नई दिल्ली। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने संभावित कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों में खतरे को देखते हुए दिशा -निर्देश तैयार कर लिए हैं। शुक्रवार को नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने बताया कि जल्दी ही दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। इनकी समीक्षा कर ली गई है। देश तीसरी लहर की संभावनाओं को देखते हुए पूरी तरह तैयार है, सभी बच्चों के अस्पतालों में जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में अहम पहलू है टेस्टिंग। जितनी जल्दी टेस्टिंग हो जाएगी उतनी जल्दी मरीज को अलग किया जा सकेगा और इलाज संभव होगा।
कोवैक्सीन और जायडस टीके का बच्चों में किया जा रहा है परीक्षण
डॉ. पॉल ने बताया कि बच्चों के टीकाकरण के लिए सबसे ज्यादा जरूरी टीके की उपलब्धता है। मौजूदा समय में कोवैक्सीन और जायडस की वैक्सीन का परीक्षण किया जा रहा है। देश में करीब 13 करोड़ 12 से 17 साल के बच्चे हैं। इस लिहाज से कम से कम 26 करोड़ वैक्सीन की डोज की आवश्यकता होगी। इसलिए वैक्सीन की उपलब्धता भी सुनिश्चित करना होगा।
ज्यादातर बच्चे रहते हैं एसिम्टोमैटिक
उन्होंने बताया कि अभी तक के सीरो सर्वे में बच्चों में इंफेक्शन रेट 22- 24 प्रतिशत रहा है। 12 साल तक के ज्यादातर बच्चों में कोरोना संक्रमण के लक्षण मामूली रहे हैं। केवल 2-3 प्रतिशत से भी कम बच्चों को अस्पताल में इलाज कराने की जरूरत पड़ती है। इनमें भी उन बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा जिनमें पहले से ही गंभीर बीमारियां रही हो। उन्होंने कहा कि कोरोना के साथ लड़ाई अभी लंबी है। इसलिए लोगों को कोई भी चूक नहीं करनी है। कोरोना से बचाव के सभी उपायों को लगातार अपनाए रखना है।
घबराने की नहीं जागरूक होने की जरुरत
बच्चों में कोरोना को लेकर डर की स्थिति पर स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि बीमारी से डरना समस्या का हल नहीं है। लोगों को जागरूक होते हुए इस बीमारी से निपटना है। बच्चों में कोरोना से संक्रमित होने के डर को दूर करने में परिवार और समाज अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि गलत खबरों और फेक खबरों से बचना चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे समय में भी लोग फेक खबरे तैयार कर रहे हैं।
कोवैक्सीन की डेटा विश्व स्वास्थ्य संगठन को भेजे गए
चीन की वैक्सीन सिनोवैक को भी विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) ने आपातकालीन उपयोग सूची के लिए मंजूरी दे दी है। चीन की यह दूसरी कंपनी है जिसे डब्ल्यूएचओ से आपात मंजूरी मिली है। वहीं, भारत ने भी अपनी स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को मंजूरी देने की प्रक्रिया तेज कर दी है। डॉ. पॉल ने प्रेसवार्ता में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि भारत बायोटेक और मंत्रालय कोवैक्सीन की सारे डेटा डब्लूएचओ के साथ साझा कर रहे हैं। जल्दी ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। उम्मीद है कि इस पर डब्लूएचओ जल्दी ही कोई निर्णय लेगा जो देश के लिए गौरव का विषय होगा।