नई दिल्ली: मंगलवार 30 मई का वह दिन, जब सभी लोग हर दिन की तरह मैट्रो में अपने अपने काम से अपनी मज़िल तक पहुँच रहे थे तो उसी दिन एक गैंगरेप पीड़िता अपनी बच्ची के शव को लेकर दर दर की ठोकरें खाकर मैट्रो में ही भटक रही थी उसकी मज़िल बस एक ही थी कि वह किसी भी कीमत पर अपनी 8 माह की बच्ची को बचा सके मगर 7 घंटे के घोर प्रयासों के बाद भी वह अपनी दूध पीती बच्ची को नहीं बचा पाई।
यह घटना 29 मई की है जब एक युवती अपने पड़ोसियों के झगड़े से परेशान होकर रात में ही अपने मायके की लिये जा रही थी उसने मायके जाने के लिये एक ऑटो लिया लेकिन उसे क्या पता था वह जिस ऑटों में बैठी है उस ऑटो में इंसान नहीं दरिंदे बैठे है। उस ऑटो में पहले से ही बैठे 2 युवकों ने ड्राइवर के साथ मिलकर उस युवती के साथ रेप कर दिया उसके बाद उसकी मासूम बच्ची को भी ऑटो से बाहर फेंक कर वहाँ से फरार हो गये।
इसके बाद वह अपनी बच्ची को लेकर रात भर वहीं तड़पती रही जब सुबह हुई तो वह अपनी बच्ची को लेकर एक निजी अस्पताल गई जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया लेकिन एक माँ का मन अभी कहाँ इजाजत दे रहा था कि वह मान ले कि उसकी बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही। उसके बाद वह मैट्रो से अन्य अस्पतालों में गई जहाँ पर भी उसे यही बताया गया उसकी बच्ची अब मर चुकी है। हाँलाकि पुलिस ने इस केस दर्ज कर लिया है, और पीड़िता के इंसाफ के लिये एस.आई.टी गठित कर दी गई है जिसका हेड एसीपी मानेसर को बनाया गया है। वहीं केस में कभी तक एक संदिग्ध को हिरासत में लिया है।