ढाका। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के हालिया सरकारी सेवा (संशोधन) अध्यादेश-2025 का विरोध तेज हो गया है। सरकारी कर्मचारी गुस्से में हैं। उन्होंने अध्यादेश वापस न लेने पर देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी है। सरकार ने राजधानी ढाका स्थित सचिवालय पर प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। साथ ही सचिवालय की सुरक्षा बढ़ाते हुए उसे छावनी में बदल दिया गया है।
बांग्ला ट्रिब्यून के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन शुरू होने से पहले सचिवालय की सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है। हालांकि, सुरक्षा की जिम्मेदारी आमतौर पर पुलिस और एपीबीएन के जवानों की होती है, लेकिन बीजीबी और एसडब्ल्यूएटी के सदस्यों को भी तैनात किया गया है। सरकारी सेवा (संशोधन) अध्यादेश-2025 को वापस लेने की मांग को लेकर कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन को लेकर सचिवालय में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। यद्यपि सचिवालय की सुरक्षा सामान्यतः पुलिस और एपीबीएन के जवान ही जिम्मेदार होते हैं, लेकिन बीजीबी और एसडब्ल्यूएटी सदस्यों को भी तैनात किया गया है। आज सुबह करीब 10 बजे सचिवालय के आसपास ऐसी सुरक्षा व्यवस्था देखी गई।
सचिवालय में सुबह 8 बजे से ही पुलिस, एपीबीएनएन, बीजीबी और स्वाट के जवानों का पहरा है। सुबह करीब 10:20 बजे आरएबी के जवान भी पहुंच गए। आरएबी के उप सहायक निदेशक मोहम्मद सिराजुल इस्लाम ने कहा कि सचिवालय की सुरक्षा में आरएबी की दो टीमों को लगाया गया है। सचिवालय के सभी द्वारों पर सुरक्षा का सख्त इंतजाम किया गया है। मुख्य द्वार के सामने स्वाट का हथियारबंद वाहन खड़ा किया गया।
सरकारी सेवा (संशोधन) अध्यादेश-2025 को वापस लेने और अन्य मांगों को लेकर भेदभाव विरोधी कर्मचारी एकता मंच ने आज लगातार दूसरे दिन विरोध प्रदर्शन किया है। इस बीच ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) ने बैठकों और सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। सोमवार को गृह मंत्रालय ने घोषणा की कि मंगलवार को सचिवालय में सभी प्रकार के आगंतुकों के प्रवेश पर रोक रहेगी।
सचिवालय मुख्य द्वार पर पुलिस उप निरीक्षक (एसआई) मोहम्मद सोहराब ने कहा कि आज अधिकारियों और कर्मचारियों के अलावा किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं है। भेदभाव विरोधी कर्मचारी एकता मंच ने कहा कि उनका आंदोलन बुधवार को भी जारी रहेगा। मंच ने कैबिनेट सचिव डॉ. शेख अब्दुर रशीद और लोक प्रशासन सचिव मोहम्मद मोखलेसुर रहमान को हटाने की भी मांग की है।
कर्मचारी नेता नूरुल इस्लाम ने कहा कि सरकार अगर मांगें नहीं मानती तो काले कानून के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। उल्लेखनीय है कि पिछले गुरुवार को सलाहकार परिषद की मंजूरी के बाद सरकारी सेवा कानून में संशोधन करते हुए अध्यादेश जारी किया गया। संशोधित अध्यादेश के अनुसार, यदि सरकारी अधिकारी अवज्ञाकारी हैं, बिना छुट्टी के काम से अनुपस्थित हैं, या दूसरों को उनके कर्तव्यों के पालन में बाधा डालते हैं, तो इसे दंडनीय अपराध माना जाएगा। दंड में पदावनति, निष्कासन या बर्खास्तगी शामिल है।