Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Friday, May 9
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Top Story»किसान आंदोलन: क्यों भड़के हैं अन्नदाता, जानिए 3 वजहें
    Top Story

    किसान आंदोलन: क्यों भड़के हैं अन्नदाता, जानिए 3 वजहें

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीJune 12, 2017No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    खेती के लिए बैंकों से मिले कर्ज के बोझ और फसलों की उचित कीमत न मिलने से परेशान किसान सड़कों पर उतर आए हैं। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के बाद कर्नाटक और पंजाब के अन्नदाता राज्य सरकारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की भी मांग कर रहे हैं।

    हालांकि किसान संगठनों के विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने रविवार को किसानों के पूर्ण कर्जमाफी की घोषणा कर दी, जिसमें सरकार का कहना है कि किसानों का पूरा कर्ज माफ करने के लिए सरकार एक कमेटी का गठन करेगी जो कर्जमाफी के लिए मानक तैयार करेगी।

    किसानों के राहत के लिए शिवराज की 6 घोषणाएं
    वहीं, मध्यप्रदेश में हिंसक हुए किसान आंदोलन में कम से 6 किसानों की मौत हो गई थी, जिसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 28 घंटे से जारी अपने अनशन को खत्म करने से पहले किसानों के लाभ के लिए कुछ कदम उठाने की घोषणा कर दी।

    उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर किसी भी कृषि उत्पाद की खरीद को अपराध माना जाएगा। कृषि भूमि अब संबद्ध किसानों की सहमति से ही अधिग्रहित की जाएगी। उन्होंने कहा कि किसान बाजार की स्थापना सभी नगर निगम इलाकों में की जाएगी और राज्य भर में गुजरात के अमूल डेयरी कोऑपरेटिव्स की तर्ज पर सहकारी संस्थान की स्थापना की जाएगी।

    चौहान ने कहा कि सरकार 1,000 करोड़ रुपये के एक मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना करने जा रही है ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पादों की खरीद की जा सके। इसके अलावा, कृषि लागत एवं विपणन आयोग की स्थापना भी की जाएगी ताकि कृषि उत्पाद का उचित मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।

    इस बीच तमिलनाडु के सीएम ई पलानीसामी ने सोमवार को डेल्टा रीजन के किसानों के लिए 56.92 करोड़ की धनराशि आवंटित की। अपको बता दें कि तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा क्षेत्र में हजारों एकड़ फसलें खराब मानसून के चलते चौपट हो गई हैं। सूखे की हालत यह है कि राज्य के सभी 32 जिलों को सूखा ग्रस्त घोषित कर दिया गया है।

    राज्य सरकार ने 2 हजार 247 करोड़ रुपए का सूखा राहत पैकेज देने की बात कही थी हालांकि किसान इसे कम मान रहे हैं। किसानों ने केंद्र सरकार से राहत पैकेज देने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर कई दिनों तक प्रदर्शन किया। केंद्र ने इसे राज्य सरकार का मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया।

    इन 3 कारणों से किसान हैं परेशान

    1. फसलों की उचित कीमत न मिलना:
    किसान फसलों को उगाने के लिए बीज, खाद और सिंचाई पर जितना पैसा खर्च करते हैं, उतना पैसा उनको फसल तैयार होने पर नहीं मिलता है। जब वे मंडी में अपनी फसलों को बेचने जाते हैं तो कम कीमत के कारण लागत भी नहीं निकलती है। इससे परेशान किसान विरोध स्वरूप अपनी फसलें सड़कों पर फेंक देते हैं। आपने कई बार सड़कों पर टमाटर, आलू, हरी सब्जियों के अलावा दूध बहाए जाने की तस्वीरें और खबरें देखी होंगी। मंदसौर आंदोलन से जुड़े किसानों की मांगों में फसल की लागत की डेढ़ गुनी कीमत भी एक मांग है। हालां​कि सरकार समय-समय पर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है।

    क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य: केंद्र सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर कुछ फसलों के बुवाई सत्र के आरम्भ में
    न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। इसका मकसद किसानों की फसलों का एक न्यूनतम मूल्य तय करना होता है ताकि फसल की बंपर पैदावार के समय उसकी कीमतों में तेजी से गिरावट होती है तो किसानों को कम से कम फसल का निर्धारित न्यूनतम मूल्य मिल सके। इसका उद्देश्य किसानों को मजबूरन सस्ते कीमत पर फसल बिक्री करने से बचाना और सार्वजनिक वितरण के लिए उनसे खाद्दान्न की खरीद करना है।

    आपको बता दें कि सरकार 25 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है, जिनमें धान, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर, मूंगफली, सरसों, तोरिया, सोयाबीन के बीज, कुसुम्भी, नारियल, कच्चा कपास, कच्चा जूट, गन्ना आदि शामिल हैं।

    2. पानी के लिए मानसून पर निर्भरता
    कई राज्यों के किसान अपनी फसलों की सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर होते हैैं, मानसून समय पर नहीं आया तो फसलें सूखने लगती हैं। फसलों के बर्बाद होने से बीज और खाद पर लगाई गई उनकी लागत भी नहीं निकलती। फसल बोने के लिए किसान जो कर्ज लेते हैं, वो उनके सिर का बोझ हो जाता है। अगली फसल के लिए उनको फिर बैंकों से कर्ज लेना पड़ता है, अगर आगे भी यही हाल रहता तो किसान के लिए उम्मीदें खत्म होने लगती हैं। लिहाजा देश के अलग अलग हिस्सों से अन्नदाताओं के खुदकुशी की खबरें आने लगती हैं। पिछले 20 सालों में करीब 3 लाख से अधिक किसानों ने खुदकुशी की है।

    3. किसानों के लिए कर्जमाफी ही दिखता है एक रास्ता
    बैंकों या ब्याजखोरों के कर्ज से दबे किसान राज्य और केंद्र सरकारों से कर्जमाफी की उम्मीद लगाते हैं, ताकि उनका कर्ज खत्म हो और आर्थिक राहत मिलने से वे एक बार फिर नई फसल बोने के बारे में सोच सकें। महाराष्ट्र के 1 करोड़ 36 लाख किसानों पर करीब 1 लाख 14 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। इनमें से करीब 31 लाख छोटे किसानों की कर्जमाफी पर 30 हजार करोड़ रुपए का बोझ सरकार पर पड़ेगा। वहीं, यूपी की योगी सरकार ने किसानों के 36 हजार करोड़ के कर्ज माफ करने की घोषणा की है। यूपी सरकार के इस फैसले के बाद से ही अन्य राज्यों के किसान भी कर्जमाफी के लिए राज्य सरकारों पर दबाव डाल रहे हैं। इस बीच महाराष्ट्र में किसानों का कर्ज माफ किये जाने के सवाल पर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने रविवार को कहा था कि​ जो भी राज्य कृषि ऋण माफ करना चाहते हैं इसके लिये उन्हें राशि अपने ही संसाधनों से जुटानी होगी।

    यूपीए सरकार ने स्वामीनाथन आयोग का गठन किया था, ताकि किसानों को उनकी फसलों के लाभकारी समर्थन मूल्य दिए जा सकें। यह रिपोर्ट साल 2007 में केंद्र सरकार को सौंप दी गई थी। इस रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई थी कि किसान की फसल की लागत में उसका 50 फीसदी लाभ जोड़कर समर्थन मूल्य तय किया जाए।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleप्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए बीजेपी अध्यक्ष ने बनाई मंत्रियों की कमेटी
    Next Article पुलिस के हत्थे चढ़ा पुर्वाचंल का यादव
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    सरायकेला में रंगदारी नहीं देने पर दुकानदार को गोली मारी

    May 9, 2025

    झारखंड कैबिनेट की बैठक संपन्न, 34 प्रस्तावों को मिली मंजूरी

    May 9, 2025

    झारखंड का तापमान पहुंचा 40 डिग्री

    May 9, 2025
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • सरायकेला में रंगदारी नहीं देने पर दुकानदार को गोली मारी
    • झारखंड कैबिनेट की बैठक संपन्न, 34 प्रस्तावों को मिली मंजूरी
    • झारखंड का तापमान पहुंचा 40 डिग्री
    • बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के दावे से पाकिस्तान में खलबली
    • मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला हालात का जायजा लेने जम्मू पहुंचे
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version