-अस्पताल प्रबंधन ने मां से बच्चे को किया 23 दिन तक दूर
-हाइकोर्ट गंभीर, लिया स्वत: संज्ञान
रांची। हाइकोर्ट ने रांची के बरियातू-बूटी रोड में स्थित जेनेटिक अस्पताल में बिल जमा नहीं करने पर अस्पताल प्रबंधन द्वारा एक मां को उसके नवजात से 23 दिन तक अलग रख बंधक बनाये जाने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए प्रधान सचिव से जवाब मांगा है। कोर्ट ने मामले में रांची सिविल सर्जन को उक्त अस्पताल के रजिस्ट्रेशन की जांच करने का निर्देश दिया है। कोर्ट में मौजूद स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने आश्वस्त किया कि जांच कर जेनेटिक अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई की जायेगी।
कोर्ट ने प्रधान सचिव को मामले की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से बताया गया कि जेनेटिक अस्पताल ने पेशेंट के साथ अमानवीय व्यवहार किया है। प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया की रनिया के बनावीरा नवाटोली निवासी सुनीता कुमारी को 28 मई को प्रसव पीड़ा होने पर खूंटी सदर अस्पताल ले जाया गया था। वहां से उसे रिम्स रेफर कर दिया गया। यहां आते ही एक आॅटो चालक महिला के पति मंगलू को झांसा देकर जेनेटिक अस्पताल ले गया जहां महिला ने बच्चे को जन्म दिया। अस्पताल प्रबंधन द्वारा मंगलू से 4 लाख रुपये मांगे गये। जमीन बेचकर दो लाख उसने दे दिये। शेष दो लाख देने में उसने असमर्थता जतायी। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने सुनीता को बंधक बना लिया था। सूचना मिलने पर सीआइडी की टीम ने 27 जून को सुनीता को अस्पताल से मुक्त कराया था। कोर्ट को यह भी बताया गया कि जब अस्पताल प्रबंधन ने महिला के पति को नवजात शिशु के साथ घर भेज दिया, तो उसने बकरी का दूध पिलाकर शिशु को जिंदा रखा, जब उसकी पत्नी अस्पताल से मुक्त होकर बीते गुरुवार को घर पहुंची तो करीब 23 दिन के बाद बच्चे ने अपनी मां का दूध पिया। इस मामले में सीडब्ल्यूसी ने भी स्वत: संज्ञान लिया है। मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को होगी।