देवघर ।देवघर में श्रावणी मेला आयोजित होगा या नहीं यह प्रश्न अब जनता पुरोहित और जिला प्रशासन के लिए बेहद जरूरी है लेकिन आखिरी निर्णय झारखंड सरकार के गाइड लाइन पर ही निर्भर करेगा।
देवघर उपायुक्त नैंसी सहायक की माने तो देवघर की इकोनॉमी पूरी तरह से मंदिर पर ही निर्भर है लॉक डाउन के दरमियान मंदिर से जुड़े सभी व्यवसाय ठप हो चुके हैं।यह भी सत्य है कि सावन महीने में कमाई गई रकम पूरे साल तक लोगों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती थी लेकिन यह व्यवस्थाएं अब बदली है तो सरकार को निर्णय लेना है कि देवघर मंदिर को सार्वजनिक तौर पर खोला जाना है या नहीं।
साथ ही देवघर उपायुक्त ने कहा है कि मॉक ड्रिल कर जिला प्रशासन ने खुद को संतुष्ट किया है और अगर सरकार द्वारा दिशा-निर्देश प्राप्त होता है तो सावन मेले को कराया जा सकता है लेकिन इसका स्वरूप बदल जाएगा पिछली बार की तरह इस बार सावन का आयोजन नहीं हो पाएगा सोशल डिस्टेंस को लोग अहमियत दे रहे हैं और इसकी महत्ता भी समझ रहे हैं लिहाजा भीड़ काफी काम आएगी
दूसरी तरफ देवघर मंदिर की भीड़ ज्यादातर बिहार से ही आती है ऐसे में कम भीड़ का आना तय है।उपायुक्त नैंसी सहाय ने कहा है कि देवघर जिला प्रशासन श्रावणी मेला के लिए तैयार है लेकिन व्यापक पैमाने पर इसका आयोजन नहीं किया जा सकता ऐसे में सरकार के गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है अगर सब कुछ सही रहा और सरकार दिशानिर्देश कुछ शर्तों के साथ सावन मेले के आयोजन के लिए देती है तो जिला प्रशासन अधिकारियों की मदद से इसे करवाने का प्रयास कर सकती है।
दूसरी तरफ उपायुक्त नैंसी सहाय ने कहा है कि देवघर की अर्थव्यवस्था काफी खराब हो चुकी है सावन के मेले से ही पूरे साल व्यापारियों का रोजी रोजगार चलता था लिहाजा व्यापार में भी मंदी आएगी लेकिन कुछ राहत जरूर व्यवसायियों को मिलेगी