांच SIT द्वारा तीन जांच का सामना करना पड़ रहा है. शनिवार को नरवाल से स्पेशल सेल के अधिकारियों द्वारा पूछताछ की जा रही थी, जब जाफराबाद स्टेशन के अधिकारियों ने उसे उसके घर से गिरफ्तार कर लिया. जाफराबाद पुलिस स्टेशन की टीम ने उन्हें आईपीसी की धारा 186 और 353 के तहत गिरफ्तार किया. यह उनकी दूसरी बार गिरफ्तारी थी.

रविवार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट अजीत नारायण ने यह कहते हुए उन्हें बेल दे दी कि केस फाइल और एफआईआर देखने के बाद यह लगता है कि धारा 353 मेंटेनेबल नहीं लगती है. उन्होंने कहा कि केस के फैक्ट्स बताते हैं कि आरोपी केवल सीएए और एनआरसी का विरोध कर रही थीं और वे किसी भी हिंसा में शामिल नहीं थीं. आरोपियों की समाज में अच्छी पकड़ है और वे काफी पढ़ी-लिखी भी हैं.

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