रांची: मुख्य सचिव राजबाला वर्मा की अध्यक्षता में बुधवार को एनटीसीपी (नेशनल टुबैको कंट्रोल प्रोग्राम) की राज्यस्तरीय समन्वय समिति की बैठक हुई। बैठक में मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि राज्य को तंबाकू मुक्त बनाने के लिये निहित प्रावधानों के अनुरूप कार्रवाई करते हुए एंटी टुबैको स्क्वायड को सक्रिय किया जाये। साथ ही शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दायरे में आने वाले सभी पान मसाला एवं तंबाकू की दुकानों को हटाने का निर्णय लिया गया।
राज्य में 50.1 प्रतिशत आबादी करती है तंबाकू का सेवन
मुख्य सचिव ने कहा कि झारखंड में तंबाकू सेवन करने वालों की तादाद अन्य प्रदेशों से कहीं ज्यादा है। इससे संबंधित होने वाली बीमारियों की जद में एक बड़ी आबादी आ रही है। ग्लोबल अडल्ट टुबैको सर्वे के अनुसार राज्य में 50.1 प्रतिशत आबादी तंबाकू का सेवन करती है, जिसमें 63.6 प्रतिशत पुरुष तथा 35.9 प्रतिशत महिलाएं हैं। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि झारखंड को तंबाकू मुक्त बनाने के लिए तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाना होगा। इसके लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार करने और पान मसाला पर बैन लगाने के लिए कैबिनेट में संकल्प लाने का भी निर्णय लिया गया। विदित हो कि असम एवं महाराष्ट्र सरकार ने पान मसाला की बिक्री के लिए विधानसभा में विधेयक पारित कर पान मसाला एवं तंबाकू को प्रतिबंधित कर रखा है।
जिलों में गठित एंटी टुबैको स्क्वायड को सक्रिय बनाया जाये : बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि विभिन्न विभागों द्वारा की जाने वाली मासिक समीक्षा बैठक में तंबाकू नियंत्रण के विषयों की भी गंभीरता पूर्वक समीक्षा की जायेगी। साथ ही जिलों में गठित एंटी टुबैको स्क्वायड को सक्रिय बनाया जायेगा। जिन-जिलों में इसका गठन नहीं हुआ है, वहां गठन करने का निर्णय हुआ। सदस्यों ने सुझाव दिया कि तंबाकू नियंत्रण के लिए राज्य बजट में अलग से उपबंध किया जाना चाहिए। साथ ही अवेयरनेस के लिए राजनीतिज्ञों एवं कानूनविदों को गंभीर भूमिका निभानी होगी।
तंबाकू-धूम्रपान के प्रचार-प्रसार पर बैन का सुझाव
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि तंबाकू नियंत्रण के लिए दो बिन्दुओं यथा, मांग में कमी के लिए जागरूकता कार्यक्रम तथा आपूर्ति पर नियंत्रण हेतु कोटपा 2003 के निहित प्रावधानों का पालन हो। यह भी निर्णय लिया गया कि तंबाकू एवं धूम्रपान का प्रचार प्रसार जिस प्रकार कंपनियों द्वारा किया जा रहा है, उस पर बैन लगाया जाना चाहिए। कानून में निहित प्रावधानों के अनुसार दुकानदारों को एवं सार्वजनिक स्थलों, सरकारी एवं गैर सरकारी दफ्तरों में कंपनियों/मालिकों अथवा भू स्वामियों को सफेद पृष्ठ भूमि का बोर्ड लगाना अनिवार्य है। बैठक में अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग सुधीर त्रिपाठी, निदेशक केएन झा सहित कई पदाधिकारी उपस्थित थे।