GUJARAT:  गुजरात में बाढ़ ने कहर बरपा दिया है। इससे बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए और कई लोगों की मौत हो गई। इस दौरान शासन-प्रशासन की भी पोल खुल गई है। इस बाढ़ में गुजरात का बनासकांठा जिला बेहद प्रभावित है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक खरिया गांव के रहने वाले एक पीड़ित संग्रामजी नवलजी ठाकोर का कहना है कि 49 घंटे तक इंतजार करने के बाद भी बाढ़ में फंसे उसके परिवार को कोई मदद नहीं मिली जिससे उसके परिवार के 17 लोग की मौत हो गई। बाढ़ पीड़ित संग्रामजी नवलजी ठाकोर बात करने की हालत में नहीं है। ठाकोर ने किसी तरह मीडिया से बात कर अपना दर्ज बयां किया। बाढ़ के प्रकोप के शिकार हुए ठाकोर ने बताया कि इस हादसे में बेटे, बहु और पत्नी समेत 17 रिश्तेदार की मौत हो गई।

ज्ञात हो कि गुजरात के राहत पैकेज के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। बावजूद इसके 49 घंटे तक बाढ़ पीड़ितों को राहत न मिलना कई सवाल खड़े करता है।

पीड़ित संग्रामजी के परिवार में एक 21 वर्षीय युवक जीवित बच गया। उसने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि मैं कैसे बच गया। संग्रामजी अक्सर एक ही बात को दोहराते रहे, ‘कुदरत,कुदरत’। संग्रामजी ने कभी सोंचा भी नहीं था कि वे इस तरह अपने तीन साल के पोते समेत परिवारे के अन्य सदस्यों की एक ही बार अंत्योष्टि करेंगे।

रिपोर्ट के मुताबिक परिवार में संग्रामजी और एक 21 वर्षीय युवक ही जीवित बचे हैं। ज्ञात हो कि खरिया गांव में 3,742 लोगों की आबादी है। यहां बाढ़ के चलते पिछले 48 घंटे में 30 लोगों की मौत हो गई। बताया जाता है कि पड़ोसी राज्य राजस्थान से 1.5 लाख क्यूसेक पानी डैम से छोड़ा गया जिसके चलते बनासकांठा में नदी के किनारे कई गांव पानी में डूब गए।

खरिया गांव के कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। इस गांव में सबसे ज्यादा मुसीबत संग्रामजी ठाकोर के परिवार पर पड़ी। ठाकोर का परिवार बनास नदी के किनारे एक छोटे से कच्चे मकान में रह रहा था। सोमवार को जब पानी का स्तर बढ़ने लगा तो बचने के लिए ठाकोर का परिवार घर की छत पर चला गया।

संग्रामजी ने बचाव के लिए बगल के गांव के दोस्तों, रिश्तेदारों और अन्य लोगों को फोन किया। इस बीच घर गिर गया और परिवार के सभी सदस्य डूबने लगे। चारों तरफ मौत पसरा था। इस हादसे में परिवार के दो सदस्य ही जीवित बचे।

बनासकांठा के कुमभलमेर के एक किसान दलपत भाटिया ने बताया कि ‘दनेरा, दीसा, वाव, थरद और कनरेजी की स्थिति काफी दयनी है। यहां के लोगों को खाने के पैकेट मिलना मुश्किल है। ये सरकार की विफलता है कि तकनीक के आज के युग में भी सुविधाएं लोगों तक नहीं पहुंच रही है। अपने आस-पास की बर्बादी को देखते हुए वे कहते है कि इसे सामान्य रूप से पटरी पर आने में करीब चार महीने लगेंगे।’

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