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    Home»Breaking News»जहां रिस्क नहीं, वहां मोदी का क्या काम!
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    जहां रिस्क नहीं, वहां मोदी का क्या काम!

    azad sipahiBy azad sipahiMay 30, 2022No Comments17 Mins Read
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    • प्रधानमंत्री मोदी के आठ साल का फलाफल: यह नया भारत है, जो न झुकेगा और न रूकेगा

    नरेंद्र मोदी, एक ऐसा नाम, जिससे राष्ट्र प्रेम की खुशबू आती है। एक ऐसा भरोसा, जो देश को झुकने नहीं देगा। एक ऐसा नेता, जो सबके साथ, सबके विकास, सबके विश्वास और सबके प्रयास की बात करता है। अर्थात सबके साथ के बिना विकास नहीं हो सकता और बिना विश्वास के देश को एकता के सूत्र में पिरोने का प्रयास नहीं हो सकता। जब नरेंद्र मोदी ने 2014 में केंद्र की सत्ता की कमान अपने हाथों में ली, तो हर भारतीय को भरोसा था कि यह भारत की तकदीर बदल देगा। कारण देश के उस समय के हालात को देखते हुए देशवासियों ने अपने विश्वास की चाबी नरेंद्र मोदी को सौंपी थी। नरेंद्र मोदी ने भी उनके विश्वास को टूटने नहीं दिया। हां, ऐसा भी नहीं है कि हर कोई मोदी से खुश है। यह स्वाभाविक है। हर किसी को खुश भी नहीं किया जा सकता। लेकिन जिन्हें मोदी पर विश्वास है, उन्हें उनकी कीमत का अंदाजा है। देश का एक बड़ा वर्ग यह मान रहा है कि सालों बाद एक ऐसा नेता हुआ, जिसके रग-रग में देश बसता है। जो हर क्षण देश की गरिमा को बनाये रखने के लिए जीता है। जिसे यह कतई गंवारा नहीं कि कोई दूसरा देश भारत की तरफ आंख उठा कर देखे। जो पलट कर जवाब देना जानता है। देश के लोगों का अगाध विश्वास नरेंद्र मोदी के साथ एकबारगी तब और मजबूत हो गया, जब 2016 में पाकिस्तान की शह पर जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन ने उरी सेक्टर में एलओसी के पास भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर हमला कर दिया। इसमें भारत के 18 जवान शहीद हो गये। आतंकियों ने यह हमला निहत्थे जवानों पर सोने के वक्त किया था। जैसे ही यह खबर आयी पूरे देश का खून खौलने लगा। हर एक देशवासी के मुंह से निकला, बहुत हो गया, अब बस और नहीं। पीएम ने देश की यह भावना समझी और सिर्फ इतना कहा कि आतंकवादियों ने बहुत बड़ी गलती कर दी है। देश भरोसा रखे, हम हिसाब लेंगे। लोगों को भी लगा कि जब मोदी ने कहा है, तो निश्चित होगा और वह सुबह भी आयी, जब सोकर उठने के बाद देशवासियों को यह समाचार मिला कि भारतीय जवानों ने पाकिस्तान में घुस कर ऐसा शौय दिखाया है मात्र चार घंटे में ही आतंकियों का काम तमाम कर दिया। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेना ने ऐसी तबाही मचायी कि पाकिस्तान सिहर गया। भारतीय जवानों ने उस हमले में करीब 50 पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों को मार गिराया था। इसके बाद मोदी का यह बयान आया कि हमारे जवानों ने पाकिस्तान में घुस कर आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है। इस घटना के बाद पूरी दुनिया को यह मैसेज गया कि यह नया भारत है। यह मोदी है, जो भारत की तरफ आंख दिखानेवालों को घर में घुस कर मारता है। यह तो एक बानगी थी। नरेंद्र मोदी सरकार के आठ साल पूरे हो गये हैं। इन आठ सालों में मोदी सरकार ने कई ऐसे ऐतिहासिक फैसले लिये, जिससे देश की जनता का उनके ऊपर विश्वास दिन पर दिन प्रगाढ़ होता जा रहा है। चाहे वह स्वच्क्ष भारत अभियान हो, नोटबंदी हो, सर्जिकल स्ट्राइक हो, जीएसटी यानी एक देश-एक टैक्स हो, तीन तलाक कानून हो, धारा 370 तथा अनुच्छेद 35-ए के प्रावधानों को निरस्त करना हो, सीएए-एनआरसी कानून हो, किसान सम्मान निधि योजना हो, आयुष्मान भारत योजना हो, राम मंदिर से लेकर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर या अन्य धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण हो, भारत में कोरोना वैक्सीन का निर्माण से लेकर सफल टीकाकरण अभियान हो, नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति हो या हाल में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान मोदी सरकार द्वारा लिया गया हर एक कदम ऐतिहासिक है। नरेंद्र मोदी के सुशासन के आठ साल, उनके द्वारा द्वारा देशहित में लिये गये फैसले और जनता की उस पर मुहर के बारे में बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    नरेंद्र मोदी की सरकार ने 26 मई 2022 को सत्ता में आठ साल पूरे कर लिये हैं। इस मौके पर पीएम मोदी कहते हैं कि मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे लोगों का सिर झुका हो। वह यह भी कहते हैं कि उनका अब तक का कार्यकाल देश के संतुलित विकास, सामाजिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा के लिए समर्पित रहा है। इन आठ सालों में गरीबों की सेवा, सुशासन, महिला सशक्तिकरण और गरीबों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गयी है। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर चल कर हमने देश के विकास को नयी गति दी है।

    यूपीए 2 के शासन काल के बाद 2014 के चुनाव में देश की जनता परिवर्तन चाहती थी। उसने किया। वहीं 2019 के चुनाव में उसने उस परिवर्तन पर मुहर लगायी। दोनों बार देश की जनता ने नरेंद्र मोदी पर अगाध विश्वास जताया। तहे दिल से नरेंद्र मोदी को स्वीकार किया। दरअसल, 2014 के बाद 2019 की जीत नरेंद्र मोदी द्वारा उनके पहले कार्यकाल में लिये गये फैसलों पर मुहर थी। जनता ने कहा: हमें मोदी पसंद हैं। कहते हैं जो व्यक्ति जोखिम नहीं उठाता, वह कभी सफलता के सोपान नहीं चढ़ सकता। और नरेंद्र मोदी ने इसी जोखिम को अपने आगे बढ़ने का सोपान बना लिया। मोदी इस बात को जानते हैं कि अगर देश को बदलना है, तो रिस्क लेना ही पड़ेगा और अगर रिस्क नहीं तो वहां मोदी का क्या काम। एक नजर नरेंद्र मोदी द्वारा लिये गये उन ऐतिहासिक फैसलों पर, जिसने देश की दशा और दिशा बदल दी।

    स्वच्छ भारत अभियान: जब मोदी ने खुद थामा झाड़ू
    पीएम मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है स्वच्छ भारत अभियान। इसकी शुरूआत उन्होंने 2 अक्टूबर 2014 में की थी। उनकी इच्छा थी कि पांच साल के शासन में वह अपने स्वच्छ भारत के लक्ष्य को पूरा कर लें, ताकि साल 2019 में महात्मा गांधी की 150वी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा सके। उस समय देशवासी अवाक रहे गये, जब प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के पास खुद झाड़ू उठा कर स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की थी। इसके बाद वह वाल्मिकी बस्ती पहुंचे और वहां भी साफ-सफाई की और कूड़ा उठाया। देश के लोगों को मोदी उस समय और पसंद आये, जब उन्होंने सफाई कर्मियों के पांव खुद अपने हाथ से पखारे और उन्हें इज्जत बख्शी। उन्होंने इस अभियान को जन आंदोलन बनाते हुए देश के लोगों को मंत्र दिया था: ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ऐसा क्रांतिकारी कदम था, जिसने देश के बच्चों से बूढ़ों तक को प्रेरित किया। मोदी ने एक और नारा दिया: पहले शौचालय, फिर मंदिर। हालांकि कांग्रेस ने इस नारे का खूब मजाक उड़ाया, लेकिन देश के लोगों ने इसे अपने सिर आंखों पर बिठा लिया। आज से आठ साल पहले जब प्रधानमंत्री मोदी ने इस अभियान की शुरूआत की थी, उस समय केवल 10 में से 4 घरों में शौचालय थे। बहुत से लोग यह मानते थे कि घर में शौचालय- ना बाबा ना। लेकिन आज की स्थिति यह है कि लड़कियां कहने लगी हैं: जिस घर में शौचालय नहीं, वहां हम नहीं करेंगे शादी।

    नोटबंदी
    जब देश में काला धन का मुद्दा तूल पकड़ रहा था, तब 2016 में अचानक रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टेलीविजन पार आते हैं और कहते हैं कि आज रात 12 बजे से पांच सौ और एक हजार के नोट बंद। देश में हड़कंप मच गया। कांग्रेस और वामपंथी दलों ने इसे देशहित के खिलाफ माना। इसमें कोई दो राय नहीं कि नोटबंदी से लोगों को परेशानी हुई, लेकिन देशहित में यह फैसला भी जरूरी था। तभी तो नोटबंदी के दौरान पुराने नोटों के बंडलों को नदी, तालाब में तैरता पाया जाने लगा। यह काला धन ही तो था। इस दौरान कई बैंकों के अधिकारी और काले धन के दलालों को पकड़ा भी गया। भारत का गरीब नोट का तमाशा देख दंग था कि भारत में इतना धन है। इस फैसले को कांग्रेस ने एक बड़े हथियार के रूप में देखा। खुद राहुल गांधी मैदान में उतर गये और उन्होंने नोटबंदी को फेलियर बताया। लेकिन जनता ने नरेंद्र मोदी के इस फैसले को हाथों-हाथ लिया। जनता बोली, देश में अगर परिवर्तन चाहिए, तो कुछ कुर्बानी उन्हें भी देनी होगी। सच में यह बहुत रिस्की फैसला था, लेकिन जिस काम में रिस्क न हो, फिर वहां नरेंद्र मोदी का क्या काम।

    सर्जिकल स्ट्राइक
    सर्जिकल स्ट्राइक, पीएम नरेंद्र मोदी के लिए वह टर्निंग प्वाइंट था, जिसमें जनता ने खुद आगे बढ़ कर यह कहा कि वह मोदी के साथ है। इसने मोदी के बारे में देशवासियों के दिल में यह विश्वास बढ़ाया कि यह मोदी का भारत है, यह नया भारत है, जो पाकिस्तान को उसके घर में घुस कर मारता है। इस स्ट्राइक ने पूरी दुनिया की सुर्खियां बटोरी थी। एक नजर सर्जिकल स्ट्राइक पर।

    18 सितंबर 2016 को उरी में पाकिस्तान की शह पर जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन ने भारतीय सेना के जम्मू-कश्मीर मुख्यालय पर हमला कर दिया था। उस हमले में 18 जवान शहीद हो गये थे। देश गुस्से में था और हर एक देशवासी पाकिस्तान से बदला चाहता था। मोदी 28 सितंबर 2016 की रात जब पूरा देश सो रहा था, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आधी रात सैन्य अफसरों संग मिल नये भारत की पटकथा लिख रहे थे। भारतीय फौज पाकिस्तान की सीमा के अंदर घुस रही थी और पीएम जग कर पल-पल की खबर ले रहे थे। वह तब तक जगे रहे, जब तक भारतीय सेना के जवान पाकिस्तान में घुस कर आतंकी कैंपों को खत्म करके वापस नहीं आ गये। 29 की सुबह देश के लिए एक नया सवेरा लेकर आया। सोकर उठते ही देशवासियों को गौरवान्वित करनेवाला यह संदेश मिला कि भारतीय सेना पाकिस्तान में घुस कर आतंकी कैंपों को ध्वस्त कर चुकी है। सर्जिकल स्ट्राइक से दुनिया को यह संदेश गया कि यह नया भारत है, जो न झुकेगा और न ही रुकेगा, घर में घुस कर मारेगा। हालांकि देश में तब भी राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल नरेंद्र मोदी से सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांग रहे थे, जब देश का बच्चा-बच्चा इस बात से वाकिफ हो चुका था कि किस तरह हमारे देश के जवानों ने अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है।

    जीएसटी: एक देश-एक टैक्स
    मोदी सरकार के लिए जीएसटी कानून पास कराना काफी चुनौतीपूर्ण था। केंद्र के इस फैसले की गिनती भी मोदी सरकार के सबसे बड़े फैसलों में होती है। देश में जीएसटी 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था। मोदी यह चाहते थे कि एक देश में एक टैक्स सिस्टम हो। इसके खिलाफ भी कांग्रेस ने देश में एक अजीब माहौल बनाया। राहुल गांधी ने इसे गब्बर टैक्स की संज्ञा दे डाली। उनके आह्वान के बाद जीएसटी को लेकर देश के कई हिस्सों में व्यवसायी आंदोलन पर उतरे गये। उन राज्यों में इसका ज्यादा विरोध हुआ और अब भी हो रहा है, जहां गैर भाजपा सरकार है। ऐसे में मोदी सरकार के लिए जीएसटी कानून लाना और लागू करना काफी टफ रहा था, लेकिन अगर ये फैसला टफ नहीं रहता और देशहित में नहीं होता, तो मोदी का क्या काम। आज इस टैक्स से मिले पैसे को विकास के काम में लगाया जा रहा है।

    तीन तलाक कानून
    अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक उपलब्धियों में से एक संसद में तीन तलाक विधेयक का पारित होना रहा। यह एक ऐसा कानून है, जिसने तत्काल तीन तलाक को एक आपराधिक कृत्य बना दिया। तीन तलाक कानून का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं को सशक्त करने के साथ-साथ इस कुप्रथा पर रोक लगाना था। मोदी सरकार का तीन तलाक पर कानून लाने का फैसला भी काफी विवादों में रहा। लेकिन एक बड़े वर्ग ने इसका समर्थन किया। तीन तलाक कानून संसद में पास कराते समय पीएम मोदी का नजरिया बिल्कुल साफ था। उन्होंने संसद में कहा भी था कि उनका यह कदम भारत के इतिहास में हमेशा याद किया जायेगा। कानून पारित होने के बाद पीएम ने कहा था: आज करोड़ों मुस्लिम माताओं-बहनों की जीत हुई है और उन्हें सम्मान से जीने का हक मिला है। सदियों से तीन तलाक की कुप्रथा से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को आज न्याय मिला है। नरेंद्र मोदी का यह फैसला भी बहुत रिस्की था। एक बड़ा वर्ग था, जो इसके विरोध में था। लेकिन आधी आबादी नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी थी। चूंकि यह फैसला देशहित में था, सो नरेंद्र मोदी को यह रिस्क लेना ही था।

    धारा 370
    देश में एक अनोखा वर्ग है, जिसे मोदी के हर काम से आपत्ति होती है। धारा 370 के बारे में भी यह वर्ग नरेंद्र मोदी को धमकी देता था। अगर धारा 370 कश्मीर से हटेगी, तो वहां खून की नदियां बह जायेंगी वगैरह, वगैरह। असदुद्दीन ओवैसी जैसे लोग तो मोदी का मजाक उड़ाते थे कि ये हो ही नहीं सकता। फारूक अब्दुल्ला जैसे लोग देश में डर का माहौल बना रहे थे। जबकि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने की मांग काफी लंबे समय से उठती आयी थी, लेकिन ये मसला हर बार टलता ही रहा। लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने चुनावी वायदों को पूरा करते हुए इस फैसले को लिया और यह फैसला अब तक का सबसे बड़ा फैसला माना जा रहा है। जब नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार देश की बागडोर संभाली तो उन्होंने 5 अगस्त 2019 को एक बड़ा कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष रूप से बनायी गयी धारा 370 तथा अनुच्छेद 35-ए के प्रावधानों को निरस्त कर दिया। कश्मीर से इस अनुच्छेद को हटाने के लिए भाजपा ने सरकार में आने से पहले अपने घोषणा पत्र में इसकी घोषणा भी की थी। सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद को हटाया और इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया। इसके अलावा लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में घोषित किया। उस समय तो कुछ लोगों ने उसका बहुत विरोध किया, लेकिन अब लग रहा है कि उसका आतंकी संगठन कैसे दुरूपयोग कर रहे थे और उसका हटना कितना जरूरी था।

    सीएए-एनआरसी कानून
    मोदी सरकार द्वारा लिये गये फैसले में सीएए कानून लाने को लेकर एक बेहद लंबा विवाद चला। नागरिकता (संशोधन) कानून को केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में संसद में पास किया था। इस बिल का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये छह समुदायों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है। सीएए कानून राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 10 जनवरी 2020 से लागू हो गया है। इस कानून को लेकर विरोधियों द्वारा शाहीनबाग में एक लंबा विरोध प्रदर्शन चलाया गया। दरअसल कानून के तहत केवल 6 शरणार्थी समुदायों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है और इसमें मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है। इसके पीछे तर्क ये दिया गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है। हालांकि राष्ट्रव्यापी नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोधी दावा करते हैं कि जो दस्तावेज प्रदान करने में असमर्थ होंगे, उनकी नागरिकता रद्द कर दी जायेगी। जबकि यह कानून किसी की नागरिकता छीनता नहीं, प्रदान करता है।

    किसान सम्मान निधि योजना
    पीएम किसान योजना 1 दिसंबर, 2018 से लागू हुई थी। ये योजना किसानों के लिए मोदी सरकार की सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है। इस योजना के तहत सभी पात्र किसान प्रति वर्ष छह हजार रुपये की वित्तीय सहायता प्राप्त करने के योग्य हैं। राशि हर चार महीने में दो-दो हजार रुपये की तीन समान किस्तों में सीधे बैंक खाते में जमा की जाती है। कोरोना महामारी के बीच यह योजना किसानों के लिए वरदान साबित हुई। केंद्र सरकार पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों की आय बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। हालांकि शुरूआत में पश्चिम बंगाल सरीखे कुछ राज्य ऐसे थे, जो इस योजना को नहीं लेना चाहते थे, लेकिन बाद में ममता बनर्जी खुद कहने लगीं कि हमारे राज्य के किसानों को भी यह राशि दी जाये, जबकि शुरू में उन्होंने किसानों का विवरण देने से मना कर दिया था।

    आयुष्मान भारत योजना
    आयुष्मान भारत योजना को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अप्रैल 2018 में शुरू किया गया था। कोरोना महामारी के बीच मोदी सरकार की आयुष्मान योजना भी गरीबों के लिए वरदान साबित हुई है। केंद्र सरकार द्वारा आयुष्मान योजना के तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये का सालाना मुफ्त स्वास्थ्य बीमा दिया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को पांच लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस प्रदान किया जाता है। आयुष्मान भारत योजना के तहत 16 सौ से ज्यादा रोगों का इलाज सूचीबद्ध अस्पतालों में दाखिल होने पर बिल्कुल नि:शुल्क किया जाता है। इसका भी शुरू में कुछ गैर भाजपा शासित राज्यों ने विरोध किया था।

    कोरोना वैक्सीन का निर्माण और सफल टीकाकरण
    एक वक्त था, जब महामारी या अन्य घातक बीमारियों से निपटने के लिए भारत दूसरे देशों पर आश्रित रहा करता था। लेकिन मोदी राज में देश ने महामारी की वैक्सीन का सफल निर्माण और सफल टीकाकरण अभियान भी देखा। कोविड-19 के खिलाफ भारत का टीकाकरण अभियान दुनिया का सबसे सफल और सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रमों में से एक है। जिस प्रकार से नरेंद्र मोदी की सरकार ने कोरोना से दो-दो हाथ किये और जनता ने उन पर अपना भरोसा दिखाया, आज भारत में कोरोना चारों खाने चित पड़ा हुआ है। देश में कोरोना महामारी के खिलाफ 2020 में शुरू किये गये देशव्यापी टीकाकरण अभियान का लाभ आज देश में करीब-करीब सभी लोगों को प्राप्त हो चुका है। नरेंद्र मोदी का यह फैसला विश्व में भारत की ताकत और हुनर को प्रदर्शित करता है। आपको याद होगा, शुरू में समाजवादी पार्टी के अगुआ अखिलेश यादव ने इस टीके को भाजपा का टीका बताया था और इसे लेने से मना कर दिया था। लेकिन बाद में जब इसकी अहमियत मालूम हुई, तो हर किसी में इसे लेने की होड़ मच गयी और केंद्र से यह टीका मुफ्ते में मांगा जाने लगा। मोदी ने भी देशवासियों के हित में इसे हर किसी को मुहैया कराया।

    रूस-यूक्रेन युद्ध
    रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान मोदी सरकार पसोपेश में थी। अमेरिका का लगातार दबाव था कि भारत को यूक्रेन के साथ खड़ा होना चाहिए, तो दूसरी तरफ रूस पुराना मित्र था। ऐसे में मोदी सरकार ने तटस्थ रहते हुए यूक्रेन और रूस दोनों के साथ अपने संबंध को बनाये रखा। यूक्रेन के साथ संबंधों को बनाये रखते हुए वहां पर फंसे भारतीय छात्रों को निकालने में मोदी सरकार कामयाब रही, तो रूस के इलाके वाले क्षेत्र से भी भारत के लोगों को वापस लाया गया। इस तरह से मोदी सरकार ने डिप्लोमेसी के साथ सफल कूटनीतिक कदम का उदाहरण पेश किया। यही नहीं, अमेरिकी दबाव के आगे भी मोदी नहीं झुके और वह कम कीमत पर रूस से तेल ले रहे हैं। सच तो यही है कि यह नया भारत है, जो अपनी राह खुद गढ़ता है और उस पर खुद चलता है। आज इस भारत को न तो अमेरिका के सामने हाथ जोड़ कर भीख मांगने की जरूरत है, न चीन की बंदरघुड़की के साथ आगे हाथ जोड़ने की। आज नया भारत गलवान घाटी में चीनी सैनिकों को पछाड़ने का माद्दा रखता है, तो गरीब देशों को मदद पहुंचाने का दिल भी। हालात तो ये हो गये हैं कि पाकिस्तान में इमरान खान जैसे लोग भारत के कसीदे पढ़ रहे हैं। वहीं भारत ने संकट के समय श्रीलंका के साथ खड़ा होकर अपना मानवीय चेहरा दिखाया है। हम कह सकते हैं: आज का भारत कटोरा लेकर भीख नहीं मांगता, आज का भारत आंख में आंख डाल कर बात करता है। और इस भारत का नेतृत्व नरेंद्र मोदी कर रहे हैं, जिन पर देशवासियों को गर्व है और मोदी ने भी यह विश्वास जगाया है: मोदी है तो मुमकिन है।

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