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    Home»राज्य»प्रधानमंत्री के संबोधन से नहीं टल सकता संसद में व्यवस्थित चर्चा का विकल्प : सीपीआई(एम)
    राज्य

    प्रधानमंत्री के संबोधन से नहीं टल सकता संसद में व्यवस्थित चर्चा का विकल्प : सीपीआई(एम)

    shivam kumarBy shivam kumarMay 13, 2025Updated:May 13, 2025No Comments2 Mins Read
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    कोलकाता। सीपीआई(एम) के महासचिव एम.ए. बेबी ने सोमवार रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का भाषण संसद में एक व्यवस्थित चर्चा का विकल्प नहीं हो सकता। बेबी ने फेसबुक पर जारी बयान में लिखा, “लोकतंत्र एकतरफा रास्ता नहीं होता। प्रधानमंत्री का टेलीविजन पर दिया गया भाषण संसद में बयान की विषयवस्तु पर व्यवस्थित चर्चा का स्थान नहीं ले सकता। संसदीय लोकतंत्र में सरकार को जवाबदेह रहना होता है।”

    प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले ही बेबी ने बताया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने संघर्षविराम की ताजा घटनाओं और अन्य राष्ट्रीय चिंताओं पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।

    प्रधानमंत्री के भाषण के बाद सीपीआई(एम) महासचिव ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कई अहम मुद्दों को नजरअंदाज किया, जिनमें सीमा पार गोलाबारी में मारे गए लोगों के नामों का उल्लेख भी शामिल है।

    बेबी ने कहा, “अपने भावनात्मक भाषण में प्रधानमंत्री ने उन लोगों का जिक्र करना भी जरूरी नहीं समझा, जो सीमा पार गोलाबारी में मारे गए और उनके परिवारों का भी कोई उल्लेख नहीं किया।” इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की उस भूमिका को भी नजरअंदाज किया, जिसमें उन्होंने पिछले महीने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीड़ितों की मदद की थी।

    बेबी ने कहा, “प्रधानमंत्री ने कश्मीरी जनता के साहस और पीड़ितों की मदद में उनके निस्वार्थ योगदान और हमले की स्पष्ट निंदा के बारे में एक शब्द तक नहीं कहा।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री न तो नफरत फैलाने वाले अभियानों की निंदा कर पाए और न ही उस विदेश सचिव का बचाव किया, जिसे सरकार की ओर से बोलने के कारण निशाना बनाया गया। सीपीआई(एम) ने साफ कहा कि लोकतंत्र में संवाद जरूरी है और प्रधानमंत्री का एकतरफा संबोधन उससे बचने का माध्यम नहीं हो सकता।

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