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    Home»देश»बिहार विधानसभा चुनाव का पहला महासंग्राम: 121 सीटों के लिए कल मतदान, दांव पर कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा
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    बिहार विधानसभा चुनाव का पहला महासंग्राम: 121 सीटों के लिए कल मतदान, दांव पर कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा

    shivam kumarBy shivam kumarNovember 5, 2025Updated:November 5, 2025No Comments5 Mins Read
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    पटना। बिहार विधानसभा चुनाव-2025 के रण का शंखनाद अब निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है। गुरुवार को पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर मतदान होगा, जिसमें कुल 3.75 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इन मतदाताओं में 1.76 करोड़ महिलाएं और 19 लाख से अधिक प्रथम मतदाता शामिल हैं, जो इस बार सियासत की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाने वाले हैं।

    पहले चरण में 122 महिला एवं 1192 पुरुष उम्मीदवार
    बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल के अनुसार, इस चरण में कुल 1314 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 122 महिलाएं और 1192 पुरुष उम्मीदवार शामिल हैं। मतदान सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक होगा, जबकि दूरस्थ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में समय घटाया गया है। कल जिनके भाग्य का फैसला होना है, उनमें दोनों उप-मुख्यंमत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा का नाम शामिल है। इसके अलावा 15 मंत्रियों की भी किस्मत का फैसला पहले चरण में होना है, जिनमें विजय कुमार चौधरी, श्रवण कुमार, मंगल पांडे, मदन सहनी, नितीन नवीन, महेश्वर हजारी, सुनील कुमार, रत्नेश सादा, केदार प्रसाद गुप्ता, सुरेन्द्र मेहता, संजय सरावगी, डॉ. सुनील कुमार, जिवेश मिश्रा, राजू कुमार सिंह और कृष्ण कुमार मंटू है। इन सबके अलावा बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव और उनके बड़े भाई तेजप्रताप यादव भी शामिल हैं। साथ ही बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष नरेन्द्र नारायण यादव, राम कृपाल यादव, श्याम रजक, अनंत सिंह, अमरेन्द्र पांडेय, हरिनारायण सिंह, उमेश कुशवाहा और श्रेयसी सिंह समेत कई दिग्गजों की किस्मत मतदाता 6 नवंबर को तय करेंगे। लोकगायिका मैथली ठाकुर और खेसारी लाल यादव की राजनीतिक किस्मत भी ईवीएम में कल कैद हो जाएगी।

    चुनाव आयोग की तैयारी
    मुख्य निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक, शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने के लिए पहले चरण में 121 सामान्य, 18 पुलिस और 33 व्यय पर्यवेक्षक नियुक्ति किए गए हैं । राज्य निर्वाचन आयोग ने शांतिपूर्ण मतदान के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है। चुनाव कार्य में करीब साढ़े चार लाख सुरक्षाकर्मी लगाए गए हैं, जिनमें 1500 कंपनी केंद्रीय बल के शामिल हैं। इसके अलावा बिहार पुलिस, बिहार विशेष सशस्त्र बल, सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी), होमगार्ड आदि की भी ड्यूटी लगाई गई है। चुनाव को देखते हुए नेपाल सहित सभी सीमावर्ती जिलों की सीमाएं सील कर दी गई हैं। दियारा क्षेत्र में घुड़सवार दल को तैनात किया गया है। केंद्रीय बलों के अलावा बिहार पुलिस के 60 हजार कर्मियों को भी चुनावी ड्यूटी में लगाया गया है। अन्य राज्यों से आई रिजर्व बटालियनों के करीब दो हजार जवान, बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस के तीस हजार जवान, 20 हजार से ज़्यादा होमगार्ड और लगभग 19 हजार प्रशिक्षु सिपाहियों को भी चुनाव कार्य में लगाया गया है। ग्रामीण इलाकों में लगभग 1.5 लाख चौकीदार भी चुनाव ड्यूटी में लगाए गए हैं।

    पहले चरण में किस पार्टी के कितने उम्मीदवार?‎
    पहले चरण के चुनाव में जिन 121 सीटों पर मतदान होना है, उनमें से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के 121 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, जबकि महागठबंधन के 126 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। राजग की ओर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 48 उम्मीदवार, जबकि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के 57, लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास (लोजपा-आर) के 14 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के दो प्रत्याशियों का भाग्य का फैसला होना है। दूसरी ओर पहले चरण में महागठबंधन की ओर से 73 राजद, 24 कांग्रेस, 14 भाकपा माले, 5 वीआईपी, 3 माकपा, 5 भाकपा और 3 इंडियन इंकलाब पार्टी (आईआईपी) उम्मीदवारों का भविष्य मतदाता तय करेंगे।

    महिला मतदाता निभाएंगी निर्णायक भूमिका
    बिहार की राजनीति में महिला वोट बैंक हमेशा निर्णायक रहा है। इस बार कुल मतदाताओं में महिलाओं की हिस्सेदारी 47.2 प्रतिशत है। राजग जहां ‘लक्ष्मी पूजा’ और ‘सुरक्षित बहन-बेटी’ की बात करते हुए महिलाओं को साधने की कोशिश में है, वहीं महागठबंधन महंगाई, रोजगार और शिक्षा के जैसे मुद्दों के जरिए महिला मतदाताओं को लुभाने की रणनीति में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘सशक्त महिला-सशक्त बिहार’ नारे को राजग लगातार दोहरा रहा है, जबकि तेजस्वी यादव की सभाओं में महिलाओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति नए समीकरण का संकेत दे रही है।

    जातीय और धार्मिक-सांस्कृतिक समीकरणों का असर
    पहले चरण में मगध, मिथिलांचल, मुंगेर, वैशाली, तिरहुत क्षेत्र शामिल हैं, जहां यादव, कुशवाहा, दलित, मुसलमान, भूमिहार, राजपूत और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस बार भाजपा ने ‘राम मंदिर’, ‘सीता माता मंदिर’ और ‘सनातन गौरव’ के मुद्दे को अपने प्रचार का केंद्र बनाया है। वहीं, राजद-कांग्रेस महागठबंधन सामाजिक न्याय और रोजगार को प्राथमिक मुद्दा बना रहा है। इस चरण में दोनों गठबंधन के बागी उम्मीदवारों की मौजूदगी कई सीटों पर समीकरण बदल सकती है।बिहार में इस बार का चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि राजनीतिक एवं संस्कृति के परिवर्तन का संकेत भी माना जा रहा है। जहां भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ‘विकसित बिहार 2047’ का सपना दिखा रही है, वहीं महागठबंधन युवा रोजगार, कृषि सुधार और स्थानीय उद्योगों के पुनर्जीवन की बात कर रहा है।

    क्या कहते हैं चुनावी विश्लेषक?
    चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि पहले चरण का रुझान पूरे राज्य की सियासी दिशा तय करेगा। यदि महिलाओं और युवा मतदाताओं ने एकतरफा मतदान किया, तो परिणाम अप्रत्याशित भी हो सकते हैं। कुछ आंकलन करना कठिन हो रहा है।

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