प्रयागराज । फेफड़ों में कैंसर का मुख्य कारण धूम्रपान है। फेफड़ों के दो तिहाई कैंसर इसी वजह से होते हैं। धूम्रपान में पैदा होने वाले धुएं की चपेट में लोग अनजाने आ जाते हैं और परोक्ष धूम्रपान के शिकार हो जाते हैं। परोक्ष धूम्रपान से भी फेफड़े के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। धूम्रपान करने वालों को कोरोना वायरस के संक्रमण की तीव्रता का अधिक खतरा होता है।
यह बातें इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के वैज्ञानिक सचिव डॉ. आशुतोष गुप्ता ने शनिवार को ‘विश्व तम्बाकू निषेध दिवस’ पर एएमए में संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि धूम्रपान सांस की बीमारियों जैसे कि सीओपीडी का मुख्य कारण है। इसमें फेफडे़ में मवाद युक्त द्रव जमा हो जाता है जिससे लगातार दर्द, खांसी एवं सांस में तकलीफ रहती है। जो लोग धूम्रपान की शुरूआत कम उम्र से करते हैं, उनका फेफड़े का विकास बाधित हो जाता है जिससे हमेशा सांस की तकलीफ बनी रहती है। दमा के रोगी अगर धूम्रपान करते हैं तो उनको दमा के दौरे पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। धूम्रपान का सेवन बन्द करने से सांस की बीमारियॉ ठीक होनी शुरू हो जाती है और लक्षणां में काफी आराम मिल जाता है। उन्होंने बताया कि टीबी के रोगी अगर धूम्रपान करते हैं तो उनको सांस सम्बन्धित तकलीफें ज्यादा होती है तथा उनकी मौत होने की संभावना बढ़ जाती है।
एएमए अध्यक्ष डॉ. राधारानी घोष ने बताया कि जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं या जिनके घर में पुरूष धूम्रपान करते हैं इसका परोक्ष असर छोटे बच्चों पर भी पड़ता है। उनके फेफड़े का विकास बाधित हो जाता है एवं उनको दमा, निमोनिया, ब्रान्काइटिस एवं फेफड़े का इन्फेक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है। पूरी दुनिया में परोक्ष धूम्रपान से हर वर्ष एक लाख 65 हजार बच्चों की मौत 5 वर्ष पहले हो जाती है। उन्होंने बताया कि तम्बाकू का धुआं घर एवं सार्वजनिक इमारतों में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है। तम्बाकू में सात हजार रासायनिक पदार्थ होते हैं जिसमें से 69 पदार्थों द्वारा कैंसर होने का पता चला है। यह प्रदूषण दिखायी नहीं देता परन्तु धूम्रपान का धुआं पांच घंटे तक आसपास रहता है, जिससे इन स्थानों पर रहने वाले व्यक्तियों को कैंसर एवं सांस के रोगों की संभावना बढ़ जाती है।
एएमए सचिव डॉ. राजेश मौर्य ने सभी सदस्यों से अपील की और कहा कि विभिन्न तरीकों से तम्बाकू के हानिकारक उपायों की जानकारी सभी को दें। सोशल मीडिया द्वारा तम्बाकू कम्पनियां बाजार में अपने उत्पाद को आकर्षक तरीके से पैकिंग के माध्यम से लोगो को लुभाने के लिए तथा तम्बाकू को च्वइंगम के रूप में प्रचारित करते हैं। इस पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगाने की आवश्यकता है। जानी-मानी हस्तियों, मीडिया, अभिभावकों व अध्यापकों के माध्यम से नई पीढ़ी को गुमराह करने वाले विज्ञापनों से अवगत कराकर तम्बाकू से सुरक्षा प्रदान करें।