रांची। भारत-चीन सीमा पर झारखंड के श्रमिक सड़क निर्माण करेंगे। लद्दाख-हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चीन की सीमा पर सड़क बनाने के लिए झारखंड से 11815 मजदूर जायेंगे। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने समय पर मजदूरों का भुगतान करने, सुरक्षा की व्यवस्था और अन्य सुविधाओं का आश्वासन देकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मजदूरों को भेजने का आग्रह किया था। सभी आश्वासन लिखित में मिलने के बाद सीएम ने मजदूरों को भेजने की मंजूरी दे दी।
सीएम हेमंत ने ट्वीट कर दी जानकारी
मजदूरों को लद्दाख भेजे जाने की स्वीकृति देने और उनके अधिकारों की रक्षा से संबंधित जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार की सुबह ट्वीट कर दी। उन्होंने कहा, हम हम लोगों के लिए राष्टÑीय सुरक्षा सर्वोपरि है। यह हमारी पहली प्राथमिकता है। राष्टÑ निर्माण और इससे जुड़े कार्यों में हमारे झारखंडी भाई भी सहभागिता निभायेंगे। उन्होंने झारखंड के मजदूरों की अस्मिता, पारिश्रमिक और सुविधाएं सुनश्चित किये जाने की बात भी कही। सोरेन ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी अपने ट्वीट में टैग किया है। बताया जा रहा है कि इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हेमंत सोरेन से संपर्क कर मामले में हस्तक्षेप का आग्रह किया था।
श्रमिकों की नियमित भर्ती होगी, सुरक्षित होगा भविष्य
राज्य के श्रम विभाग ने सीमा सड़क संगठन के साथ एक एमओयू तैयार किया है, जो रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आता है। राज्य सरकार के बीआरओ के साथ समझौते के बाद झारखंड के 11,815 प्रवासी हिमाचल, उत्तराखंड और लद्दाख में सीमा सड़क संगठन की परियोजनाओं के लिए काम करने जायेंगे।। बीआरओ को 1979 के अंतर राज्य प्रवासी निर्माण अधिनियम के तहत एक कर्मचारी के रूप में श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन करना होगा और झारखंड के सभी श्रमिकों की सीधी भर्ती करनी होगी। इसके तहत श्रमिकों की नियमित नियुक्ति बीआरओ द्वारा की जायेगी और उनका भविष्य सुरक्षित होगा। बताया जा रहा है कि देश में पहली बार ऐसी व्यवस्था की गयी है।
श्रमिकों के लिए नयी दरें भी लागू की गयीं
बीआरओ और झारखंड के मुख्य सचिव के बीच कई दौर की बातचीत के बाद सभी श्रेणियों के श्रमिकों के लिए नयी दरें भी लागू की गयी हैं। इन्हें अनस्किल्ड, सेमिस्किल्ड और स्किल्ड के तहत बांटा गया है। बीआरओ ने 10 से 20% की मजदूरी बढ़ाने पर सहमति जतायी है। 10 जून से यह लागू हो जायेगा। अब इनकी नियुक्ति सीधे बीआरओ के अंतर्गत होगी।
11 ट्रेनों से भेजे जायेंगे मजदूर
मजदूरों को 11 ट्रेनों से जम्मू और चंडीगढ़ ले जाया जायेगा, और फिर लद्दाख और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सीमावर्ती क्षेत्रों में पहुंचा दिया जायेगा, जहां बीआरओ महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण कर रहा है। प्रवासी श्रमिक बीआरओ के कार्यबल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में सड़कों के निर्माण में शामिल हैं।
समय पर दी जायेगी मजदूरी
पांच जून को झारखंड सरकार को लिखे एक पत्र में बीआरओ ने मजदूरी, चिकित्सा सुविधा, राशन, कपड़े, और काम के घंटे के निर्धारण और भुगतान से संबंधित कई पहलुओं को स्पष्ट किया है। पत्र में कहा गया है कि बीआरओ उस श्रम के हित की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यह सुनिश्चित करने के लिए बीआरओ का निरंतर प्रयास रहा है कि मजदूरों की आकांक्षाओं को पूरा किया जाये और समय पर उनकीमजदूरी का भुगतान किया जाये।
लेह से हवाई जहाज से लौटे श्रमिकों को सीएम हेमंत सोरेन ने किया जोहार
सीएम हेमंत सोरेन के प्रयास से दूरस्थ क्षेत्र लेह में फंसे 55 झारखंडवासियों की सोमवार को हवाई मार्ग द्वारा राज्य वापसी हुई। रांची एयरपोर्ट पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर एवं मंत्री बादल ने उनका स्वागत किया। तत्पश्चात सभी को उनके गंतव्य के लिए बस से रवाना कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि लेह से सैकड़ों किलोमीटर दूर सुदूरवर्ती दुर्गम नुब्रा घाटी से झारखंड के श्रमिक भाइयों का दूसरा जत्था हवाई मार्ग से रांची पहुंच गया। उन सभी को जोहार।