चरही(हजारीबाग)। सीसीएल हजारीबाग क्षेत्र के तापिन नॉर्थ कोलियरी में शनिवार को ग्रेडर मशीन दीवार से टकरा गई। दीवार की दूसरी ओर आराम कर रहे 11 मजदूर मलबे में दब गए। इसमें चार मजदूरों की मौत हो गई, जबकि सात मजदूर घायल हैं। उन्हें रांची के मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। मृतकों की पहचान कैला गंझू, अर्जुन मुंडा, अमृत गंझू और मिथुन के रूप में हुई है। छोटन प्रजापति, गोविंद राम, जगदेव कुमार महतो, रामू पाहन, बिरजू उरांव, डोमन महतो और सोमू महतो को गंभीर चोटें आईं हैं। ये सभी चरही, तापिन और आसपास के गांवों के हैं।
11 मजदूर लंच आवर में शेड में आराम कर रहे थे। तभी ग्रेडर मशीन दीवार से टकरा गयी
ये सभी 11 मजदूर लंच आवर में शेड में आराम कर रहे थे। तभी ग्रेडर मशीन आई और दीवार से टकरा गई। घटना के बाद श्रमिक नेताओं ने शवों को उठाने से रोक दिया। वे लोग मृतक के आश्रितों को नौकरी और मुआवजा देने की मांग कर रहे थे। तभी मृतक के परिजन भी वहां पहुंच गए। उनका कहना था कि जब तक मौत की जांच और नौकरी की मांग पूरी नहीं होती, तब तक शव नहीं हटाए जाएंगे। मौके पर हजारीबाग जीएम एसके सिंह, तापिन के पीओ और मैनेजर भी मौजूद थे।
मजदूरों ने नेताओं को पीटा, कहा- नेतागीरी करने आते हैं:
तापिन नॉर्थ कोलियरी में चार सीसीएलकर्मी की मौत और सात सीसीएलकर्मी गंभीर रूप से घायल मामले में श्रमिक नेता और कई पार्टी के नेता घटना स्थल पर पहुंचे। घटना स्थल पर नेताओं को देखते ही आक्रोशित मजदूरों ने श्रमिक नेता केके वाजपेयी की पिटाई कर डाली। इतना ही नहीं जब भाजपा नेता कुमार महेश सिंह वहां पहुंचे तो मजदूरों ने उनकी भी पिटाई कर डाली। मजदूरों का कहना था कि यही नेता लोग सीसीएल प्रबंधन की दलाली करते हैं और यहां विधि व्यवस्था ठीक नहीं होने देते है। जब बड़ी घटना होती है तो आ जाते है मुंह उठा कर नेतागीरी करने। दो नेताओं की पिटाई होते देख बाकी नेता पीओ के कार्यालय के अंदर जाकर छिप गए। समाचार लिखे जाने तक सीसीएल के जीएम एसके सिंह, पीओ ए के सिंह, मैनेजर अनिल कुमार सिंह, भामसं नेता शंकर सिंह, कुमार महेश सिंह, तिवारी महतो सहित कई नेता और सीसीएल के अधिकारी तथा पुलिस प्रशासन के अधिकारियों और मजदूरों के परिजनों के बीच बातचीत चल रही थी।
एयरकंडीशन कैंटीन उद्घाटन के कारण बंद:
सीसीएल हजारीबाग एरिया के तापिन नार्थ कोलियरी में 40 लाख की लागत से एयरकंडीशन से युक्त कैंटीन खाने और आराम करने के लिए बनाया गया था। लेकिन लगभग सात माह से उद्घाटन के अभाव में बंद पड़ा हुआ है। कैंटीन चालू रहता तो सारे मजदूर इसी कैंटीन में खाना खाते और आराम करते तो इतनी बड़ी घटना नहीं घटती।
मृतक अमृत की पत्नी बोली-अब हमें कौन देखेगा:
मृतक के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। मृतक अमृत मूंडा और अर्जुन मुंडाकूजू साढ़ूबेड़ा के रहने वाले थे। कईला गंझू चुरचू प्रखंड के इन्द्रा का रहने वाला था। मिथुन सीरका का निवासी था। सभी के परिजन अपने भाग्य को ही दोष दे रहे थे। वहीं अमृत मुंडा की पत्नी रीना देवी बोलते-बोलते बेहोश हो जा रही थी। और जब होश में आ रही थी।