गुरु पूर्णिमा: गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:। गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।। इसका मतलब हुआ कि गुरु ब्रह्मा हैं, गुरु विष्णु और महेश भी हैं, गुरू साक्षात् ब्रह्मा है इसी लिए गुरु को नमन करते हैं। आज देश भर में गुरु पूर्णिमा का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है।
ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में इसी दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करते थे। मनुष्य के जीवन गुरु का एक विशेष स्थान होता है। वैसे तो सबसे पहला स्थान माता-पिता का होता है, लेकिन कई मायनों में गुरु का स्थान माता-पिता से भी उपर का होता है।
अगर कोई माता-पिता काफी जतन के बाद अपने बच्चे को जन्म देते हैं, तो गुरु उस बच्चे को इस संसार में आगे बढ़ने और अपनी इच्क्षा शक्ति को मजबूत करने की दिक्षा देते हैं। इस लिए गुरु का स्थान भगवान से भी उपर माना गया है।
गुरु पूर्णिमा का यह त्यौहार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, भारतीय परम्परा में गुरु को गोविंद से भी ऊंचा माना गया है, इसलिए यह दिन गुरु की पूजा का विशेष दिन होता है। हिन्दू परम्परा के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के चरणों में सिर झुकाकर उनके प्रति आभार व्यक्त करने का दिन होता है।
गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व भी है, इस अवसर पर हरिद्वार में गंगा में आस्था की डुबकी लगाने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी हैं। आज सुबह से ही यहां हरकी पैड़ी समेत अन्य घाटों पर और देश के अलग-अलग जगहों पर श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।