रांची। झारखंड के सीनियर आईएएस विनय कुमार चौबे को बड़ा झटका लगा है। एसीबी की टीम ने उन्हें शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार कर लिया है। मंगलवार सुबह एसीबी की एक टीम तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे के आवास पहुंची और उन्हें गाड़ी में बिठाकर एसीबी ऑफिस लाया गया। फिर शुरु हुआ पूछताछ का सिलसिला।
शाम होने से पहले पूर्व संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को भी पूछताछ के लिए बुला लिया गया। इसी बीच मेडिकल टीम के एसीबी दफ्तर पहुंचने से साफ हो गया था कि कोई बड़ी कार्रवाई होने जा रही है। शाम 4।30 बजे के करीब इस रहस्य पर से पर्दा तब उठ गया जब एसीबी की टीम विनय कुमार चौबे को लेकर कोर्ट के लिए रवाना हो गई।
आपको बता दें कि एक दौर था जब विनय कुमार चौबे की प्रशासनिक गलियारे में तूती बोलती थी। वह सीएम हेमंत सोरेन के सचिव थे। उनके पास उत्पाद विभाग, नगर विकास विभाग के अलावा कई दूसरे विभागों की जिम्मेदारी थी। स्मार्ट सिटी में मंत्रियों के लिए आवास और राजधानी में फ्लाईओवर के निर्माण में इनकी बड़ी भूमिका रही है।
विवादों से इनका नाता तब जुड़ा जब ईडी की टीम ने छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए रायपुर बुलाया। इसी घटना के बाद विनय कुमार चौबे के स्टेट्स में कटौती शुरु हो गई। थोड़े समय के भीतर ही उन्हें सीएमओ से दूर कर दिया गया। वर्तमान में विनय कुमार चौबे पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव हैं।
इस गिरफ्तारी की पटकथा मार्च 2022 में ही लिखी जा चुकी थी। तब विनय चौबे उत्पाद विभाग के सचिव थे। कहा जाता है कि उनकी पहल पर ही मार्च 2022 में झारखंड में छत्तीसगढ़ मॉडल पर आधारित उत्पाद नीति लागू हुई थी। झारखंड की पूर्व की उत्पाद नीति को राजस्व की कसौटी पर फ्लॉप बताकर पूरा गेम प्लान तैयार हुआ था।
इसको लेकर रायपुर में बैठक भी हुई थी। नई नीति के बनते ही छत्तीसगढ़ का सिंडेकेट सक्रिय हो गया था। इस दौरान नकली होलोग्राम और अवैध शराब की सप्लाई की वजह से झारखंड के राजस्व को भारी नुकसान हुआ था।
छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाला मामले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने ईसीआईआर दर्ज कर झारखंड के तत्कालीन उत्पाद सचिव रहे विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह से ईडी ने रायपुर में पूछताछ की थी। इसके बाद दोनों अधिकारियों के घरों पर ईडी की छापेमारी भी हुई थी। आपको बता दें कि रांची के अरगोड़ा निवासी विकास सिंह ने शराब घोटाला को लेकर शिकायत दर्ज करवाई थी।
छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा इस घोटाले की जांच कर रही है। बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ में अधिकारियों और शराब सिंडिकेट की मिलीभगत से 2000 करोड़ का शराब घोटाला हुआ था। इस मामले में कई कारोबारी और अधिकारी जेल जा चुके हैं। इस मामले की जांच ईडी भी कर रही है।