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    Home»Jharkhand Top News»झारखंड डीजीपी विहीन, अनुराग गुप्ता के फैसले नियम विरुद्ध: बाबूलाल
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    झारखंड डीजीपी विहीन, अनुराग गुप्ता के फैसले नियम विरुद्ध: बाबूलाल

    shivam kumarBy shivam kumarMay 2, 2025No Comments5 Mins Read
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    मुख्यमंत्री अविलंब राज्य में दूसरे डीजीपी की नियुक्ति करें
    आजाद सिपाही संवाददाता
    रांची। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में प्रेसवार्ता कर राज्य सरकार पर बड़ा निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दो दिनों से झारखंड संवैधानिक रूप से डीजीपी विहीन राज्य है। इतना ही नहीं झारखंड में एसीबी, सीआइडी और पुलिस सभी के डीजीपी का पद रिक्त है। कहा कि अनुराग गुप्ता द्वारा दिये जा रहे निर्देश, निर्णय गृह मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश के आलोक में पूरी तरह असंवैधानिक है। कहा कि एक आइपीएस अफसर जिस पर भ्रष्टाचार, पक्षपात और फ्रॉड का आरोप हो, कोई भी सरकार अपने राज्य और जनता की सुरक्षा उसके हवाले कैसे कर सकती है?

    श्री मरांडी ने कहा कि 1990 बैच के आइपीएस अनुराग गुप्ता के पर आरोपों की लिस्ट काफी लंबी है। उन पर बिहार के जमाने में मगध यूनिवर्सिटी पुलिस स्टेशन केस नंबर 64/2000 धारा 420,467,468,471,474,109,116, 120 बी और 201के तहत और सेक्शन 13 के तहत भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का केस हुआ था। कहा कि जहां तक मुझे स्मरण है कि मेरे मुख्यमंत्रित्व काल के अंतिम दिनों में उस मामले में प्रॉसिक्यूशन सैंक्शन के लिए बिहार से अनुरोध पत्र भी आया था। उस पर आगे क्या हुआ इसका मुझे स्मरण में नहीं है। कहा कि हेमंत सोरेन ने खुद इन्हें 24 फरवरी 2020-से 9 मई 2022 (26 महीने) निलंबित किये रखा। लेकिन इस दौरान हेमंत सोरेन और अनुराग गुप्ता की नजदीकियां इतनी बढ़ीं कि सस्पेंशन की अवधि खत्म होते ही हेमंत सोरेन ने अनुराग गुप्ता को वापस झारखंड में ही नियुक्ति दे दी।

    कहा कि हेमंत का अनुराग गुप्ता के प्रति नफरत के अचानक निकटता में बदलने के वजह के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई तो पता चला कि इनकी नियुक्ति की शर्त यह थी कि उन्हें झारखंड में इडी के मुकदमों को मैनेज करना होगा और सरकार के भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले गवाहों पर झूठे केस चलाकर दबाव बनाना होगा। तभी से यह अटूट साझेदारी चली आ रही है। वरना झारखंड प्रशासन में वरिष्ठ और योग्य आइपीएस अफसरों की कोई कमी न तो पहले थी, न ही आज है। कहा कि अनुराग गुप्ता के प्रयास से इडी के अफसरों को डराने और काम से रोकने के लिए तीन-तीन मुकदमे पुलिस में दर्ज करवाये गये। जिनके जांच और कार्रवाई पर हाइकोर्ट को रोक लगानी पड़ी है।

    अभी हाल में इडी के तीन गवाहों को पुलिस केस कर जेल भेजा गया। राज्य सेवा के कुछ अफसर जिनके बयान एवं कार्रवाई पर इडी ने कारवाई कर बड़ी मछलियों को पकड़ा वैसे अफसरों पर एसीबी और पुलिस के जरिये कार्रवाई कर उन पर इडी के खिलाफ बोलने का दबाव बनाया जा रहा है। कहा कि क्या कारण है कि जनवरी 2025 से अब तक पूजा सिंघल, छवि रंजन, आलमगीर आलम समेत दस से भी ज्यादा सरकारी लोगों पर प्रॉसिक्यूशन सेंक्शन के लिए इडी ने झारखंड सरकार को अनुरोध भेजा हुआ है। लेकिन एक भी मामले में झारखंड सरकार ने अबतक सेंक्शन नहीं दिया है। कहा कि 2024 में चुनाव आयोग ने डीजीपी अनुराग गुप्ता को अपने पद का दुरुपयोग करने का दोषी पाया और उन्हें हटा कर दूसरे डीजीपी की नियुक्ति की। लेकिन हद तो तब हो गयी, जब मुख्यमंत्री बनने के कुछ घंटों के अंदर ही हेमंत सोरेन ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया। कहा कि कोर्ट के आदेश की अवहेलना करके अनुराग गुप्ता को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया। फिर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 7 जनवरी को आनन-फानन में आॅल इंडिया सर्विस रूल्स (1958) को दरकिनार करते हुए सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए एक नयी नियमावली ही बना डाली।

    कहा कि आॅल इंडिया सर्विस नियमों के अनुसार, सरकार को डीजीपी की नियुक्ति के लिए पैनल की अनुशंसा यूपीएससी को भेजनी होती है, किंतु झारखंड सरकार ने अपनी मर्जी से नियम बनाकर यह जिÞम्मेदारी खुद ही ले ली। यह भली-भांति जानते हुए कि अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल को रिटायर होने वाले हैं, सरकार ने सारे नियम-कानूनों को धत्ता बताते हुए 3 फरवरी को उन्हें झारखंड का डीजीपी नियुक्त कर दिया। जानबूझकर रिटायरमेंट के 2 महीने पहले नियुक्ति करना दर्शाता है कि वे नियुक्ति के बाद कम से कम दो साल डीजीपी बनाये रखने वाले नियम का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं।

    कहा कि इस असंवैधानिक नियुक्ति के संदर्भ में गृह मंत्रालय ने झारखंड सरकार को जो पत्र लिखा है, उसका जवाब में हेमंत सोरेन गृह मंत्रालय को ही पुनर्विचार करने को बोल रहे हैं। सरकार नियमों को ताक पर रखकर संवैधानिक पदों की गरिमा समाप्त कर रही है। कहा यह सिर्फ़ डीजीपी की नियुक्ति तक ही सीमित नहीं है — झारखंड में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और सीआइडी का कार्यभार भी गैर कानूनी तरीके से यही संभाल रहे हैं।

    अनुराग गुप्ता के कार्यकाल में कोयले की चोरी में बेतहाशा वृद्धि हुई है। भ्रमण के दौरान जब धनबाद इलाके में मुझे लोगों ने बताया कि उस इलाके से रोजाना पांच सौ ट्रक से भी ज्यादा कोयले की चोरी हो रही है तो मैंने यह बात सरकार के संज्ञान लाया। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही। श्री मरांडी ने अविलंब राज्य में डीजीपी नियुक्त करने की मांग की। प्रेसवार्ता में प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक, प्रवक्ता अजय साह भी उपस्थित थे।

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