राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की 26-27 जुलाई की बीजिंग यात्रा के पहले चीन के रुख में थोड़ी नरमी आई है। डोका ला क्षेत्र में सैन्य गतिरोध के बीच चीन ने गुरुवार को कहा कि भारत के साथ कूटनीतिक संवाद के रास्ते में कोई बाधा नहीं है। वहीं कूटनीतक संवाद पर जोर देते हुए भारत ने फिर कहा है कि मतभेद, विवाद में तब्दील नहीं होने चाहिए।

हालांकि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने स्पष्ट किया कि किसी भी सार्थक वार्ता के लिए डोका ला से भारतीय सेना की वापसी जरूरी है। कांग ने भारत और चीन के दूतावासों के बीच गतिरोध हल करने के लिए बातचीत की पुष्टि की। डोभाल ब्रिक्स देशों के एनएसए के बीच बैठक में शामिल होने बीजिंग रवाना होंगे। लेकिन इस दौरान चीन के एनएसए यांग जिएची से डोका ला के मुद्दे पर बातचीत होने की संभावना है।

चीनी अधिकारियों का कहना है कि डोभाल और जिएची के बीच औपचारिक वार्ता शायद न हो, लेकिन दोनों अनौपचारिक तौर पर इस मुद्दे पर बात करेंगे। जिएची सीमा मुद्दे पर वार्ता करने के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि हैं।

विवाद के शांतिपूर्ण हल का पक्षधर है भारत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने गुरुवार को कहा कि भारत चीन के साथ सभी सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने का पक्षधर है। प्रवक्ता ने कहा, यह स्पष्ट है कि दुनिया की हर जिम्मेदार ताकत, व्यक्ति और खिलाड़ी किसी भी मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है।

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत डो काला मुद्दे पर अन्य देशों के समक्ष अपना पक्ष रखेगा? बागले ने कहा, यह उनके लिए उचित नहीं है कि कूटनीतिक संपर्क जैसे संवेदनशील मुद्दे पर टिप्पणी करें। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली डोकाला में जारी तनाव के मुद्दे पर भूटान सरकार के नियमित संपर्क में है। वह स्थिति पर भी नजर बनाए हुए हैं। बागले ने कहा कि दोनों देश मतभेद को विवाद नहीं बनने देंगे।

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