रांची। होटवार जेल में बंद तब्लीगी जमात के 17 विदेशियों को रांची सिविल कोर्ट से राहत नहीं मिली। सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायायुक्त नवनीत कुमार की अदालत ने चार महिला सहित 17 विदेशियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। इससे पूर्व 12 मई को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी फहीम किरवानी की अदालत ने इन सभी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद इन्हें जेल भेजा गया था। मामले को लेकर हिंदपीढ़ी थाना में सात अप्रैल 2020 को कांड संख्या 34/ 2020 दर्ज किया गया था।
इन पर लगी है संज्ञेय अपराध की धाराएं
आरोपितों के खिलाफ हिंदपीढ़ी थाना में आइपीसी की धारा 188, 269, 270, 271, एपिडेमिक डिजीज एक्ट के सेक्शन बी, द फॉरेन एक्ट 1946 की धारा 13/14 (बी) (सी) और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। फॉरेन एक्ट लगे होने के कारण अदालत ने विदेशी नागरिकों की जमानत देने से इंकार कर दिया। बता दें कि रांची पुलिस ने 30 मार्च को हिंदपीढ़ी बड़ी मस्जिद एवं मदीना मस्जिद में छिपे तब्लीगी जमात के 17 विदेशियों को गिरफ्तार किया था। इसमें चार महिलाएं भी शामिल हैं। रांची पुलिस टीम ने सभी को मेडिकल निगरानी के लिए क्वारेंटाइन करते हुए खेलगांव स्थित आइसोलेशन सेंटर में भर्ती करा दिया था। 22 अप्रैल को सभी आरोपियों को रिमांड पर लिया गया था। तब्लीगी जमात की मलेशियाई महिला राज्य की पहली कोरोना पॉजिटिव पायी गयी थी।
इनकी जमानत याचिका हुई खारिज
जिनकी बेल खारिज हुई उनमें लंदन का जाहिद कबीर, शिपहान हुसैन खान, यूके का महासीन अहमद, काजी दिलावर हुसैन, वेस्टइंडीज का फारूख अल्बर्ट खान, हॉलैंड का मो सैफुल इस्लाम, त्रिनिदाद का नदीम खान, जांबिया का मूसा जालाब, फरमिंग सेसे, मलेशिया का सिति आयशा बिनती, नूर रशीदा बिनती, नूर हयाती बिनती अहमद, नूर कमरूजामा, महाजीर बीन खामीस, मो शफीक एवं मो अजीम शामिल हैं।
क्या है विदेशियों पर आरोप
ये आरोपी टूरिस्ट वीजा पर भारत आये थे। यहां आकर धर्म प्रचार कर रहे थे। आरोप है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गयी थी। पूरे शहर में धारा 144 लागू थी। सार्वजिनक रूप से इसका प्रचार किया गया था। इसके बावजूद विदेशी नागरिक सरकार के आदेश का उल्लंघन कर धर्म प्रचार में लगे थे। लोगों को एकत्र किया जा रहा था।