Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Wednesday, June 11
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»राज्य»मप्रः जनजातीय संग्रहालय के 10वें वर्षगांठ समारोह में हुई विभिन्न राज्यों की प्रस्तुति
    राज्य

    मप्रः जनजातीय संग्रहालय के 10वें वर्षगांठ समारोह में हुई विभिन्न राज्यों की प्रस्तुति

    adminBy adminJune 9, 2023No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय की स्थापना के एक दशक पूर्ण होने के अवसर पर 6 से 10 जून तक 10वां वर्षगांठ समारोह मनाया जा रहा है। इस दौरान प्रतिदिन संग्रहालय में विभिन्न राज्यों के कलाकार नृत्य की प्रस्तुति दे रहे हैं। समारोह का शनिवार शाम विभिन्न नृत्य प्रस्तुतियों के साथ समापन होगा। इससे पहले शुक्रवार शाम को वर्षगांठ समारोह के चौथे दिन कार्यक्रम की शुरुआत कलाकारों के स्वागत से की गई, जिसमें निदेशक जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी डॉ. धर्मेंद्र पारे द्वारा स्वागत किया गया।

    समारोह में लेह-लद्दाख के कोन्चोक तेस्तान द्वारा जेब्रो नृत्य, मेघालय की संगीता द्वारा वांग्ला नृत्य, दुबराज प्रमाणिक प.बंगाल द्वारा सारपा नृत्य, संगीता खिसा, त्रिपुरा द्वारा बिजु नृत्य, निगमा नंदा नाथ, ओड़िसा द्वारा ढोप नृत्य, जैनू सलाम, छत्तीसगढ़ द्वारा गोरमाड़िया नृत्य, छवी लाल, सिक्किम द्वारा लेपचा नृत्य एवं प्रदेश के जनजातीय कलाकारों विक्की बाघमारे, बैतूल द्वारा गोंड- ठाठ्या नृत्य, संजय पटेल, बुरहानपुर द्वारा कोरकू-गदली/थापटी नृत्य, श्री मोजीलाल डाण्डोलिया, छिंदवाड़ा द्वारा भारिया- भड़म नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

    समारोह में प. बंगाल के दुबराज प्रमाणिक द्वारा सारपा नृत्य प्रस्तुत किया गया। सारपा नृत्य एक प्राचीन सांस्कृतिक और त्रि-नृत्य है, विशेष रूप से नबंवर के महीने परबा पर्व में किया जाता है, जिसमें बेटी को इस पर्व में आमंत्रित किया जाता है और घर की महिलाएं मिलकर यह नृत्य करती हैं। बेटी के घर आने पर परिवार के सदस्य एकत्रित होकर नृत्य के माध्यम से उत्सव मनाते हैं।

    मेघालय की संगीता द्वारा वांग्ला नृत्य की प्रस्तुति दी गई। मेघालय में गारो जनजाति द्वारा किया जाता है। इस नृत्य के माध्यम से गारो समुदाय के सदस्य अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी गाथाओं को व्यक्त करते हैं। इसके साथ ही जनजाति नई फसल के आने पर उत्सव मनाते हैं। सिक्किम के छवी लाल द्वारा लेपचा नृत्य की प्रस्तुति दी गई। यह सिक्किम का एक सामूहिक लोक नृत्य है. जिसमें पर्वतों के सम्मान, नई फसल के आने तथा पशुओं को संरक्षित करने का संदेश देते हैं।

    शिल्प-व्यंजन मेले का शनिवार को अंतिम दिन
    समारोह के अवसर पर शिल्प मेले का आयोजन भी किया गया है, जो दोपहर 12 बजे से शिल्पों के प्रदर्शन एवं बिक्री के लिये है। इसमें करीब 15 स्टॉल लगाए गये हैं, जिसमें बांस, धातु से निर्मित उत्पाद, कढ़ाई व जरी के उत्पाद, मिट्टी के बर्तन, बाग, दाबू, इंडिगो, भौरूगढ़ वस्त्र शिल्पी को प्रदर्शित किया गया है। वहीं व्यंजन मेले में प्रदेश की जनजातीयों के सुस्वादु स्टॉल भी हैं, जिसमें बैगा जनजातीय का कोदो-कोदई भात, कुटकी –कोदई भात, पान रोटी, राई भाजी, बांस के करील, भील समुदाय का ज्वार रोटी, भाजी, दाल, चटनी और गुड़, मक्का रोटी, बाजरा, दाल पानिया, गोंड जनजातीय का चाऊर, राहर दाल, बड़ा गीला/सूखा, कुटकी खीर, कोरकू समुदाय का कुटकी पेज, महुआ गेतरे, भोंदलो उड़द व्यंजन को प्रदर्शित किया है। इस पांच दिवसीय समारोह में गोंड चित्रांकन में कलाकारों की विशिष्टता एकाग्र चित्र शिविर का आयोजन भी किया गया है, जिसमें चित्रकार अपने विशिष्ट प्रतीकों का अंकन कर रहे हैं।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleआर्मी लैंड स्कैम : अमित अग्रवाल और दिलीप घोष से तीन दिनों तक पूछताछ करेगी ईडी
    Next Article छत्तीसगढ़ की अस्मिता, स्वाभिमान और सम्मान की प्रतीक हैं छत्तीसगढ़ महतारी : भूपेश
    admin

      Related Posts

      मुख्यमंत्री योगी ने गिनाई मोदी सरकार की उपलब्धियां, बोले- पिछले 11 साल देश के लिए स्वर्णिम काल

      June 10, 2025

      राजा रघुवंशी हत्याकांड: सोनम को लेकर मेघालय पुलिस आज दोपहर पहुंचेगी गुवाहाटी

      June 10, 2025

      बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले हाेंगे पंचायत उपचुनाव, 9 जुलाई को 2,634 सीटों पर होगा मतदान

      June 10, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • डिटेंशन सेंटर से फरार तीन बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, हजारीबाग पुलिस को बड़ी कामयाबी
      • बॉक्स ऑफिस पर ‘हाउसफुल-5’ का जलवा, 100 करोड़ के क्लब में शामिल
      • बॉक्स ऑफिस पर ‘ठग लाइफ’ की रफ्तार थमी, फिल्म को नहीं मिला दर्शकों का प्यार
      • भारत ए बनाम इंग्लैंड लायंस: कोटियन-कंबोज की शानदार साझेदारी, दूसरा अनौपचारिक टेस्ट ड्रॉ
      • एफआईएच प्रो लीग: रोमांचक मुकाबले में नीदरलैंड ने भारत को 3-2 से हराया
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version