- धनबाद में 200 करोड़ के प्राक्कलन घोटाले की जांच करेगी एसीबी, मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल आये लपेटे में
- जल संसधान विभाग के पिछले तीन साल के सभी टेंडर की जांच के लिए कमेटी गठित
- पूर्व जेरेडा निदेशक निरंजन कुमार से पूछताछ शुरू
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने धनबाद नगर निगम और जल संसधान विभाग के पिछले तीन साल के सभी टेंडर की जांच का आदेश दिया है। धनबाद नगर निगम में 14वें वित्त आयोग की योजना में लगभग दो सौ करोड़ रुपये के प्राक्कलन घोटाले की जांच एसीबी से कराने का आदेश दिया है। 14वें वित्त आयोग की राशि से धनबाद में 40 सड़कें स्वीकृत की गयी थीं। इनमें से कई पीसीसी सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता की कमी समेत कई गड़बड़ियों की शिकायत मिली हैं। आरोप यह भी है कि धनबाद नगर निगम के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल के निर्देश पर पहले से अच्छी स्थिति की पीसीसी सड़कों को तोड़कर प्राक्कलित राशि कई गुना बढ़ायी गयी। अच्छी सड़कों को तोड़ कर नये सिरे से सड़कों का ही निर्माण करा दिया गया। चंद्रशेखर अग्रवाल झारखंड मे बीजेपी के वरिष्ठ कार्यकर्ता है। वह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के भी करीबी माने जाते हैं। इन 40 सड़कों में से 27 सड़कों का प्राक्कलन नगर निगम के ही तकनीकी पदधिकारियों द्वारा बनाया गया। इसके अलावा 13 सड़कों के साथ नाली, एलइडी लाइट, पेबर ब्लॉक आदि का प्रावधान होने की वजह से परामर्शी एजेंसी मेसर्स मास एंड व्यॉस से इसका डीपीआर और डिजाइन परामर्श शुल्क देकर तैयार कराया गया। इन 13 सड़कों की कुल प्राक्कलित राशि 156.33 करोड़ रुपये है, लेकिन इन सड़कों के डीपीआर से पता चला कि किसी भी डीपीआर में डिजाइन संलग्न नहीं है। इसके अलावा डीपीआर में तकनीकी प्रतिवेदन भी समर्पित नहीं है। सड़कों के निर्माण में कई गड़बड़ी के साथ तकनीकी प्रावधानों के उल्लंघन की शिकायत की गयी है।
आरोप लगाया गया है कि धनबाद नगर निगम में 14वें वित्त आयोग की राशि से बनने वाली सड़कों का परामर्शी से डीपीआर तैयार कराया गया। इसके बाद मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल के निर्देश पर पहले से अच्छी स्थिति की पीसीसी सड़कों को ही तोड़कर प्राक्कलित राशि कई गुना बढ़ाकर फिर से पीसीसी सड़कों का ही निर्माण करा दिया गया। इसके अलावा परामर्शी मेसर्स मास एंड व्यॉस को परामर्श शुल्क के रुप में बढ़े हुए प्राक्कलन के अनुसार मोटी रकम दी गयी। आरोप है कि इस रकम में से आधी राशि मेयर ने अपने पास रख ली। इतना ही नहीं यह शिकायत की गयी है कि जिन पीसीसी सड़कों का निर्माण कराया गया है, उनकी गुणवत्ता निम्नस्तरीय है।
जल ससांधन विभाग में निविदाओं की गड़बड़ियों की खुलेगी पोल
जल संसाधन विभाग के अंतर्गत पिछले तीन सालों में आमंत्रित और निष्पादित किये गये सभी निविदाओं की जांच कराने का आदेश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया है। जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जायेगा। इस समिति को जांच कर 30 जून तक प्रतिवेदन समर्पित करने का निर्देश दिया गया है। इस उच्चस्तरीय समिति का गठन पथ निर्माण विभाग में गठित उच्चस्तरीय समिति के अनुरूप किया जाना है, जिसके अध्यक्ष विकास आयुक्त होते हैं। उच्चस्तरीय समिति द्वारा विभाग में प्रचलित अनुसूचित दरों तथा उसके निर्धारण के प्रक्रिया की समीक्षा करेगी। इसमें अगर किसी तरह की विसंगति पायी जाती है, तो उसकी जांच होगी। इसके अलावा निर्धारित अनुसूचित दरों के आधार पर निष्पादित निविदाओं के सैंपल की जांच भी होगी। इसके लिए उच्चस्तरीय समिति एक तकनीकी समिति का गठन भी कर सकती है।
पूर्व जेरेडा निदेशक निरंजन कुमार से पूछताछ
170 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में एसीबी ने अपनी जांच तेज कर दी है। इस मामले में जेरेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार से एसीबी सोमवार को पूछताछ की गयी। एसीबी के डीजी नीरज सिन्हा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा की निरंजन कुमार से पूछताछ जारी है। उनसे पूछताछ के दौरान कई अहम जानकारी मिली है। बता दें कि निरंजन कुमार को एसीबी ने पूछताछ के लिए पहले ही बुलाया था। एसीबी ने इससे पहले 29 मई को जेरेडा कार्यालय में छापेमारी की थी। इसके अलावा निरंजन कुमार के कई अन्य ठिकानों को भी कंगाला था। इस दौरान एसीबी टीम ने कई अहम कागजात जब्त किये थे। सीएम के आदेश के बाद 28 मई को एसीबी ने प्रारंभिक जांच शुरू की है। दो सप्ताह में जांच रिपोर्ट सौंपी जानी है। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। बताते चलें कि निरंजन कुमार पर अवैध रूप से वेतन निकासी. सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ का भुगतान करने, कंपनी विशेष को फर्जी तरीके से लाभ पहुंचाने और सपरिवार विदेश भ्रमण के आरोप हैं। निरंजन कुमार के खिलाफ पूर्व में एसीबी ने जांच की अनुमति सरकार से मांगी थी, लेकिन रघुवर सरकार ने जांच की अनुमति नहीं दी थी।