नई दिल्ली। पाकिस्तान को कुछ दिनों पहले इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) से 1 बिलियन डॉलर का कर्ज मिला था। आतंकियों को पोषित करने वाले पाकिस्तान को पैसे दिए जाने पर आईएमएफ की कार्यवाही पर सवाल खड़े होने लगे थे। वहीं, अब आईएमएफ को डर सताने लगा है कि कहीं पाकिस्तान को दिए पैसे डूब न जाए, इसलिए संस्था ने एक बड़ा कदम उठाया है।
आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए अपने राहत कार्यक्रम की अगली किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें लागू की हैं। वहीं, आईएमएफ ने भारत-पाकिस्तान तनाव को आर्थिक कार्यक्रम के लिए गंभीर जोखिम बताया है।
आइए अब उन शर्तों को भी जान लें जो आईएमएफ ने पाकिस्तान पर लागू की।
अगले वित्त वर्ष के लिए 17,600 अरब रुपये के नए बजट को संसद से पारित करना अनिवार्य होगा।
बिजली बिलों में वृद्धि करनी होगी।
तीन साल से अधिक पुरानी पुरानी कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाना होगा।
चार संघीय इकाइयों द्वारा नया कृषि आयकर कानून लागू करना, जिसमें करदाता पहचान, रिटर्न प्रोसेसिंग, अनुपालन सुधार करना है।
देश में संचार अभियान को मजबूत करना होगा।
IMF सिफारिशों के आधार पर संचालन सुधारों के कामकाज को दिखाना होगा।
2027 के बाद की वित्तीय क्षेत्र की रणनीति तैयार कर उसे सार्वजनिक करना होगा।
ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी चार अतिरिक्त शर्तें भी लगाई गई है, जिनमें टैरिफ निर्धारण, वितरण सुधार और वित्तीय पारदर्शिता शामिल हैं।
रक्षा बजट में लगातार बढ़ोतरी कर रहा पाकिस्तान
महंगाई और कमजोर अर्थव्यवस्था की मार झेल रहा पाकिस्तान लगातार अपने रक्षा बजट में बढ़ोतरी कर रहा है। पाकिस्तान का आगामी रक्षा बजट 2,414 अरब रुपये है, जो पिछले वर्ष से 12 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, शहबाज सरकार ने इस महीने की शुरुआत में 2,500 अरब रुपये (18 प्रतिशत वृद्धि) की है। आशंका है कि पाकिस्तान के इस फैसले पर आईएमएफ नाराजगी जाहिर कर सकता है।
आतंकवादियों को फंडिंग दे रही पाकिस्तान सरकार
भले ही आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का कर्ज दे दिया, लेकिन भारत का कहना है कि पाकिस्तान इस पैसे का गलत इस्तेमाल करने वाला है। हाल ही में पाकिस्तान के मंत्री तनवीर हुसैन ने मुरीदके का दौरा किया था। मुरीदके उन नौ आतंकी ठिकानों में से एक है, जहां ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया। हुसैन ने कहा था कि सरकार अपने खर्च पर इस इलाके को पुननिर्माण करेगी।
हुसैन के इस बयान के बाद भारत ने नाराजगी जाहिर की थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता देना आतंकवाद को फंडिंग करने से कम नहीं है।