ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के अवसर पर शुक्रवार, 05 जून की मध्यरात्रि को चंद्रग्रहण पड़ रहा है। इस दौरान पृथ्वी की परिक्रमा करता हुये चंद्रमा का लगभग आधा भाग पृथ्वी की उपछाया में से होकर निकलेगा, जिससे चंद्रमा की चमचमाती चांदनी लगभग तीन घंटे के लिये कुछ मंद हो जायेगी। इस खगोलीय घटना को पेनुम्ब्रल लुनर इकलिप्स या उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं।
भोपाल की राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने गुरुवार को हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में उक्त जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस भी है और ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा भी। इस अवसर पर मध्यरात्रि में चंद्रग्रहण लगेगा। इस घटना के समय सूरज और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाएगी। इससे पृथ्वी की छाया और उपछाया दोनों बनेगी। चंद्रमा का लगभग आधा भाग इस उपछाया की सीध में आ जाएगा, जिससे इस समय चंद्रमा की चमक फीकी पड़ जायेगी।
उन्होंने बताया कि चंद्रग्रहण तीन प्रकार के हो सकते हैं। जब चंद्रमा का पूरा भाग पृथ्वी की घनी छाया वाले भाग में आता है तो पूर्णचंद्रग्रहण होता है। जब चंद्रमा का कुछ भाग घनी छाया में तथा बाकी भाग उपछाया में आता है तो आंशिक चंद्रग्रहण होता है, लेकिन जब चंद्रमा का पूरा भाग उपछाया में ही आता है तो उसे पेनुम्ब्रल लुनार इकलिप्स या उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं। इन सभी चंद्रग्रहणों को खाली आंखों से देखा जा सकता है। इन्हें देखने के लिये व्यूअर या किसी यंत्र की आवश्यकता नहीं होती है।
भोपाल में ग्रहण की स्थिति
सारिका ने बताया कि राजधानी भोपाल में 05 जून की रात्रि 11.15 बजे से उपछाया चंद्रग्रहण की शुरुआत होगी। इस ग्रहण की अवधि तीन घंटे 18 मिनट की होगी। रात्रि 12.54 बजे चांद अधिकतम उपछाया में पहुंचेगा, जबकि इस उपछाया ग्रहण की समाप्ति पांच-छह जून की रात में 02.34 बजे होगी।
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