म्यूचुअल फंड टैक्स भी बचाता है. कई निवेशक टैक्स बचाने के लिए भी म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ELSS ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीम है जो लंबी अवधि के निवश के लिए सबसे मुफीद है. इसमें डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट 80 सी के तहत छूट मिलती है.

इक्विटी म्यूचुअल फंड पर टैक्स

म्यूचुअल फंड में निवेश के दौरान कैपिटल गेन पर टैक्स लगता है. इसे निवेशक चुकाता है, वहीं म्यूचुअल फंड्स डिविडेंड लगने वाला टैक्स फंड हाउस चुकाता है. म्यूचुअल फंड में इक्विटी और डेट के लिए टैक्स देनदारी अलग-अलग होती है. इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम में 12 महीने से ज्यादा वक्त तक के निवेश से मिले रिटर्न पर 10 फीसदी का लॉन्ग टर्म गेन टैक्स लगता है. हालांकि, एक लाख रुपये तक के रिटर्न पर लॉन्ग टर्म गेन टैक्स नहीं लगता है. लेकिन 12 महीने से पहले इसे निकालने पर 15 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है.

डेट म्यूचुअल फंड स्कीमों पर टैक्स

डेट म्यूचुअल फंड या दूसरे लिक्विड फंड्स में 36 महीनों से अधिक समय तक होल्ड करके रखे गए यूनिटों पर लॉन्ग टर्म टैक्स लगता है। इंडेक्सशन के बाद इस पर 20 फीसदी टैक्स लगता है. वहीं, 36 महीने से पहले इसे निकालने पर करने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है, जो निवेशक के टैक्स स्लैब पर आधारित होता है. इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले टैक्स का सही हिसाब लगा लेना बेहतर होता है. लंबी अवधि में म्यूचुअल फंड में निवेश हमेशा अच्छा होता है. अगर योजना बना कर इसमें लंबी अवधि का निवेश किया जाए तो तो एक बड़ा फंड बन सकता है. हालांकि जिन निवेशकों को सिर्फ टैक्स बचाना है, वे म्यूचुअल फंड के अलावा दूसरे निवेश इंस्ट्रूमेंट में भी निवेश कर सकते हैं. मार्केट में ऐसे इंस्ट्रमेंट मौजूद हैं.

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