नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी है। हेमंत सोरेन ने चुनाव प्रचार के लिए कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी। इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान प्रार्थी का पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तरह ही बेल देने का अनुरोध किया, जिसका इडी ने विरोध करते हुए कहा कि सोरेन को जमानत देने पर जांच प्रभावित हो सकती है।
20 मई को इडी ने कोर्ट को क्या बताया
हेमंत सोरेन राज्य मशीनरी का दुरुपयोग करके उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।
एक राजनेता एक आम नागरिक से अधिक विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकता। अगर सोरेन को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो जेल में बंद सभी राजनेता ऐसी मांग कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में जमा कराये ऐफिडेविट में अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए इडी ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों से यह साबित होता है कि हेमंत सोरेन अवैध तरीके से संपत्तियां हासिल करने और उन पर कब्जा रखने में शामिल हैं। यह अपराध से अर्जित आय है।
हेमंत सोरेन की ओर से कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दी थी ये दलीलें
यह 8.86 एकड़ जमीन का मामला है, जो आदिवासी भूमि है। छोटानागपुर टीनेंसी एक्ट के तहत इसे ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।
12 प्लॉट हैं, 1976 से 1986 के बीच गैर आदिवासियों के नाम की रजिस्टर में एंट्री हुई है। तब हेमंत सोरेन 4 साल के थे। इससे उनका कुछ लेना देना नहीं है।
सोरेन पर आरोप है कि 2009-10 में उन्होंने जमीन पर जबरन कब्जा किया। उनके खिलाफ 20 अप्रैल 2023 को केस चलाया जाता है।
इस जमीन पर बिजली का कनेक्शन आरोपी नंबर चार के नाम पर है।
2015 में हुई लीज में यह खेती वाली जमीन है। साफ है कि यह हेमंत सोरेन के कब्जे में नहीं। लीज का मालिक राजकुमार है।
सिविल मामला है, इडी जांच नहीं कर सकती- सिब्बल
सिब्बल ने शिकायतकर्ता बैजनाथ मुंडा और श्यामलाल पाहन का नाम लेते हुए कहा कि ये जमीन के मालिक होने का दावा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह भुइंहरी जमीन है। इसलिए मुंडा और पाहन का दावा विवादित है। मामला बेनामी लगता है। उन्होंने कहा कि यह सिविल मामला है और इसलिए इडी जांच नहीं कर सकती है।