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    Home»Breaking News»राजीव गांधी हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को रिहा करने का दिया आदेश
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    राजीव गांधी हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को रिहा करने का दिया आदेश

    adminBy adminMay 18, 2022No Comments8 Mins Read
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    आजाद सिपाही संवाददाता
    नयी दिल्ली।
    सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया है। पेरारिवलन 30 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद है। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में ही कहा था कि अगर सरकार कोई फैसला नहीं लेगी तो हम उसे रिहा कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन को रिहा करने के लिए अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेषाधिकार के जरिए आदेश सुनाया है। पेरारिवलन मामले में दया याचिका राज्यपाल और राष्ट्रपति के बीच लंबित रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने यह बड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य कैबिनेट का फैसला राज्यपाल पर बाध्यकारी है और सभी दोषियों की रिहाई का रास्ता खुला हुआ है।
    पिछली सुनवाई में दिखाया था सख्त रुख:
    सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में ही सरकार के रुख को विचित्र माना। दरअसल, केंद्र ने जवाब दिया कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने दोषी को रिहा करने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले को राष्ट्रपति को भेज दिया है, जो दया याचिका पर निर्णय लेने के लिए सक्षम अथॉरिटी हैं। कोर्ट ने कहा कि जब जेल में कम समय की सजा काटने वाले लोगों को रिहा किया जा रहा है, तो केंद्र उसे रिहा करने पर सहमत क्यों नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया उसे लगता है कि राज्यपाल का फैसला गलत और संविधान के खिलाफ है। क्योंकि वह राज्य मंत्रिमंडल के परामर्श से बंधे हैं। उनका फैसला संविधान के संघीय ढांचे पर प्रहार करता है। न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि वह एक सप्ताह में उचित निर्देश प्राप्त करें वरना वह पेरारिवलन की दलील को स्वीकार कर इस अदालत के पहले के फैसले के अनुरूप उसे रिहा कर देगी।
    सुप्रीम कोर्ट का ब्रह्मास्त्र:
    जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर अपना फैसला किया था। अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा। संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू ना होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है।
    पेरारिवलन पर लगे थे आरोप:
    एजी पेरारिवलन उर्फ अरिवु तमिल कवि कुयिलदासन का बेटा है। स्कूली दिनों से ही वो लिबरेशन टाइगर्स आॅफ तमिल इलम (एलटीटीइ) से प्रभावित था। 21 मई 1991 को जब श्रीपेरंबदूर की एक रैली में राजीव गांधी की हत्या हुई, उस वक्त पेरारिवलन 19 साल का था। राजीव गांधी की हत्या से 20 दिन बाद पेरारिवलन को गिरफ्तार कर लिया गया। उस पर दो आरोप लगाये गये। पहला, उसने 9 वोल्ट की दो बैटरियां खरीदकर हत्याकांड के मास्टरमाइंड एलटीटीइ के सिवरासन को दी थी, जिसका इस्तेमाल बम बनाने में हुआ। दूसरा, राजीव गांधी की हत्या से कुछ दिन पहले सिवरासन को लेकर पेरारिवलन दुकान पर गया था और वहां गलत एड्रेस बताकर एक मोटसाइकिल खरीदी।
    पहले सुनायी गयी थी मौत की सजा:
    28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट ने पेरारिवलन समेत 26 लोगों को मौत की सजा सुनाई। 11 मई 1999 को सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन, नलिनी, मुरुगन और संथान सहित चार की मौत की सजा को बरकरार रखा। वहीं तीन अन्य आरोपियों की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। साथ ही 19 अन्य दोषियों को रिहा कर दिया। पेरारिवलन ने अपनी कैद के 31 साल पुजहल और वेल्लोर की सेंट्रल जेल में बिताये। इसमें से 24 साल तो उसने कालकोठरी में बिताये। 1999 में सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद पेरारिवलन के पास बहुत विकल्प नहीं बचे थे। उसने 2001 में अपनी दया याचिका राष्ट्रपति को सौंपी। 11 साल बाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने इसे खारिज कर दिया। 9 सितंबर 2011 को फांसी का दिन मुकर्रर हुआ। पेरारिवलन की मां को बॉडी ले जाने के लिए चिट्ठी भी लिख दी गयी थी। लेकिन तभी तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें दोषियों की मौत की सजा कम करने की मांग की। इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने फांसी के आदेश पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस टीएस थॉमस ने 2013 में कहा कि 23 साल जेल में रखने के बाद किसी को फांसी देना सही नहीं होगा। ये एक अपराध के लिए दो सजा देने जैसा होगा। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। इसके बाद पेरारिवलन ने सजा माफ करने के लिए तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दया याचिका दायर की। जो पिछले 7 सालों से पेंडिग पड़ी थी। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा कर दिया।
    अब खुली हवा में सांस लेने है:
    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पेरारिवलन ने कहा कि इस केस की ईमानदारी ने उसे और उसकी मां को तीन दशकों तक लड़ने की ताकत दी। ये जीत उसके संघर्ष की जीत है। मैं अभी बाहर आया हूं। अब खुली हवा में सांस लेना है।
    —————–
    ज्ञानवापी मामले में प्रार्थना पत्रों पर आज होगी सुनवाई
    -शिवलिंग की नाप, दीवार तोड़कर तहखाने का निरीक्षण और मछली सुरक्षा के प्रार्थना पत्र पर होगी सुनवाई
    आजाद सिपाही संवाददाता
    वाराणसी।
    ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग की नाप, दीवार तोड़कर तहखाने का निरीक्षण और मछली सुरक्षा के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई गुरुवार को होगी। पहले यह सुनवाई बुधवार को ही होनी थी, लेकिन वकीलों के कार्य बहिष्कार के चलते सुनवाई स्थगित कर दी गयी।
    ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में मुकदमे की वादी रेखा पाठक, मंजू व्यास, सीता साहू ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर तहखानों में रखे मलबे व कमरानुमा संरचना की दीवार हटा कर सर्वे की मांग की है। वहीं, शासकीय अधिवक्ता महेंद्र प्रसाद पांडेय की ओर से दायर प्रार्थना पत्र, जिसमें उन्होंने सील किए गए वजूखाने में मौजूद मछलियों को सुरक्षित स्थानांतरित करने समेत अन्य मांग की है। उधर, जहां शिवलिंग मिला है, उसके नीचे तहखाने का सर्वे कराये जाने की भी मांग की जा रही है। साथ ही सामने की दीवार को साफ करके अच्छे तरीके से वीडियोग्राफी करने की भी मांग है। इन सभी मांगों पर गुरुवार को सुनवाई होगी।
    तहखाने का मलबा व दीवार हटा कर सर्वे की मांग:
    ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण में वादी रेखा पाठक, मंजू व्यास, सीता साहू ने अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है। इनके अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि 16 मई को एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान मस्जिद परिसर में जहां शिवलिंग मिला है उसके पूरब तरफ दीवार में दरवाजा है। इसे ईंट-पत्थर व सीमेंट से जोड़ाई कर बंद कर दिया गया है। नंदी के मुंह की तरफ जो तहखाना है उसमें मलबा पड़ा हुआ है। इसके उत्तर में दीवार खड़ा करके शिवलिंग को ढंकते हुए सीमेंट से जोड़ दिया गया है। यह भी कहा कि बैरिकेडिंग के अंदर पश्चिम दीवार पर दरवाजे को ईंट-पत्थर सीमेंट से बंद कर दिया गया है। उन्होंने मांग किया कि दीवार व मलबे को हटाकर एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही करते हुए शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई के बाबत रिपोर्ट मंगाई जाए।
    एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही
    जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) महेंद्र प्रसाद पांडेय ने इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया कि न्यायालय के आदेश पर कार्यवाही करते हुए विवादित स्थल और नौ जालीदार दरवाजों को सील करके चाबी कोषागार में जमा कर दी गयी है। जिस परिसर को सील किया गया है। उसके अंदर निर्मित तालाब में पानी भरा हुआ है जिसमें कुछ मछलियां हैं। परिसर सील होने के कारण मछलियों के जीवन पर संकट आ गया है। ऐसे में उन्हें स्थानांतरित करने के बाबत निर्देश दिया जाए। इसके साथ ही सील किए गए क्षेत्र में चारों तरफ पाइप लाइन व नल लगा है। इसका उपयोग नमाजी वजू करने के लिए करते हैं। पाइप लाइन को सील क्षेत्र से करना जरूरी है। यहां मौजूद शौचालय में प्रवेश के लिए कोई अन्य रास्ता नहीं है। इन बिंदुओं पर एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट प्राप्त करके आदेश जारी किया जाए। अदालत ने इस प्रार्थना पत्र पर भी सुनवाई के लिए अब 18 के बदले 19 मई की तिथि तय की है।
    ————–

    आपत्तिजनक टिप्पणी पर एआइएमआइएम प्रवक्ता प्रवक्ता दानिश कुरैशी गिरफ्तार
    गुजरात में एआइएमआइएम प्रवक्ता दानिश कुरैशी को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई अहमदाबाद साइबर क्राइम ब्रांच की ओर से की गयी है। जानकारी के मुताबिक, दानिश कुरैशी ने ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई है। दरअसल, दानिश कुरैशी ने सोशल मीडिया पर शिवलिंग के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट डाली थी। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद की ओर से उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गयी थी। साइबर क्राइम के सहायक पुलिस आयुक्त जेएम यादव ने मीडिया को बताया कि दानिश कुरैशी नाम के ट्विटर हैंडल से आपत्तिजनक पोस्ट की गयी थी। इस पोस्ट में दानिश कुरैशी ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग पर सवाल उठाया था। इस पर उन्होंने अभद्र टिप्पणी की। पुलिस अधिकारी ने बताया कि दानिश के ट्वीट से एक समुदाय की भावनाएं आहत हुईं, जिसके बाद उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। उन्होंने बताया दानिश के खिलाफ दो पुलिस थानों में मामला दर्ज किया गया था।

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