भारतीय सरजमीं पर चीनी सैनिकों के घुसपैठ के मुद्दे पर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार को घेरती रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान कि कोई घुसपैठ नहीं हुई और भारतीय पोस्ट पर कोई कब्जा नहीं हुआ, को विपक्षी पार्टी ने झूठ करार देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी को देशवासियों से सच्चाई नहीं छिपानी चाहिए। जब मामला भारत की सुरक्षा का हो तो प्रधानमंत्री को सच्चाई बयान करने से गुरेज नहीं करना चाहिए।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि शुरू से ही चीन बिना युद्ध किए विपक्षियों को हराने की नीति पर काम करता रहा है। वह विपक्ष की कमजोरियों का लाभ उठाते हुए आक्रमण को रक्षा का रूप देने में माहिर है। आज भी यही हो रहा है। चीन ने पहले लद्दाख के गलवान घाटी इलाके में भारतीय सीमा पर हमला किया और अब भारत पर ही आक्रमण करने का आऱोप लगा रहा है। सिब्बल ने कहा कि समस्या यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बयान देकर कि भारतीय जमीन पर कोई घुसपैठ नहीं हुई, चीन को मौका दे दिया है। पीएम मोदी के बयान के बाद चीन अब यह कह रहा है कि उसने आक्रमण नहीं किया बल्कि गलवान घाटी में आत्मरक्षा में हिंसक झड़प हुई।
कपिल सिब्बल ने कहा कि पूर्व सैन्य कमांडर डी.एस. हुड्डा एवं सुरक्षा विशेषज्ञों ने सैटेलाइट चित्रों का आंकलन कर गलवान घाटी में चीनी कब्जे की पुष्टि की है। उस पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी तीन जून को माना कि ‘बड़ी संख्या में चीनी सैनिक मौजूद हैं’ और वो एलएसी के पार आ गए हैं। 17 जून को विदेश मंत्रालय ने माना कि चीनी सैनिकों ने न केवल एलएसी को पार किया है बल्कि गलवान घाटी में हमारी सीमा में ढांचे भी खड़े कर लिए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने सत्यापित तथ्यों के विरुद्ध बयान क्यों दिया?
कांग्रेस नेता ने कहा कि बीते 19 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में एक सनसनीखेज दावा करते हुए कहा कि ‘‘न तो हमारी सीमा में कोई घुसा है, न ही कोई घुसा हुआ है, न ही हमारी पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है’, जबकि बीते दिन चीन में भारतीय राजदूत ने कहा कि ‘‘भारत को उम्मीद है कि चीन अपनी जिम्मेदारी समझ ‘डि-इस्केलेशन’ एवं ‘डिसइंगेजिंग’ की कार्यवाही करते हुए हमारी सीमा से पीछे लौट एलएसी पर अपनी ओर चला जाएगा।’’ मतलब चीन अभी वहां बैठा हुआ है।
उन्होंने कहा कि हकीकत यह है कि चीन एलएसी पार कर भारतीय सीमा में 18 किमी. अंदर तक घुसपैठ कर चुका है। अब चीन पीपी-10, पीपी-11, पीपी-11ए, पीपी-12, पीपी-13 पर भारतीय सेना की पेट्रोलिंग में बाधा पैदा कर रहा है। चीन की सेनाएं डीबीओ रोड पर बर्तसे के लद्दाखी शहर से केवल सात किमी. दूर हैं। चिंताजनक बात है कि चीन ने गलवान घाटी में पीपी-14 के पास टेंट व ढांचे बना लिए हैं। यह वही जगह है, जहां 15-16 जून, 2020 को 16 बिहार रेजिमेंट के कर्नल बी. संतोष बाबू के नेतृत्व में हमारे 20 जवान शहीद हुए।
सिब्बल ने पूछा कि जब सैटेलाइट चित्र गलवान नदी के बेड में चीनी सैनिकों द्वारा नई ब्लैक टॉप सड़कों व बड़ी संख्या में मिलिटरी टैंटों का निर्माण एवं बुलडोज़रों तथा अन्य भारी उपकरणों की मौजूदगी प्रदर्शित कर रहे है, ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार इस बारे क्या कर रही है? प्रधानमंत्री को सार्वजनिक रूप से चीन की हरकतों की निंदा करनी चाहिए। आज प्रधानमंत्री के घुसपैठ न होने वाले बयान का इस्तेमाल चीन अपने बचाव के लिए कर रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि अब भी देर नहीं हुई है, प्रधानमंत्री को जान-बूझकर दिए गए भ्रामक बयानों को वापस लेना चाहिए। जब मामला भारत की सुरक्षा का हो, तो प्रधानमंत्री को सच्चाई बयान करने से गुरेज नहीं करना चाहिए।