“ब्रिटेन आम चुनाव में एक ओर जहां किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर इस चुनाव में एक ऐतिहासिक जीत दर्ज हुई है। इस चुनाव में लेबर पार्टी के दो सिख उम्मीदवारों को जीत मिली है, जिसमें प्रीत कौर गिल ब्रिटेन की पहली महिला सिख सांसद और तनमनजीत सिंह धेसी पार्टी के पहले पगड़ीधारी सांसद बन गए हैं। ”

दरअसल, ब्रिटेन में समय से पहले हुए चुनाव में इस बार सबसे ज्यादा महिला सांसद चुनी गई हैं, जिनमें भारतीय मूल की प्रीत कौर गिल बर्मिंघम से चुनाव जीत गई हैं। वह इस तरह चुनाव जीतने वाली पहली सिख महिला बन गई हैं। जिन्होंने बर्मिंघम एजबेस्‍टन सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 6,917 वोटों से हराया। इसके अलावा ब्रिटेन चुनाव में भारतीय मूल के 10 और उम्मीदवारों को भी जीत मिली है। ब्रिटेन में कुल 12 भारतीय मूल के सांसदों की जीत रिकॉर्ड है।

सीख महिला प्रीत कौर, जहां पली-बढ़ीं वहीं बनी सांसद

जीत के बाद प्रीत कौर ने कहा, मुझे खुशी है कि एजबेस्टन में जहां मैं पली-बढ़ी, वहां की सांसद बन गई हूं। लोगों के साथ मिलकर काम करूंगी। वहीं, दूसरे सिख सांसद धेसी ने स्‍लो सीट से 17 हजार वोटों से जीत दर्ज की है। उन्होंने कहा कि मैं अपने इलाके के लोगों का सपना पूरा करने की हर मुमकिन कोशिश करूंगा। दूसरी ओर, लेबर पार्टी के एक अन्य सिख कैंडिडेट कुलदीप सहोता कंजरवेटिव कैंडिडेट से महज 720 वोटों से हार गए।

सिख फेडरेशन का बयान

सिख सांसदों की जीत को लेकर ब्रिटेन की सिख फेडरेशन ने कहा है कि इसका क्रेडिट लेबर पार्टी की लीडरशिप को जाता है, जिन्होंने सिख कम्युनिटी के लोगों पर भरोसा जताया। अब ब्रिटेन की संसद में सिखों की मौजूदगी देखने को मिलेगी। हमारी बात मजबूती से रखी जा सकेगी।

ब्रिटेन चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी ने 650 सीटों में सर्वाधिक मत हासिल किए हैं। जहां कंजर्वेटिव पार्टी को 318 और लेबर पार्टी को 261 मत मिले हैं। चुनाव जीतने के लिए किसी भी पार्टी को कुल 326 मत हासिल करने की आवश्यकता है। अभी आठ सीटों पर नतीजों का ऐलान किया जाना बाकी है।

चुनाव में 200 महिलाओं का ऐतिहासिक रिकॉर्ड

वहीं, इस बार ब्रिटेन चुनाव में प्रीत कौर गिल समेत 200 महिलाओं ने चुनाव में ऐतिहासिक रिकॉर्ड जीत दर्ज की है। यह पहली बार है जब ब्रिटेन में इतनी संख्या में महिलाएं सांसद चुनी गई हैं। इससे पहले साल 2015 में हुए चुनाव में 191 महिलाएं चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं। इसके बाद उप-चुनाव में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला और महिलाएं चुनाव जीतकर संसद पहुंची।

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