गुवाहाटी शहर स्थित दुनिया के सबसे बड़े जल अभयारण्य दीपोर बील के सौंदर्यीकरण को लेकर गुरुवार को असम सरकार के गुवाहाटी डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के मंत्री अशोक सिंघल ने एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। मंत्री के जनता भवन (असम सचिवालय) स्थित सभा कक्ष में संपन्न हुई बैठक में दीपोर बील (झील) से जुड़ी विभिन्न पहलुओं पर बारीकी से चर्चा की गई। बैठक में वन एवं पर्यावरण मंत्री परिमल शुक्लवैद्य समेत कई उच्च पदस्थ सरकारी पदाधिकारी मौजूद थे।
मंत्री ने बैठक में कहा कि 414 हेक्टेयर में फैले इस जल अभयारण्य में 200 से अधिक प्रजाति के जीव जंतु रहते हैं। दीपोर बील में 70 प्रकार के प्रवासी पक्षी भी आते हैं। यह बील दुनिया भर के पर्यटकों को सहज ही आकर्षित करता है। गुवाहाटी शहर के दक्षिणी-पश्चिमी छोर पर स्थित यह बड़ा सा वेटलैंड अपने आप में मनोरम दृश्य उपस्थित करने वाला है। एक तरफ गगनचुंबी डाकिनी पहाड़, जहां स्वयं भगवान भोलेनाथ का भीमशंकर ज्योतिर्लिंग विराजमान है।
दूसरी तरफ, इस जलाशय के गर्भ में दुनिया के अनेक विलुप्त प्रजाति के जीव जंतु जल क्रीड़ा करते पाए जाते हैं। खासकर शाम के वक्त पहाड़ से उतरकर जंगली हाथी तथा अन्य पशु-पक्षी इसमें पानी पीने के लिए आते हैं। गुवाहाटी शहर से लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचने के दोनों ही मार्गों से गुजरते हुए दीपोर बील का नजारा देखने को मिल जाता है। लेकिन, सबसे बड़ी त्रासदी यहां की यह है कि बगल के पहाड़ों पर पत्थर तोड़ने के लिए हमेशा ही बड़े-बड़े डायनामाइट ब्लास्ट किए जाते हैं जिससे पूरे वातावरण में आतंक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जंगली हाथी तथा अन्य जानवर डर के मारे इधर-उधर भागते हैं।
इसकी एक अन्य त्रासदी यह है कि गुवाहाटी शहर का तमाम कचरा इसी दीपोर बील में बीते 15 वर्षों से फेंका जा रहा है जिसके कारण इस बील का जल विषाक्त हो चुका है और विभिन्न प्रकार की प्रजातियां अब विलुप्त होने के कगार पर हैं। हालांकि, इन दिनों कचरा फेंकने की वैकल्पिक व्यवस्था गुवाहाटी नगर निगम द्वारा की जा रही है। दीपोर बील के बीच से होकर ग्वालपाड़ा होते हुए गुवाहाटी पहुंचने वाला रेल मार्ग गुजरता है। इस मार्ग पर हमेशा ही रेलगाड़ियां चलती रहती है।
रेलगाड़ियों के कंपन की वजह से उत्पन्न होने वाले जल व ध्वनि तरंगों से किस प्रकार का आतंक इन जीव-जंतुओं के बीच उत्पन्न होता होगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। एलीफेंट कॉरिडोर होने की वजह से कई बार जंगली हाथी रेलगाड़ी से टकराकर बेमौत मारे जाते हैं। हालांकि, आज की बैठक में रेलवे लाइन को बील से हटाकर बगल में ले जाने संबंधी प्रस्ताव भी दिया गया। मंत्री सिंघल के निर्देशानुसार केंद्रीय रेल मंत्रालय से इस संदर्भ में गुहार लगाई गई है।
विभाग के मंत्री की इस दिशा में सक्रियता को देखकर दीपोर बील के जीर्णोद्धार तथा इसके सौंदर्यीकरण संबंधी आशा एक बार फिर से जगी है। देखना यह है कि इस दिशा में नये मंत्री सिंघल कहां तक सफल हो पाते हैं। केंद्रीय रेल मंत्रालय इस संदर्भ में भेजे गए प्रस्तावों की पहले से ही अनदेखा करता रहा है। देखना यह है कि नए मंत्री सिंघल की पहल पर गाड़ी कहां तक खिसकती है।