• मुख्यमंत्री ने हूल दिवस पर भोगनाडीह, साहिबगंज में अमर शहीद सिदो-कान्हू के स्मृति स्थल पर पूजा-अर्चना की
  • अमर शहीद सिदो-कान्हू द्वार का हुआ उद्घाटन

    भोगनाडीह/साहिबगंज। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज शुरू से ही अपने हक की लड़ाई लड़ता रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण भोगनाडीह से प्राप्त होता है, जहां के अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू ने अंग्रेजों से आदिवासी समाज के हितों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

    वे गुरुवार को हूल दिवस के अवसर पर भोगनाडीह, साहिबगंज में अमर शहीद सिदो-कान्हू के स्मृति स्थल पर पूजा-अर्चना के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज ने देश में अपनी अलग पहचान बनाया है। इतिहास के अनेकों कहानियों में इन्होंने अपना प्रमुख छाप छोड़ा है। आदिवासी समुदाय ने समाज के प्रति कर्तव्य का पालन कर अपनी अलग स्थान बनाई है। यह समाज जल-जंगल-जमीन को बचाने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाता रहा है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वी के बनने के बाद सबसे पहले जमीन झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में दिखी थी। डायनासोर युग के भी कुछ अवशेष यहां प्राप्त होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज शुरुआत से ही अपने हितों की रक्षा की लड़ाई लड़ रहे हैं। आज से कई सौ साल पहले ही फूलों-झानो, चांद-भैरव, सिदो-कान्हो जैसे महान आदिवासी नेताओं ने अपने हक की लड़ाई लड़ी थी और समाज के हित के लिए लोगों को एकजुट किया था।

    मुख्यमंत्री ने हूल दिवस के अवसर पर अमर शहीद सिदो कान्हू द्वार का उद्घाटन किया। इसके उपरांत अमर शहीद सिदो कान्हू के आवास पर स्थित प्रतिमा का माल्यार्पण किया तथा उनके वंशजों से मुलाकात की एवं उन्हें उपहार भेंट किया। मुख्यमंत्री ने उनके वंशजों द्वारा दिये गए ज्ञापनों पर संबंधित पदाधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया। इसके उपरांत मुख्यमंत्री ने हूल दिवस के अवसर पर भोगनाडीह के अमर शहीद सिदो-कान्हू पार्क स्थित सिदो-कान्हू, फूलो-झानों एवं चांद-भैरव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर राजमहल सांसद विजय कुमार हांसदा एवं जिला प्रशासन के पदाधिकारी एवं आम जनता उपस्थित थे।

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