22 साल पहले सबसे कम उम्र में आइएएस बनने के कारण मिली थी प्रसिद्धि
भ्रष्टगाथा : भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार होनेवाली झारखंड की पहली महिला आइएएस अफसर बनीं

अजय शर्मा
रांची (आजाद सिपाही)। यह महज एक संयोग है कि 11 मई को जिस पंडित सुखराम का 95 साल की उम्र में निधन हुआ, उनका नाम 1996 में एक बड़े घोटाले में सामने आया था और उनके साथ दूरसंचार विभाग की तत्कालीन अधिकारी रुनू घोष को भी भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह भारतीय टेलीकॉम सेवा (आइटीएस) की अधिकारी थीं। आजाद भारत में भ्रष्टाचार के आरोप में अखिल भारतीय सेवा की किसी महिला अधिकारी की गिरफ्तारी का वह पहला वाकया था। बाद में रुनू घोष को दो साल कैद की सजा भी हुई थी। उस समय पूजा सिंघल 18 साल की युवती थीं, लेकिन आज जब वह उम्र के 44 पड़ाव पार कर चुकी हैं, रुनू घोष की तरह वह भी भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार होनेवाली झारखंड की पहली महिला आइएएस बन गयी हैं। इस लिहाज से उनका नाम एक बार फिर लिम्का बुक आॅफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया जायेगा, जैसे आज से 22 साल पहले महज 21 साल और सात दिन की उम्र में देश की सबसे प्रतिष्ठित मानी जानेवाली संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होकर भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनने पर किया गया था। इतनी कम उम्र में आइएएस बनने के कारण उनका नाम लिम्का बुक आॅफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था, लेकिन 22 साल बाद 11 मई को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किये जाने के बाद से उनका चमकीला कैरियर अब लगभग खत्म होता नजर आ रहा है।

झारखंड कैडर के आइएएस अफसरों की सूची में 30वें नंबर पर पूजा सिंघल का नाम दर्ज है। उनका आइडी नंबर 048000 है। सात जुलाई 1978 को जन्मी पूजा सिंघल ने बिजनेस मैनेजमेंट में स्नातक किया है। वह मूल रूप से उत्तराखंड की रहनेवाली हैं।

हमेशा रहीं टॉपर, नौकरी में भी कई अच्छे काम किये
देहरादून में जन्मी पूजा सिंघल ने गढ़वाल विश्वविद्यालय देहरादून से एमबीए की पढ़ाई पूरी की और फिर अपने पहले प्रयास में आइएएस की परीक्षा पास की। वह अपने स्कूल के दिनों से लेकर विश्वविद्यालय की परीक्षा तक टॉपर की सूची में शामिल रहीं और उनका अकादमिक ट्रैक रिकॉर्ड काफी बेहतर रहा। आइएएस बनने के बाद हजारीबाग एसडीओ के रूप में कार्य करने के दौरान उन्होंने विभिन्न गोदामों पर छापामारी की और शिक्षा परियोजना की ओर से बच्चों को दी जाने वाली किताबों की अवैध बिक्री का भंडाफोड़ किया। पूजा सिंघल ने ही शारीरिक रूप से अक्षम लोगों का आंकड़ा एकत्र करने के लिए झारखंड में पहली बार विकलांग सर्वेक्षण भी किया। रिम्स निदेशक के रूप में भी लोग उनके योगदान को याद करते हैं। उन्होंने राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की व्यवस्था को सुधारने में बड़ी भूमिका निभायी।
पैसे और पावर का नशा ले डूबा

इतनी तेज-तर्रार और प्रतिभाशाली अफसर को पैसा और पावर का नशा इस कदर चढ़ा कि वह सब कुछ भूल गयीं। कायदे-कानून उनके लिए कुछ नहीं रहे। पलामू में डीसी के रूप में जब कठौतिया कोल माइंस के लिए उषा मार्टिन को जमीन आवंटित करने के मामले में गड़बड़ी हुई और उनका नाम आया, तब से वह सत्ता से नजदीकी बढ़ाने में जुट गयीं। सरकार किसी की भी हो, मुख्यमंत्री कोई भी रहे, पूजा सिंघल हमेशा सभी की चहेती बनी रहीं। यही कारण है कि आज तक उनका कोई बाल भी बांका नहीं कर सका। उनके खिलाफ की गयी तमाम शिकायतें जांच की दहलीज पर दम तोड़ती रहीं और पूजा सिंघल पावर के बल पर पैसा कमाती रहीं। नौकरी में रहने के दौरान जहां-जहां उनकी पोस्टिंग रही, उन पर भ्रष्टाचार और अनियमितता के कई गंभीर आरोप लगे। उनकी अति महत्वकांक्षा और पति तथा ससुराल वालों के व्यावसायिक हितों को फायदा पहुंचाने का आरोप उन पर काफी दिनों से लगता रहा।

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